अष्टलक्ष्मी स्तोत्र ! Ashtalakshmi Stotra
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम, देवी लक्ष्मी के आठ पहलुओं की प्रशंसा करने वाला एक हिंदू मंत्र है. यह संस्कृत में लिखा गया एक पवित्र स्तोत्र है और इसे ऋषि व्यास ने लिखा है. अष्टलक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और वेदों के प्राचीन ग्रंथों में उनकी प्रशंसा की गई है. कहा जाता है कि अगर देवी लक्ष्मी किसी पर प्रसन्न हो जाएं, तो उसका जीवन धन-धान्य से भर जाता है. आर्थिक तंगी, दरिद्रता, और पैसों से जुड़ी दूसरी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. अष्टलक्ष्मी स्तोत्र को बेहद चमत्कारी माना जाता है और हर शुक्रवार को इसका पाठ करने से व्यक्ति को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है !
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने का तरीका:-
- घर को गंगाजल से शुद्ध करें.
- ईशान कोण की दिशा में मां लक्ष्मी की चांदी की प्रतिमा या तस्वीर लगाएं.
- श्री यंत्र को सामने रखें और उसे प्रणाम करें.
- अष्टलक्ष्मी का नाम लेते हुए उन्हें प्रणाम करें.
- धूप, दीप, गंध, और सफ़ेद फूलों से मां की पूजा करें.
- मंत्र बोलें.
- लक्ष्मी जी की कथा सुनें.
- लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं !
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Ashtalakshmi Stotra |
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र ! Ashtalakshmi Stotra
आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहॊदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥
धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 2 ॥
धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते
जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥
गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥
सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 5 ॥
विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 6 ॥
विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥
धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥
फलशृति
श्लो॥ अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥
श्लो॥ शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के कुछ फ़ायदे-
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित एक दिव्य मंत्र है मान्यता है कि इस स्तोत्र का रोज़ाना सुबह-शाम पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के कुछ फ़ायदे ये हैं:-
- जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है
- धन संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं
- मां लक्ष्मी की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है
- व्यक्ति का विश्लेषणात्मक कौशल बेहतर होता है
- उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है
- व्यक्ति शांत, संयमित, आनंदमय और सुखद रहता है
- जो भी कार्य करेगा, उसे अपनी सर्वोत्तम क्षमता से करेगा
- जीवन के कष्टों का निवारण होता है
- दरिद्रता दूर होती है
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