शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया हैअक्षय तृतीया का महत्व, In the scriptures, Akshaya Tritiya date is considered to be an unknown auspicious time. Importance of Akshaya Tritiya.

शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।

शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस तिथि पर किसी भी तरह के शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए मुहूर्त का विचार करना जरूरी नहीं होता है क्योंकि पूरी तिथि ही शुभ होती है। अक्षय तिथि जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट हो रहा है कि ऐसी तिथि जिसका क्षय न हो सके।
अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। आइए जानें 25 बातों से अक्षय तृतीया का महत्व !

 Akshaya Tritiya date is considered to be an unknown auspicious time.
  1. नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है। इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं...
  2. अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा
  3. धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।  
  4. वैशाख मास की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया के कारण अक्षुण्ण हो जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।
  5. यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है। 
  6. यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल को ‘दान’ इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  7. ‘वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के रुप में मनाया जाता है भारतीय जनमानस में यह अक्षय तीज के नाम से प्रसिद्ध है। 
  8. पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान,दान,जप,स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं ।
  9. यदि इसी दिन रविवार हो तो वह सर्वाधिक शुभ और पुण्यदायी होने के साथ-साथ अक्षय प्रभाव रखने वाली भी हो जाती है।
  10. “न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।
    न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।”

  11. इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।शास्त्रों की इस मान्यता को वर्तमान में व्यापारिक रूप दे दिया गया है जिसके कारण अक्षय तृतीया के मूल उद्देश्य से हटकर लोग खरीदारी में लगे रहते हैं। वास्तव में यह वस्तु खरीदने का दिन नहीं है। वस्तु की खरीदारी में आपका संचित धन खर्च होता है।वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया  समान कोई तिथि नहीं है। 
  12. मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है। 
  13. दीन दुखियों की सेवा करना, वस्त्रादि का दान करना ओर शुभ कर्म की ओर अग्रसर रहते हुए मन वचन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है। 
  14. कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करके दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चय ही अगले जन्म में समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है। 
  15. भविष्य पुराण के एक प्रसंग के अनुसार शाकल नगर रहने वाले एक वणिक नामक धर्मात्मा अक्षय तृतीया के दिन पूर्ण श्रद्धा भाव से स्नान ध्यान व दान कर्म किया करता था जबकि उसकी पत्नी उसको मना करती थी,मृत्यु बाद किए गए दान पुण्य के प्रभाव से वणिक द्वारकानगरी में सर्वसुख सम्पन्न राजा के रुप में अवतरित हुआ। 
  16. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल,अनाज,गन्ना,दही,सत्तू,फल,सुराही,हाथ से बने पंखे वस्त्रादिल का दान करना विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है। 
  17. दान को वैज्ञानिक तर्कों में ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जा सकता है। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह दिवस सर्वश्रेष्ठ है।
  18. यदि अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र को आए तो इस दिवस की महत्ता हजारों गुणा बढ़ जाती है, ऐसी मान्यता है। किसानों में यह लोक विश्वास है कि यदि इस तिथि को चंद्रमा के अस्त होते समय रोहिणी आगे होगी तो फसल के लिए अच्छा होगा और यदि पीछे होगी तो उपज अच्छी नहीं होगी।
  19. इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था।
  20. रेणुका के पुत्र परशुराम और ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इस दिन श्वेत पुष्पों से पूजन कल्याणकारी माना जाता है।
  21. धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में एक माना जाता है।
  22. दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।
  23. मृत्यु के बाद जब अन्य लोक में जाना पड़ता है तब उस धन से दिया गया दान विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। पुनर्जन्म लेकर जब धरती पर आते हैं तब भी उस कोष में जमा धन के कारण धरती पर भौतिक सुख एवं वैभव प्राप्त होता है। इस दिन स्वर्ण, भूमि, पंखा, जल, सत्तू, जौ, छाता, वस्त्र कुछ भी दान कर सकते हैं। जौ दान करने से स्वर्ण दान का फल प्राप्त होता है।
  24. इस तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।
  • अक्षय तृतीया पर भगवान श्रीकृष्ण की करें विशेष पूजा
पंचामृत से स्नान करवाएं। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। पीले फूलों की माला चढ़ाएं। गोपी चंदन व हल्दी, कुमकुम आदि का तिलक लगाएं।
  • अक्षय तृतीया वाले दिन क्या करते हैं?
अक्षय तृतीया धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है. इस दिन पूजा पाठ, दान पुण्य और जप को अक्षय फल प्राप्त होता हैइस दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना से माता लक्ष्मी भक्तों पर अपार कृपा करती हैं.
  • अक्षय तृतीया क्यों है खास?
अक्षय तृतीया को कई वजहों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था
  • अक्षय तृतीया पर क्या लेना शुभ होता है?
अक्षय तृतीया पर मिट्टी का घड़ा, बर्तन, कौड़ी, जौ, पीली सरसों, दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र या धनिया खरीदना भी शुभ माना गया है. ये चीजें घर लाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है. अक्षय तृतीया के दिन प्लास्टिक जैसी अशुद्ध धातु की चीजें, काला कपड़ा, कांटेदार या धारदार सामान खरीदने से बचना चाहिए

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