असित कृतं शिव स्तोत्रम ! Asit Kritam Shiv Stotram
Asit Kritam Shiv Stotram |
असित कृतं शिव स्तोत्रम ! Asit Kritam Shiv Stotram
असित उवाच ॥
जगद्गुरो नम्स्तुभ्यं शिवाय शिवदाय च ।
योगीन्द्राणां च योगीन्द्र गुरूणां गुरवे नमः ॥१॥
मृत्योर्मृत्युस्वरूपेण मृत्युसंसारखण्डन ।
मृत्योरीश मृत्युबीज मृत्युञ्जय नमोऽस्तु ते ॥२॥
कालरूपं कलयतां कालकालेश कारण ।
कालादतीत कालस्थ कालकाल नमोऽस्तु ते ॥३॥
गुणातीत गुणाधार गुणबीज गुणात्मक ।
गुणीश गुणिनां बीज गुणिनां गुरवे नमः ॥४॥
ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मज्ञ ब्रह्मभावे च तत्पर ।
ब्रह्मबीज स्वरूपेण ब्रह्मबीज नमोऽस्तु ते ॥५॥
इति स्तुत्वा शिवं नत्वा पुरस्तस्थौ मुनीश्वरः ।
दीनवत्साश्रुनेत्रश्च पुळकाञ्चितविग्रहः ॥६॥
स्तोत्र फलश्रुति :-
असितेन कृतं स्तोत्रं भक्तियुक्तश्च यः पठेत ।
वर्षमेकं हविष्याशी शङ्करस्य महात्मनः ॥७॥
स लभेद्वैष्णवं पुत्रं ज्ञानिनं चिरजीविनम ।
दरिद्रो भवेद्धनाढ्यो मूको भवति पण्डितः ॥८॥
अभार्यो लभते भार्यां सुशीलां च पतिव्रताम ।
इह लोके सुखं भुक्त्वा यात्यन्ते शिवसन्निधिम ॥९॥
इति श्रीब्रह्मवैवर्ते महापुराणे श्रीकृष्णजन्मखण्डे
असितकृतं शिवस्तोत्रं संपूर्णम ॥
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असित कृत शिव स्तोत्र का पाठ करने के कई फायदे
- जो व्यक्ति भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है और एक साल तक हर दिन हविष्य ग्रहण करता है, उसे ज्ञानी, चिरंजीवी और वैष्णव पुत्र की प्राप्ति होती है.
- जो व्यक्ति धनाभाव से दुखी है, उसे धन की प्राप्ति होती है.
- जो व्यक्ति गूंगा है, वह पंडित हो जाता है.
- अभार्य लोग सुशीला और पतिव्रता पत्नियां प्राप्त करते हैं.
- इस स्तोत्र का पाठ करने से लोक में सुख मिलता है और अंत में शिव की संनिधि मिलती है.
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