गुरु - बृहस्पति चालीसा ! Guru Brhaspati Chalisa

गुरु - बृहस्पति चालीसा ! Guru Brhaspati Chalisa

बृहस्पति देवता (Lord Brihaspati) को देवताओं का गुरु माना गया है, जो कि किसी भी व्यक्ति को ज्ञान और सौभाग्य का वरदान प्रदान करते हैं. मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा हो जाए तो उसे जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है. पुराणों में बृहस्पति को महर्षि अंगिरा का पुत्र बताया गया है

गुरु - बृहस्पति चालीसा ! Guru Brhaspati Chalisa

सूर्य से पाँचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह मुख्य रूप से एक गैस पिंड है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

गुरु - बृहस्पति चालीसा ! Guru Brhaspati Chalisa

।। दोहा ।।

प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण,
बुद्धि ज्ञान गुन खान ।

श्री गणेश शारद सहित,
बसों ह्रदय में आन ।

अज्ञानी मति मंद मैं,
हैं गुरुस्वामी सुजान ।

दोषों से मैं भरा हुआ हूँ,
तुम हो कृपा निधान ।

।। चौपाई ।।

जय नारायण जय निखिलेश्वर ।
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर ।।

यंत्र मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता ।
भारत भू के प्रेम प्रेनता ।।

जब जब हुई धरम की हानि ।
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी ।।

सच्चिदानंद गुरु के प्यारे ।
सिद्धाश्रम से आप पधारे ।।

उच्चकोटि के ऋषि मुनि स्वेच्छा ।
ओय करन धरम की रक्षा ।।

अबकी बार आपकी बारी ।
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी ।।

मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा ।
मुल्तानचंद पिता कर नामा ।।

शेषशायी सपने में आये ।
माता को दर्शन दिखलाये ।।

रुपादेवि मातु अति धार्मिक ।
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख ।।

जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की ।
पूजा करते आराधक की ।।

जन्म वृतन्त सुनाये नवीना ।
मंत्र नारायण नाम करि दीना ।।

नाम नारायण भव भय हारी ।
सिद्ध योगी मानव तन धारी ।।

ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित ।
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित ।।

एक बार संग सखा भवन में ।
करि स्नान लगे चिन्तन में ।।

चिन्तन करत समाधि लागी ।
सुध बुध हीन भये अनुरागी ।।

पूर्ण करि संसार की रीती ।
शंकर जैसे बने गृहस्थी ।।

अदभुत संगम प्रभु माया का ।
अवलोकन है विधि छाया का ।।

युग युग से भव बंधन रीती ।
जंहा नारायण वाही भगवती ।।

सांसारिक मन हुए अति ग्लानी ।
तब हिमगिरी गमन की ठानी ।।

अठारह वर्ष हिमालय घूमे ।
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें ।।

त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन ।
करम भूमि आये नारायण ।।

धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी ।
जय गुरुदेव साधना पूंजी ।।

सर्व धर्महित शिविर पुरोधा ।
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ।।

ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा ।
भारत का भौतिक उजियारा ।।

एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता ।
सीधी साधक विश्व विजेता ।।

प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता ।
भुत भविष्य के आप विधाता ।।

आयुर्वेद ज्योतिष के सागर ।
षोडश कला युक्त परमेश्वर ।।

रतन पारखी विघन हरंता ।
सन्यासी अनन्यतम संता ।।

अदभुत चमत्कार दिखलाया ।
पारद का शिवलिंग बनाया ।।

वेद पुराण शास्त्र सब गाते ।
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते ।।

पूजा कर नित ध्यान लगावे ।
वो नर सिद्धाश्रम में जावे ।।

चारो वेद कंठ में धारे ।
पूजनीय जन जन के प्यारे ।।

चिन्तन करत मंत्र जब गायें ।
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें ।।

मंत्र नमो नारायण सांचा ।
ध्यानत भागत भुत पिशाचा ।।

प्रातः कल करहि निखिलायन ।
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन ।।

निर्मल मन से जो भी ध्यावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति पावे ।।

पथ करही नित जो चालीसा ।
शांति प्रदान करहि योगिसा ।।

अष्टोत्तर शत पाठ करत जो ।
सर्व सिद्धिया पावत जन सो ।।

श्री गुरु चरण की धारा ।
सिद्धाश्रम साधक परिवारा ।।

जय जय जय आनंद के स्वामी ।
बारम्बार नमामी नमामी ।।

इति श्री बृहस्पति चालीसा !!

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बृहस्पति देव से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर - Brhaspati Dev Se Sambandhit Mahatvapoorn Prashn Uttar :-

बृहस्पति किसका अवतार है?

बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है, और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं।

गुरु ग्रह को मजबूत करने के उपाय

जैसे- सोना, हल्दी, चना, पीले फल आदि का दान करने से फायदा होगा। इस दिन धार्मिक या पढ़ाई की पुस्तकों का दान करना भी उत्तम रहता है। ऐसा करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं व बच्चों की शिक्षा में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

बृहस्पति भगवान को क्या पसंद है?

पीले फूल: बृहस्पति देव जी को पीले फूल बहुत पसंद होते हैं.
मान्यता है कि गुरुवार को बृहस्पति जी को पीला पुष्प अर्पित करने से वो बहुत प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा अन्य पुष्प भी आप पूजा में अर्पित कर सकते हैं. मान्यता है कि गुरुवार के दिन इन उपायों को करने से देवताओं के गुरु बृहस्पति बहुत खुश होते हैं.

बृहस्पति ग्रह से किस देवता का संबंध है?

भगवान बृहस्पति (जिन्हें देव गुरु बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है) या बृहस्पति ग्रह वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को संदर्भित करता है। महर्षि पराशर ने बृहस्पति को विशाल शरीर, गहरे भूरे बाल, गहरे भूरे रंग की आंखें, कफनाशक, बुद्धिमान और विद्वान पुरुष ग्रह बताया है। देव गुरु बृहस्पति सभी देवताओं के शिक्षक और प्रशिक्षक (गुरु) हैं।

आपको कैसे पता चलेगा कि बृहस्पति मजबूत है या कमजोर?

  • गुरु ज्ञान के कारक होते हैं 
  • गुरु को भाग्य का कारक भी माना जाता है 
  • पेट संबंधी शारीरिक समस्याएं जैसे कब्ज, गैस, अपच भी कमजोर गुरु का संकेत है !
  • समाज में मान-सम्मान की कमी होना, अचानक अच्छा खासा बिजनेस ठप हो जाना, तरक्की रुक जाना या सपने में बार-बार सांप दिखना भी कुंडली में खराब बृहस्पति का संकेत माना जाता है !

बृहस्पति खराब होने के क्या लक्षण है?

आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, सांप के सपने आना भी गुरु खराब की निशानी हैं। 
गुरु खराब होने की निशानी यह भी है कि आपका सोना खो जाता है या आप उसे गिरवी रख देते हैं या बेच देते हैं। 
व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं।

बृहस्पति का आशीर्वाद कैसे मिलता है?

यदि कुंडली में गुरु शुभ न हो, नीच हो, अस्त हो तो गुरुवार को बृहस्पति देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के कुछ उपाय करने से लाभ मिलता है। इसके लिए गुरुवार को मंदिर में या किसी जरूरतमंद को चने की दाल दान करें। बृहस्पतिवार को धार्मिक पुस्तकों का दान करें। इससे भी बृहस्पति देव का आर्शीवाद मिलता है।

कैसे पता चलेगा कि बृहस्पति शुभ है या अशुभ?

पहले, दूसरे, पांचवें और सातवें घरों में बृहस्पति की लाभकारी स्थिति आशावाद, धन, रचनात्मकता और सामंजस्यपूर्ण रिश्ते लाती है। हालाँकि, चौथे और दसवें घर में अशुभ स्थिति संवेदनशीलता, चुनौतीपूर्ण रिश्ते, अहंकारी मुद्दे और कम दोस्त पैदा कर सकती है।

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