टोने-टोटके,Tone -Totake
विश्व के सभी समाजो में अति प्राचीन काल से बहुत से टोने टोटके प्रचलित हैं। आधुनिक सभ्य समाज हो या प्राचीन रूढ़िवादी, आदिवासी हो या अनुसूचित जनजाति, बहुत से अन्ध विश्वास तत्र मंत्र ओझा सयाने झाड़फूंक के रूप में चले आ रहे हैं। टोटके अधिकांश आधि व्याधि से रक्षा हेतु या छुटकारा पाने के लिए और टोने बहुधा दूसरों को हानि पहुँचाने के इरादे से किये जाते हैं। आपने देखा होगा कि नई बनी ईमारतों पर मिट्टी की हांडी को काला रंग कर उस पर भयानक आकृति बनाकर लगा दी जाती है। मोटरगाड़ी को आदि पर काला चुटीला लटका दिया जाता है। वाहनों पर आपने लिखा दिया होगा "बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला" । मातायें बच्चो को काला टीका लगाती हैं। यह सब बुरी नजर के प्रभाव से बचाने के लिये किये जाने वाले आम टोटके हैं। बुरी नजर के प्रभाव से इमारतें तक चटख जाती है और इन टोटकों का रक्षात्मक प्रभाव भी पड़ता है। जब किसी बच्चे को नजर लग जाती है तब मातायें या प्रौढ़ा स्त्रियां कई तरह के टोटके नजर उतारने के करती हैं और उनसे सचमुच नजर का कुप्रभाव दूर हो जाता है। एक बहुत प्रचलित टोटका तो यह है कि थोड़ी सी राई, थोड़ा नमक और २ - ३ सूखी लाल मिर्च लेकर माता या कोई प्रौढ़ा स्त्री बच्चे के शरीर पर ७ बार उसारती है ।
टोने-टोटके,Tone -Totake |
अर्थात् उपरोक्त राई नमक मिर्च को दोनों हाथों में लेकर बच्चे के शरीर पर ऊपर नीचे स्पर्श करते हुए घुमाती है । उसके बाद उन वस्तुओं को चूल्हे या अंगीठी में झौंक देती है । बच्चे को नजर लगी होती है तो मिर्चों की घांस जलने की गंध बिल्कुल नहीं आती और नजर उत्तर जाती है। यह सब प्रक्रिया चुपचाप बिना किसी के टोके करनी चाहिये। बीच में कोई प्रश्न कर दे कि क्या है आदि तो निष्फल हो जाती है । हमारे अति प्राचीन ग्रन्थ अथर्ववेद में बहुत से टोटकों का वर्णन है । यह सब तन्त्र शास्त्र के अन्तर्गत आते हैं। पाण्डु रोग (पीलिया) ग्रस्त रोगी को लाल बैल के बाल पानी मे पीसकर पिला देने से रोग दूर हो जाता है। अतिसार रोग मे ( दस्त लगना) रोगी की कमर में मूंज की रस्सी बांध कर सांप की बांबी की मिट्टी पानी के साथ पिताने से रोग दूर हो जाता है। हिचकी बन्द न हों तो सैंधा नमक पीस कर पानी में मिला कर पिलाने से हिचकी बन्द हो जाती हैं। आजकल शहरों में प्रसव अस्पतालों नर्सिंग होम में होते हैं। गांव कस्बों में अब भी बहुत से प्रसव घरों में ही होते हैं।
सूतिका गृह (सोवर) के बाहर के दोनों तरफ की दीवारों पर गोवर से चक्र व्यूह का आकार बना दिया जाता है। गर्भिणी की कमर में काले सूत के धागे में बहेड़ा बांध कर लटका देते हैं। शैय्या के सिरहाने छुरी चाकू रख दिया जाता है। कपड़े में लपेट कर पन्ना रत्न गर्भिणी की जांघ पर बांधने से भी प्रसव निर्विघ्न कष्ट रहित हो जाता है। बच्चे के सिरहाने भी चाकू छुरी रखने से बच्चा सोते मे डरता नहीं है। भूत प्रेत की बाधा से बुरी नजर से ग्रहो के कुप्रभाव से बचाने के लिये बच्चे के गले में काले डोरे में द्राक्ष, लाल धुंधची, चांदी का चन्द्रमा, तब का सूरज, शेर का नाखून आदि चीजे पहनाने का चलन है। बच्चे के हाथ की कलाई में और कमर में काली ऊन का धागा भी पहनाते हैं। अन्न प्राशन वाले दिन बच्चे के सामने पुस्तक सिक्के कलम औजार शस्त्र खिलौने आदि रखे जाते हैं और जिस वस्तु को बालक सबसे पहले पकड़ता है उसी आधार पर उसके भावी जीवन का अनुमान लगाया जाता है। जैसे बालक पुस्तक ग्रहण करे तो विद्वान होगा, सिक्का पकड़े तो व्यापारी, औजारो पर हाथ रखे तो इंजीनियर बनेगा ऐसा समझा जाता है। माताये बच्चों को नजर से बचाने के लिये उनके माथे पर काला टीका लगाती हैं। अगर बच्चा बहुत रोता है चीखता है चोकता है दूध उलट देता है हरे पीले दस्त करता है तो माताएं अवसर यह टोटका करती हैं-ग चोकर, नमक, सात सात मिर्चे, झाड़ू की सीकें। यह सब चीजें हाथ में लेकर माता बच्चे के ऊपर सात बार ओसार कर यानी उसके शरीर पर सात बार ऊपर से नीचे फिरती है। फिर चूल्हे की ओर पीठ करके खड़ी होकर उन 'सब वस्तुओं को टांगों के बीच से चूल्हे में फेक देती है। इससे बच्चे का रोग दोष नजर दीठ ठीक हो जाता है। यह टोटका शाम को गोधूलि बेला मे किया जाता है। वैसे भी बीमारी का इलाज तो दवा देकर ही करना चाहिए। हां नजर लगने पर टोटका करने से ही नजर दूर होती है। नज़र लगने पर बच्चे के शरीर से खट्टी सी बास आने लगती है । खेलने वाले बच्चे की नजर मातायें बहुधा इस प्रकार उतारती है :
जमीन से मिट्टी उठाकर उस मिट्टी को सात बार बच्चे पर ओसार कर बच्चे के सिर पर लगा देते हैं। उसके बाद हाथ पैर घुला देते हैं या नहला देते हैं। अगर बच्चे को सूखा रोग हो जाय तो आधी रात के समय चमेली की झाड़ी के नीचे जाड़े के मौसम में गर्म पानी से और गर्मी के मौसम में ठण्डे पानी से बालक को स्नान कराना चाहिए। इससे सूखा रोग दूर हो जाता है । संक्रामण रोग जैसे कि जलोदर, पीलिया, कण्ठमाला आदि हो जाने पर 'मिट्टी के शकोरे मे एक अण्डा, एक लड्डू, दो पैसे और सिन्दूर रख कर रोगी के ऊपर से सात बार ओसार कर दोपहर १२ बजे या सन्ध्या सूर्यास्त के समय गोधूलि बेला में चुपचात चौराहे पर रखवा दिया जाता है। रोगी स्वयं रखे या ओसारने वाला रखे, चौराहे पर शकोरा रखने के बाद वापिस मुड़कर नहीं देखना चाहिए। टोटकर ऐसे सुनसान चौराहे पर रखा जाता है जहां किसी की टोका टाकी न हो। पहलवान लोग या खिलाड़ी गले मे या हाथ में काले डोरे का गण्डा पहनते हैं या कोई न कोई तावीज पहनते हैं। उससे उन्हे विजय व स्फूर्ति मिलती है। जब कोई बाहर का पहलवान उनके अखाड़े में लड़ने आता है तब चमेली के सात फूल लेकर उनको सीने से और दोनो भुजाओं से लगाकर अखाड़े के चारों कोनो में और बीच में गाढ़ देते हैं। इससे उनकी ही विजय होती है।
काफी उम्र हो जाने पर भी जिन पुरुषों का विवाह नहीं हो पाता उनके लिये यह टोटका प्रचलित है- कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है उसकी गुरुवार के दिन चुरा कर ले आओ। घर के एक कोने को लीपपोत कर सफेदी करके साफ कर लो। वहां पर उस डंडे को लहंगा चुनरी पहना .कर सिन्दूर महावर लगा कर दुलहिन बना कर एक कोने मे खड़ा करके गुड़ चावल से पूजा करो। जल्दी विवाह हो जायेगा । ४० दिन तक भी इच्छा पूरी न हो तो फिर कुम्हार के चाक का डन्डा चुराकर सब कुछ दुबारा करो ! विवाह फिर भी न हो तो अधिक से अधिक सात बार यह टोटका दुहराया जा सकता है। कुम्हार का डन्डा पैसे देकर नहीं, बुरा कर ही लाना चाहिए। लड़कियों की शादी काफी उम्र तक न हो तो उनके लिये यह टोटका प्रचलित है- कार्तिक शुक्ला देवठान एकादशी को मिट्टी की दो मूरत एक पुरुष एक स्त्री (कच और देवयानी की प्रतीक स्वरूप) बनाओ। उन मूरतों पर 'हल्दी, चावल, आटे कां पिसा हुआ घोल (एपन) लगाओ। उनकी पूजा करके उनको एक लकड़ी के पटे के नीचे ढंक दो। मूरतों के दोनो तरफ ईंटें रखकर उस पर लकड़ी का पटा रख दो। उस पटे पर कन्या को बैठ कर अपने विवाह के लिये प्रार्थना करनी चाहिये। पीलिया रोग के लिये कांसे के कटोरे में सरसो का तेल भर कर सात दिन तक नित्य कुछ समय तक दिखाना चाहिये ।
तेल रोज पीला होता जायेगा और रोग कम होता जायेगा। इस टोटके के साथ नीम के पत्तों से २१ बार झारा भी दिया जाता है। मंत्र भी पढ़ते हैं। एकतरा या तिजारी ज्वर से छुटकारा पाने के लिए टोटका यह है कि "जिस दिन ज्वर आने वाला हो उस दिन प्रातः काल अपने शरीर की लम्बाई कच और देवयानी की कथा पुराणों में है। राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य की कन्या देवयानी और देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच की कथा है। कच शंकराचार्य के पास मृत संजीवनी विद्या सीखने के लिये रहता है । देवयानी उससे प्रेम करने लगती है। परन्तु कच उसको गुरु पुत्री समझकर . स्वीकार नहीं करता। देवयानी फिर राजा ययाति से विवाह करती है । ययाति अपना बुढ़ापा अपने पुत्र को देकर नवयुवक 'बनता है। के बराबर सूत का धागा लेकर पीपल के वृक्ष में धागे को बाध दें। बांधते समय यह कहें "मेरा मेहमान आये तो तुम संभाल लेना " ।
इस टोटके के करने से पारी का ज्वर नहीं आता। ऐसा ही टोटका आक के पौधे के साथ भी किया जाता है । पारी वाले दिन आक के पौधे के पास जाकर उसने भेट करते हैं उसे भुजाओं में लपेटकर कहते हैं: "मेरे मेहमान का आज तुम्हारे यहां न्यौता है। ऐसा करने से भी पारी का बुखार नहीं आता । आधासीसी का दर्द हो तो यह टोटका करना चाहिए: सुबह उठकर (अर्थात् आठ बजे से पहले ही ) दो ढाई सौ ग्राम ताजा गर्म जलेबी लाओ जो खूब चाशनी में तर हों और एकान्त स्थान में धूप में बैठकर उनको सूर्य देवता को दिखा दिखाकर खा जाओ। एक जलेबी हाथ मे लो, सूरज की तरफ करके कहो ले सूरज देवता जलेबी खा ले फिर उसको मुंह बनाकर जीभ दिखाकर विराकर बजाय सूरज को देने के स्वयं खा लो। जैसे आप किसी को खाने की कोई चीज देते हैं और जब वह लेने को तत्पर हो तो कार खुद खा लेते हैं और मुंह बनाकर बिरा देते हैं वैसे ही । इस प्रकार सभी जलेबियां समाप्त कर दो। आधा सीसी का दर्द चला जायेगा ! आंख की विन्नी पर अक्सर फुसी हो जाती है और काफी कष्ट देती है । इसे गुहेरी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि विष्ठा को देखकर घिन करने पर यह हो जाती है। गुहेरी होने पर जब आप शौच को जाए तो शौच करने के बाद पात्र में थोड़ा जल बचा लो और हाथ की अंगुली को गुहेरी के पास जाकर कहो कि "चली जा नहीं तो छू लूंगा" सात बार ऐसा कहकर उसको शौच जल लगी उंगली से छू लो "नहीं जाती तो ते छू ही लेता हूं" कहकर छूतो गुहेरी उसी दिन ठीक हो जायेगी। काली तिल्ली की प्रथम प्रसव की जेर ( खेड़ या आवल) को सुखाकर रुपये रखने के स्थान तिजोरी सन्दूक आदि मे रखने से धन समृद्धि की वृद्धि होती है और दारिद्र्य का नाश होता है। काली बिल्ली के प्रथम प्रसव का जे पाना सरल नहीं है ।
बिल्ली कहां प्रसव करेगी इसका क्या ठीक है। इसके लिए काली बिल्लियो का जोड़ा पालें और जब प्रथम प्रसव हों तो पूरी निगरांनी रखें तभी जेर मिल सकती है। बिल्ली प्रसव के बाद जेर को खा जाती है। उसे खाने का अवसर न मिले तभी जेर को प्राप्त कर लेना चाहिए। इस को सुखाकर रख लिया जाए तो बहुत भाग्योदय कारक मानी जाती है। करोड़पति तक बना देती है। किसी का काम न बन रहा हो, बाघाये आ रही हो, विलम्ब हो रहा हो असफलता मिल रही हो, लाख प्रयत्न करने पर भी धन्धा रोजगार ठीक न हो रहा हो तो यह टोटका करके देखें। शहर के बाहर एक ऐसा चीराहा देखें जहां आना जाना कम रहता हो। दोपहर बारह बजे या रात के समय वहां जाकर कुछ चीजे रखनी होती हैं और ध्यान यह रखा जाता है कि कोई देखे नहीं और न ही टोके घर से वहां तक जाते हुए व वापिस आते समय, भी कोई न टोके । वापिसी में जब तक चौराहा दिखाई देता रहे मुड़कर नहीं देखना है। टोटके की चीजों का प्रबन्ध करते समय भी कोई पूछा बताई टोका टाकी नहीं हो। शनिवार के दिन आटे मे गुड़ मिलाकर घोल बनाओ और सरसो के तेल मे सात पूये बनाओ। सात फूल आक (मदार ) के तो, - एक बड़ा पत्ता अरण्डी का या अरबी का लेकर उस पर पूये, फूल, थोड़ा सिन्दूर एक आटे का दीपक जिसमें रुई की बत्ती तेल या घी मे भीगी लगी हो पत्ते पर सजा लो। इस सब सामान को चौराहे पर रखकर वहां दीपक जलाओ और कले कि "हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यही छोड़े जाता हूं मेरा पीछा मत करना" । सव सामान को चौराहे पर छोड़कर वापिस जा जाओ मुड़कर मत देखो। शीघ्र ही बाधा दूर होकर कार्य सफल होगा। उल्लू के स्वतः गिराए हुए पर को घर में लटकाने से घर की विघ्न बाधाए शान्त होती है, परन्तु ऐसे पर को घर के अन्दर नहीं बल्कि बाहर किसी मुंडेर आदि पर कील ठोक कर उस पर लटकाना चाहिए।
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