अर्धनारीश्वर स्तोत्र ! Ardhanarishwar Stotra!

अर्धनारीश्वर स्तोत्र ! Ardhanarishwar Stotra!

अर्धनारीश्वर स्तोत्र को श्री शंकराचार्य ने लिखा है. ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही, इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और भाग्य का दरवाज़ा खुल सकता है. इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन आनंदमय हो जाता है. कहा जाता है कि जो भक्तिपूर्वक इसका पाठ करता है, वह समाज में सम्मानित होता है, दीर्घजीवी बनता है, और अनंत काल के लिए सौभाग्य और सिद्धियां प्राप्त करता है !

Ardhanarishwar Stotra!

अर्धनारीश्वर स्वरूप का मतलब है आधा स्त्री और आधा पुरुष. भगवान शिव के इस स्वरूप के आधे हिस्से में पुरुष रूपी शिव का वास है और आधे हिस्से में स्त्री रूपी शिवा यानी शक्ति का वास है. भगवान का यह रूप संकेत देता है कि स्त्री और पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलु हैं और दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं.

अर्धनारीश्वर स्तोत्र ! Ardhanarishwar Stotra!

चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवयै च नमः शिवाय ॥१॥

कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।
कॄतस्मरायै विकॄतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥२॥ 

चलत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गादाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥३॥

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय  नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥४॥

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्यांबरायै च दिगंबराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ।५॥

अंभोधरश्यामळकुन्तळायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥६॥

प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥७॥

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥८॥

एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः ॥९॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्य
श्रीमच्छङ्करभगवत्प्रणीतमर्धनारीनटेश्वरस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

अर्धनारीश्वर स्तोत्र की कुछ खास बातें:-

  • इस स्तोत्र को सोमवार के दिन पढ़ने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
  • इस स्तोत्र के साथ-साथ शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से बहुत फ़ायदा मिलता है.
  • अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्र की आराधना करने से शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है.
  • शास्त्रों के मुताबिक, बिना शक्ति की मदद के शिव का साक्षात्कार नहीं होता.
  • अर्धनारीश्वर शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है - अर्धा, नारी, और ईश्वर. इनका मतलब है आधा, महिला, और भगवान.
  • अर्धनारीश्वर स्वरूप का मतलब है आधा पुरुष और आधा स्त्री. भगवान शिव के इस स्वरूप के आधे हिस्से में पुरुष रूपी शिव का वास है, तो आधे हिस्से में स्त्री रूपी शिवा यानी शक्ति का वास है.
  • ब्रह्मा जी के अनुरोध पर देवों के देव महादेव ने पुरुष और स्त्री की उत्पत्ति के लिए अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था !

अर्धनारीश्वर स्तोत्र के फायदे

  • भक्तों के जीवन में भगवान शिव और पार्वती की दिव्य उपस्थिति का आह्वान होता है
  • भक्तों को समाज में मान-सम्मान और मान्यता मिलती है
  • जीवन में सौभाग्य आता है
  • आत्मा में शांति और एकता का अनुभव होता है
  • भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है
  • आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मदद मिलती है
  • आत्मा को सुख की प्राप्ति होती है
  • लौकिक जीवन में भी सुख-शांति का अनुभव होता है
  • मानवीय गुण जैसे कि करुणा, दया, धैर्य, शांति, और समर्पण में सुधार होता है
  • आत्मिक और प्राकृतिक रोगों से मुक्ति मिलती है
  • सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं
  • भाग्य का दरवाज़ा खुल सकता है 

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