दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ! Daaridray Dahan Shiv Stotr

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ! Daaridray Dahan Shiv Stotr

ऋषि वशिष्ठ ने दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र की रचना की है. इसका मूल अर्थ है कि शिव किसी भी तरह की गरीबी और दुख को भस्म कर देते हैं. 
ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है. अगर कोई व्यक्ति कष्ट में है, तो उसे खुद ही इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. अगर संकट बहुत ज़्यादा है, तो शिव मंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने रोज़ तीन बार इसका पाठ करना चाहिए. अगर रोज़ पाठ नहीं कर सकते, तो हर रविवार को भी इसका पाठ किया जा सकता है !
इस स्तोत्र का पाठ करने से मन समृद्ध बनता है, जिससे व्यक्ति को अपने कारोबार के प्रति नकारा त्मक विचार नहीं आते और उसे दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. इस स्तोत्र का रक्षात्मक पाठ करने के लिए किसी गुरु की दीक्षा की ज़रूरत नहीं होती. इसे शुचिता और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए सुबह या शाम किसी भी समय पढ़ा जा सकता है. इसे 11, 21, या 108 दिनों के लिए या हमेशा पढ़ा जा सकता है !

Daaridray Dahan Shiv Stotr

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ! Daaridray Dahan Shiv Stotr

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय !

॥ इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ

  • कर्ज़ में डूबे व्यक्ति को कर्ज़ से जल्दी मुक्ति मिलती है.
  • आर्थिक संकट, व्यापार में घाटा, कर्ज़, और दिए गए उधार की वसूली न हो पाना जैसे आर्थिक संकट दूर होते हैं.
  • भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है.
  • मन में स्थिरता और आत्मविश्वास आता है.
  • अपार शक्ति, सौंदर्य, और मानसिक शक्ति मिलती है.
  • भगवान का आशीर्वाद मिलता है.
  • धन-वैभव की प्राप्ति होती है.
  • अचल संपत्ति का लाभ होता है.
  • रोगनाश होता है 

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