नवग्रह कवच - Navagraha Kavach

नवग्रह कवच - Navagraha Kavach

नवग्रह कवच का महत्व

इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, शत्रु बाधा, अनिष्ट नजर, अशुभ प्रभाव और अमंगलकारी आदि से मुक्ति मिलती है। नवग्रह कवच से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली, धन -सम्पत्ति, वैभव और यश की प्राप्ति होती है।
नवग्रह कवच, जो बेहद चमत्कारी और लाभकारी मंत्र माना जाता है। इससे हमारे जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है। इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, शत्रु बाधा, अनिष्ट नजर, अशुभ प्रभाव और अमंगलकारी आदि से मुक्ति मिलती है।

नवग्रह कवच - Navagraha Kavach

मान्यता है कि कुंडली में अगर ग्रहों का अशुभ प्रभाव या ग्रहदोष हो तो यामल तंत्र में दिया गया 'नवग्रह-कवच' का पाठ बहुत असरदार सिद्ध होता है. मान्यता है कि नवग्रह कवच का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए. इसके पाठ करने से हर प्रकार की समस्या खत्म हो जाती है. मंत्रों का उच्चारण करते समय सदा उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए !

नवग्रह कवच - Navagraha Kavach

ॐ शिरो मे पातु मार्ताण्डो कपालं रोहिणीपतिः ।
मुखमङ्गारकः पातु कण्ठश्च शशिनन्दनः ॥ १ ॥

बुद्धिं जीवः सदा पातु हृदयं भृगुनन्दनः ।
जठरं च शनिः पातु जिह्वां मे दितिनन्दनः ॥ २ ॥

पादौ केतुः सदा पातु वाराः सर्वाङ्गमेव च ।
तिथयोऽष्टौ दिशः पान्तु नक्षत्राणि वपुः सदा ॥ ३ ॥

अंसौ राशिः सदा पातु योगाश्च स्थैर्यमेव च ।
गुह्यं लिङ्गं सदा पान्तु सर्वे ग्रहाः शुभप्रदाः ॥ ४ ॥

अणिमादीनि सर्वाणि लभते यः पठेद् धृवम् ।
एतां रक्षां पठेद् यस्तु भक्त्या स प्रयतः सुधीः ॥ ५ ॥

स चिरायुः सुखी पुत्री रणे च विजयी भवेत् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं धनार्थी धनमाप्नुयात् ॥ ६ ॥

दारार्थी लभते भार्यां सुरूपां सुमनोहराम् ।
रोगी रोगात्प्रमुच्येत बद्धो मुच्येत बन्धनात् ॥ ७ ॥

जले स्थले चान्तरिक्षे कारागारे विशेषतः ।
यः करे धारयेन्नित्यं भयं तस्य न विद्यते ॥ ८ ॥

ब्रह्महत्या सुरापानं स्तेयं गुर्वङ्गनागमः ।
सर्वपापैः प्रमुच्येत कवचस्य च धारणात् ॥ ९ ॥

नारी वामभुजे धृत्वा सुखैश्वर्यसमन्विता ।
काकवन्ध्या जन्मवन्ध्या मृतवत्सा च या भवेत् ।

बह्वपत्या जीववत्सा कवचस्य प्रसादतः ॥ १० ॥

इति ग्रहयामले उत्तरखण्डे नवग्रह कवच समाप्तम् ।

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नवग्रह से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर - Navagrah Se Sambandhit Mahatvapoorn Prashn Uttar

नवग्रह कवच पढ़ने से क्या होता है?

इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, शत्रु बाधा, अनिष्ट नजर, अशुभ प्रभाव और अमंगलकारी आदि से मुक्ति मिलती है। नवग्रह कवच से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली, धन -सम्पत्ति, वैभव और यश की प्राप्ति होती है।  ओम शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:।

नवग्रह बीज मंत्र क्या है?

आइए जानते हैं नवग्रह के नौ मंत्रों के बारे में. ॐ भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि। तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।।

कौन सा मंत्र सभी ग्रहों को नियंत्रित करता है?

मंत्र:- 'ओम श्रां श्रीं स्रौं सः केतवे नमः' या 'ओम केम केत केतवे नमः'। माना जाता है कि ये मंत्र ग्रहों के प्रभाव को शांत करने और किसी के जीवन में उनके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।

नवग्रह शांति मंत्र कौन सा है?

“ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च। गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।” इस मंत्र में त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानि शंकर भगवान से सभी सभी ग्रहों की शांति के लिए प्रार्थना की है, जिस प्रकार नवग्रह यंत्र की स्थापना और उसकी पूजा नवग्रह शांति के लिए की जाती है।

नवग्रह को खुश कैसे करें?

आप कई तरीकों से ग्रह देवताओं को प्रसन्न कर सकते हैं जैसे कि सप्ताह के संबंधित दिनों में ग्रह देवताओं के लिए मंत्रों का जाप और स्तुति करना, अपनी आत्मा, मन को शुद्ध करने और नवग्रहों को शांत करने के लिए उपवास करना, और वंचितों को दान देना। जो जरूरतमंद हैं !

नवग्रह के 9 दाने कौन से हैं?

ज्योतिषशास्त्र में नवग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु हैं. नवग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए उनके शुभ रत्न धारण करने का सुझाव दिया जाता है. ये रत्न अपने शुभ प्रभावों से ग्रह दोष को कम या खत्म कर देते हैं !

नवग्रह स्तोत्र कब पढ़ना है?

किंवदंतियों के अनुसार नवग्रह स्तोत्र का जाप एक दिन में 108 बार किया जा सकता है। नियमित नवग्रह स्तोत्र का जाप दिन में एक बार या हर शाम एक बार किया जा सकता है, प्रत्येक ग्रह के लिए विशिष्ट मंत्रों के साथ जितनी बार आवश्यक हो उतनी बार जाप किया जा सकता है।

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