Laxmi Chalisa : माता लक्ष्मी जी की चालीसा ! Chalisa of Mata Lakshmi Ji

माता लक्ष्मी जी की चालीसा ! Chalisa of Mata Lakshmi Ji

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है और सुख-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. माना जाता है कि लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति को माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है. लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से वैभव लक्ष्मी की कृपा बरसती है, जिससे मान-सम्मान बढ़ता है और धन-धान्य भी भरा रहता है. लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सिद्धि-बुद्धि, धन-बल, और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है. इससे व्यक्ति धनी बनता है, तरक्की करता है, और हर तरह के सुख का भागीदार बनता है. उसके घर में सुख-शांति और वेभव का वास होता है और वह हमेशा बुरी नज़रों से दूर रहता है !

Chalisa of Mata Lakshmi Ji

धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, किसी भी खास अवसर पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने का बहुत महत्व है. खासकर लक्ष्मी जयंती और दिवाली के दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ किया जाता है लक्ष्मी चालीसा का पाठ सुबह-शाम नहाकर और साफ़ कपड़े पहनकर घर में पूजा के स्थान पर या लक्ष्मी मंदिर में जाकर करना चाहिए. इस दौरान जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए और आराम से और बिना गड़बड़ी किए पाठ करना चाहिए !

श्री लक्ष्मी चालीसा ! Lakshmi Chalisa !

॥ दोहा॥

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥

॥ सोरठा॥

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥

ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥

॥ दोहा॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। 
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। 
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥

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मां लक्ष्मी चालीसा पढ़ने के कई फ़ायदे बताए जाते हैं :-

  • इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं !
  • लगातार 40 दिनों तक चालीसा पढ़ने से सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है !
  • इससे सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है !
  • इससे सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है !
  • इससे घर में सुख-शांति और वेभव का वास होता है !
  • इससे व्यक्ति हमेशा बुरी नज़रों से दूर रहता है !
  • इससे मन शांत होता है और व्यक्ति को दिव्य शक्ति का समर्थन मिलता है !
  • इससे आत्मिक शक्ति और संरचनात्मक ऊर्जा बढ़ती है !
  • इससे परिवार में समर्पण और प्रेम बढ़ता है !
  • इससे व्यक्ति का संविदान कल्याणकारी होता है !
  • इससे व्यक्ति को दूसरों के प्रति उदारता और करुणा की भावना मिलती है !
  • इससे मानसिक और दैहिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है !
  • इससे तनाव कम होता है और मनोबल बढ़ता है !

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