बुध प्रदोष व्रत कथा ! Budha Pradosh Vrat Katha
बुध प्रदोष व्रत
बुध प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की आराधना करने से लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुछ खास उपाय करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं भी दूर होती हैं !
बुध प्रदोष व्रत वाले दिन प्रदोष काल में यानी शाम को पूजा करनी चाहिए. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ़ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए. लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. हालांकि, पूर्ण उपवास या फलाहार भी किया जा सकता है !
इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से कई फ़ायदे होते हैं:-
- लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं
- मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है
- वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं
- घर में सुख-समृद्धि आती है
- कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत होती है
बुध प्रदोष व्रत कथा ! (Pradosh Vrat Katha
प्राचीन काल की कथा है, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लाने के लिये ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के दिन ही पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा। उस पुरुष के सास-ससुर ने, साले-सालियों ने उसको समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है, लेकिन वह पुरुष नहीं माना. विवश होकर सास-ससुर को अपने जमाता और पुत्री को भारी मन से विदा करना पड़ा।
पति-पत्नी बैलगाड़ी में चले जा रहे थे। एक नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिये पानी लेने गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये पुरुष के लाये लोटे से पानी पीकर, हँस-हँसकर बात कर रही है। वह पराया पुरुष बिल्कुल इसी पुरुष के शक्ल-सूरत जैसा था। यह देखकर वह पुरुष दूसरे अन्य पुरुष से क्रोध में आग-बबूला होकर लड़ाई करने लगा। धीरे-धीरे वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी। इतने में एक सिपाही भी आ गया। सिपाही ने स्त्री से पूछा कि सच-सच बता तेरा पति इन दोनों में से कौन है? लेकिन वह स्त्री चुप रही क्योंकि दोनों पुरुष हमशक्ल थे।
बीच राह में पत्नी को इस तरह देखकर वह पुरुष मन ही मन शंकर भगवान की प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मुझे और मेरी पत्नी को इस मुसीबत से बचा लो, मैंने बुधवार के दिन अपनी पत्नी को विदा कराकर जो अपराध किया है उसके लिये मुझे क्षमा करो। भविष्य में मुझसे ऐसी गलती नहीं होगी।
श्री शंकर भगवान उस पुरुष की प्रार्थना से द्रवित हो गये और उसी क्षण वह अन्य पुरुष कही अंर्तध्यान हो गया. वह पुरुष अपनी पत्नी के साथ सकुशल अपने नगर को पहुँच गया। इसके बाद से दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार प्रदोष व्रत करने लगे। बोलो उमापति शंकर भगवान की जय।
बुध प्रदोष व्रत के कुछ नियम
- प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें !
- साफ़ वस्त्र पहनें !
- हाथ में पवित्र जल, फूल, और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें !
- शिव परिवार और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें !
- शिवलिंग में जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि चढ़ाकर अभिषेक करें !
- सफ़ेद चंदन, फूल, माला, धतूरा, शमी की पत्तियां, भस्म, फल आदि चढ़ाएं !
- घी का दीपक और धूप जलाकर आरती करें !
- दिन में भगवान शिव का मनन और कीर्तन करें !
- शाम के समय एक बार फिर स्नान करें !
- सूर्यास्त के समय प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करें !
- प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें !
- कुश के आसन पर उत्तर-पूर्व की दिशा में बैठकर भगवान शिव की पूजा करें !
- जलाभिषेक के साथ ही 'ऊं नम: शिवाय:' का जाप करते रहें !
- प्रदोष व्रत को व्रती को निर्जला रखना चाहिए !
- प्रदोष काल उपवास में सिर्फ़ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए !
- प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल, और सादा नमक नहीं खाना चाहिए !
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