मंगल प्रदोष (भौम प्रदोष) व्रत कथा ! Mangal Pradosh Vrat Katha !
मंगलवार को आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से रोग, कर्ज और मंगल दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है. भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी की पूजा करने से भी मंगल देव प्रसन्न होते हैं. हनुमान जी को भगवान शिव का ही रूद्रावतार माना जाता है
मंगल प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है. इस व्रत को कोई भी रख सकता है. प्रदोष का व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. इसके बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए !
भौम प्रदोष व्रत, मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने पर मनाया जाता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो, उसे भौम प्रदोष का व्रत ज़रूर रखना चाहिए. धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, प्रदोष व्रत रखने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है और दरिद्रता का नाश होता है. इस दिन पूजा-पाठ करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं !
भौम प्रदोष व्रत का महत्व:-
- इस दिन शिव और हनुमान जी की पूजा की जाती है !
- इस दिन शिव की पूजा करने से हर तरह के दोष दूर हो जाते हैं !
- हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु बाधा शांत होती है और कर्ज़ से मुक्ति मिलती है !
- इस दिन भगवान हनुमान को घी की नौ बाती वाला दीपक जलाने से हर तरह के कर्ज़ से मुक्ति मिलती है !
- इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं और शिव-हनुमान की विशेष कृपा होती है !
- इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से भक्तों को उनकी इच्छाओं के करीब ले जाया जा सकता है !
- इस दिन देवताओं की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली आती है !
- इस दिन शिवलिंग पर गाजर के हल्वे का भोग लगाकर गरीबों में बांटना चाहिए !
- इस दिन बरगद के वृक्ष पर मीठा दूध चढ़ाना चाहिए !
- इस दिन श्मशान घाट जाकर वहां के कर्मचारियों को दक्षिणा देनी चाहिए !
मंगल प्रदोष (bhaum pradosh) व्रत कथा ! Mangal Pradosh Vrat Katha !
प्राचीन काल में एक नगर में एक वृद्धा निवास करती थी । उसके मंगलिया नामक एक पुत्र था । वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी । वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी । उस दिन वह न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती थी । वृद्धा को व्रत करते हुए अनेक दिन बीत गए । एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची । हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वहां गए और पुकारने लगे -“है कोई हनुमान भक्त जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?’ पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- ‘आज्ञा महाराज?’ साधु वेशधारी हनुमान बोले- ‘मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा । तू थोड़ी जमीन लीप दे।’ वृद्धा दुविधा में पड़ गई । अंततः हाथ जोड़ बोली- “महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी ।” साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- ‘तू अपने बेटे को बुला । मै उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाउंगा ।’ वृद्धा के पैरों तले धरती खिसक गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी । उसने मंगलिया को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया । मगर साधु रूपी हनुमान जी ऐसे ही मानने वाले न थे । उन्होंने वृद्धा के हाथों से ही मंगलिया को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई । आग जलाकर, दुखी मन से वृद्धा अपने घर के अन्दर चली गई । इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- ‘मंगलिया को पुकारो, ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।’ इस पर वृद्धा बहते आंसुओं को पौंछकर बोली -‘उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।’ लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने मंगलिया को आवाज लगाई । पुकारने की देर थी कि मंगलिया दौड़ा-दौड़ा आ पहुंचा । मंगलिया को जीवित देख वृद्धा को सुखद आश्चर्य हुआ । वह साधु के चरणों मे गिर पड़ी । साधु अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए । हनुमान जी को अपने घर में देख वृद्धा का जीवन सफल हो गया । सूत जी बोले- “मंगल प्रदोष व्रत से शंकर (हनुमान भी रुद्र हैं) और पार्वती जी इसी तरह भक्तों को साक्षात् दर्शन दे कृतार्थ करते हैं !
मंगल प्रदोष व्रत के कई फ़ायदे हैं
- भगवान शिव की कृपा मिलती है
- कर्ज़ से मुक्ति मिलती है
- कुंडली के मंगल दोष के दुष्प्रभाव दूर होते हैं
- शारीरिक कष्ट दूर होते हैं
- मन को शांति मिलती है
- मन का विकार दूर होता है
- पराक्रम और साहस बढ़ता है
- हनुमान साधना करने से आत्मविश्वास, ओज, और तेजस्विता मिलती है
मंगल प्रदोष व्रत करने का तरीका
- ब्रह्मवेला में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले 'अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये' यह कहकर व्रत का संकल्प लें
- शिवजी की पूजा-अर्चना करें
- सारा दिन उपवास रखें
- शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप, भोग चढ़ाएं
- शिव मंत्र का जाप करें
- शाम के समय एक बार फिर से स्नान करके उत्तर की ओर मुख करके महादेव की अर्चना और हनुमान चालीसा का पाठ करें !
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