माता सीता जयंती शुभ समय और महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, जानकी जयंती के दिन दान करने से विशेष फ़ायदे मिलते हैं. इस दिन सुहागिन महिलाओं को अपने सुहाग से जुड़ी चीज़ों का दान करना चाहिए. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जानकी जयंती के दिन भगवान श्री राम और माता जानकी की पूजा करने से भी वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं. इस दिन माता सीता को पीले फूल, कपड़े, और श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है. माता सीता से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधिवत माँ सीता और श्री राम की जोड़े में पूजा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं खत्म हो जाती हैं !
माता सीता जयंती शुभ समय
माता सीता जयंती, जिसे सीता नवमी या जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है, हर साल हिंदू कैलेंडर के वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष के नौवें दिन मनाई जाती है। 2024 में, सीता नवमी 16 मई गुरुवार को सुबह 6:22 बजे से शुक्रवार, 17 मई को सुबह 8:48 बजे तक मनाई जाएगी। सीता नवमी का शुभ समय 16 मई को सुबह 10:56 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा। सीता जयंती भगवान राम की दिव्य पत्नी देवी सीता की जयंती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन देवी सीता धरती से प्रकट हुई थीं। यह त्यौहार पवित्रता, भक्ति और महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक है। सीता जयंती मनाने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:-
- उपवास, जो त्योहार के दिन सूर्योदय से शुरू हो सकता है
- पूरे दिन पानी पीना
- दूध, फल, मेवे और सूखे मेवों का सादा भोजन करें
- शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं
- विशेष पूजा के लिए भगवान राम के मंदिरों में जाना और रामायण का पाठ करना !
Mata Seeta Jayantee Shubh Samay Aur Mahatv |
माता सीता जयंती महत्व
माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जानकी जयंती या सीता अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन को माता सीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन माता सीता ने मनुष्य रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था. इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा की जाती है.
सीता जयंती के दिन माता सीता की पूजा करने के कई महत्व बताए जाते हैं:-- इस दिन सुहागन महिलाएं व्रत रखकर पूजा-पाठ करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और पति की आयु लंबी होती है !
- इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-उपासना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं !
- इस दिन माता सीता की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि और शांति मिलती है !
- देवी मां की कृपा से व्यक्ति को अच्छे गुणों की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है !
- माना जाता है कि सीता नवमी के दिन पूजा-पाठ करने से रोग, दोष और पारिवारिक कलह से मुक्ति प्राप्त हो जाती है !
- सीता जयंती के दिन पूजा में चावल, धूप, दीप, लाल रंग के फूल, सुहाग की सामग्री अवश्य शामिल करनी चाहिए. भोग में सात्विक भोजन लगाना चाहिए !
सीता की पूजा क्यों की जाती है?
वह भगवान विष्णु के अवतार राम की पत्नी हैं और उन्हें विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह राम-केंद्रित हिंदू परंपराओं की प्रमुख देवी भी हैं। सीता अपने समर्पण, आत्म-बलिदान, साहस और पवित्रता के लिए जानी जाती हैं ।
सीता जयंती पर क्या करें?
भक्त देवी सीता, भगवान राम, भगवान हनुमान और लक्ष्मण की स्तुति में एक बड़े जुलूस में भाग लेते हैं और भगवान राम मंदिरों में समूहों में बैठकर रामायण के महान महाकाव्य का पाठ करते हैं। भजन, कीर्तन और आरती सीता नवमी या सीता जयंती के कुछ महत्वपूर्ण आकर्षण हैं।
माता सीता किसका अवतार थे?
माता सीता प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी थीं और महाराज जनक की पुत्री थीं। उन्हें लक्ष्मी जी का अवतार भी माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि जब विष्णु जी के अवतार के रूप में भगवान श्री राम ने धरती पर अवतार लिया तब माता सीता ने लक्ष्मी के अवतार के रूप में जन्म लिया।
टिप्पणियाँ