असित कृतं शिव स्तोत्रम ! Asit Kritam Shiv Stotram

असित कृतं शिव स्तोत्रम ! Asit Kritam Shiv Stotram

असितकृतं शिवस्तोत्रम् में कुल नौ श्लोक हैं पहले सात श्लोकों में भगवान शिव की स्तुति की गई है और आखिरी तीन श्लोकों में स्तोत्र पाठ करने के फ़ायदों के बारे में बताया गया है. भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सभी तरह के सांसारिक कष्टों को दूर करते हैं. भगवान आशुतोष की प्रसन्नता और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए !
असितकृतं शिवस्तोत्रम् के पहले श्लोक में असित कहते हैं, "जगद्गुरु! आपको नमस्कार है. आप शिव हैं और शिव (कल्याण) के दाता हैं. योगीन्द्रों के भी योगीन्द्र तथा गुरुओं के भी गुरु हैं; आपको नमस्कार है !

Asit Kritam Shiv Stotram

असितकृतं शिवस्तोत्र का महत्व यह माना जाता है कि जो व्यक्ति भक्तिभाव से इसका पाठ करता है और एक साल तक रोज़ हविष्य ग्रहण करता है, उसे ज्ञानी, चिरंजीवी, और वैष्णव पुत्र की प्राप्ति होती है !
हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा पाने वाले के जीवन में कष्ट और भय से मुक्ति मिलती है !

असित कृतं शिव स्तोत्रम ! Asit Kritam Shiv Stotram

असित उवाच ॥ 

जगद्गुरो नम्स्तुभ्यं शिवाय शिवदाय च । 
योगीन्द्राणां च योगीन्द्र गुरूणां गुरवे नमः ॥१॥

मृत्योर्मृत्युस्वरूपेण मृत्युसंसारखण्डन । 
मृत्योरीश मृत्युबीज मृत्युञ्जय नमोऽस्तु  ते ॥२॥

कालरूपं कलयतां कालकालेश कारण । 
कालादतीत कालस्थ कालकाल नमोऽस्तु ते ॥३॥ 
गुणातीत गुणाधार गुणबीज गुणात्मक । 
गुणीश गुणिनां बीज गुणिनां गुरवे नमः ॥४॥ 
ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मज्ञ ब्रह्मभावे च तत्पर । 
ब्रह्मबीज स्वरूपेण ब्रह्मबीज नमोऽस्तु ते ॥५॥

इति स्तुत्वा शिवं नत्वा पुरस्तस्थौ मुनीश्वरः । 
दीनवत्साश्रुनेत्रश्च पुळकाञ्चितविग्रहः ॥६॥

 स्तोत्र फलश्रुति :-

असितेन कृतं स्तोत्रं भक्तियुक्तश्च यः पठेत । 
वर्षमेकं हविष्याशी शङ्करस्य महात्मनः ॥७॥ 

स लभेद्वैष्णवं पुत्रं ज्ञानिनं चिरजीविनम । 
दरिद्रो भवेद्धनाढ्यो मूको भवति पण्डितः ॥८॥ 

अभार्यो लभते भार्यां सुशीलां च पतिव्रताम । 
इह लोके सुखं भुक्त्वा यात्यन्ते शिवसन्निधिम ॥९॥ 

इति श्रीब्रह्मवैवर्ते महापुराणे श्रीकृष्णजन्मखण्डे 
असितकृतं शिवस्तोत्रं संपूर्णम ॥ 

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असित कृत शिव स्तोत्र का पाठ करने के कई फायदे

  • जो व्यक्ति भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है और एक साल तक हर दिन हविष्य ग्रहण करता है, उसे ज्ञानी, चिरंजीवी और वैष्णव पुत्र की प्राप्ति होती है.
  • जो व्यक्ति धनाभाव से दुखी है, उसे धन की प्राप्ति होती है.
  • जो व्यक्ति गूंगा है, वह पंडित हो जाता है.
  • अभार्य लोग सुशीला और पतिव्रता पत्नियां प्राप्त करते हैं.
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से लोक में सुख मिलता है और अंत में शिव की संनिधि मिलती है. 

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