Kalika Ashtakam ! कालिका अष्टकम ! काली अष्टकम लाभ
- काली अष्टकम का जाप करने से देवी काली के मार्गदर्शन, सुरक्षा, और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है !
- काली अष्टकम का जाप करने से संकट के समय, चुनौतियों का सामना करने, या आध्यात्मिक उत्थान के दौरान लाभ मिलता है !
- काली अष्टकम का नियमित अभ्यास करने से सभी भौतिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं !
- काली अष्टकम का जाप करने से मस्त शत्रुओं पर वज्र की तरह प्रहार करने और उनसे बचने में मदद मिलती है !
Kalika Ashtakam! Kali Ashtakam Benefits |
कालिका अष्टकम || Kalika Ashtakam
भुजे वामयुग्मे शिरोsसिं दधाना वरं दक्षयुग्मेsभयं वै तथैव ।
सुमध्याsपि तुङ्गस्तनाभारनम्रा लसद् रक्तसृक्कद्वया सुस्मितास्या ॥२॥
शवद्वन्द्वकर्णावतंसा सुकेशी लसत्प्रेतपाणिं प्रयुक्तैककाञ्ची ।
शवाकारमञ्चाधिरूढा शिवाभि-श्चर्दिक्षुशब्दायमानाsभिरेजे ॥३॥
!! कालिका अष्टकम स्तुति !!
जगन्मोहिनीयं तु वाग्वादिनीयं, सुहृदपोषिणी शत्रुसंहारणीयं।
वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥2॥
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली, मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात।
तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥3॥
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता, लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते।
जपध्यान पुजासुधाधौतपंका, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥4॥
चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द, शरच्चन्द्र कोटिप्रभापुन्ज बिम्बं।
मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥5॥
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा, कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया।
न बाला न वृद्धा न कामातुरापि, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥6॥
क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं, मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतंयत्।
तवध्यान पूतेन चापल्यभावात्, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥7॥
यदि ध्यान युक्तं पठेद्यो मनुष्य, स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च।
गृहे चाष्ट सिद्धिर्मृते चापि मुक्ति, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥8॥
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