Shri Shatrunjay Hanuman : श्री शंत्रुजय हनुमत स्तोत्र,माला मन्त्र,ध्यानम् स्तोत्र,Shri Shatrunjay Hanumat Stotra,Mala Mantra,Dhyanam Stotra

श्री शंत्रुजय हनुमत स्तोत्र,माला मन्त्र,ध्यानम् स्तोत्र

लांगुलास्त्र शत्रुंजय हनुमतस्तोत्रम Langulastra Shatrunjay Hanumatstotram. यह स्तोत्र शत्रु नाशक है। जब अनेक शत्रु जीवन को दुख पहुचाने लग जाय या कोई शक्तिशाली व्यक्ति शत्रु बन जाये तब विनीति भाव से 'ममारातीन निपाताय' का पाटः करना चाहिये । इसके साथ ही मालामंत्र अर्थात मंत्रात्मक एक पाठ है जिसे साव्धानी से करना होता है। और छिपे शत्रु भी पीड़ित होते हैं. पाठ के बीच में 'अरे मल्ल चटख' या 'तोड़रमल्ल चटख' का उच्चारण करके कपि मुद्रा का प्रदर्शन करना चाहिए. इस स्तोत्र का एक हिन्दी अनुवाद है, "हे भगवान हनुमान, चमकदार सुनहरे रंग और अपार शक्ति वाले शक्तिशाली!"

Shri Shatrunjay Hanumat Stotra,Mala Mantra,Dhyanam Stotra

ॐ हनुमन्तं महावीरं वायुतुल्यपराक्रम्।
मम कार्यार्थमागच्छ प्रणमामिमुहुर्मुहुः॥

वायुतुल्य महावीर व पराक्रमी हनुमान को बराबर प्रणाम ।  प्रार्थना है कि आप मेरे कार्य हेतु जाएं।

विनियोग

लांगुलास्त्र शत्रुंजय हनुमतस्तोत्रम, शत्रुओं को नष्ट करने वाला स्तोत्र है. यह स्तोत्र इस तरह से शुरू होता है:
ॐ अस्य श्रीहनुमच्छत्रुञ्जयस्तोत्रमालामन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, नानाच्छन्दांसि श्री महावीरो हनुमान् देवता मारुतात्मज इति ह्सौं बीजम्, अञ्जनीसूनुरिति ह्फ्रें शक्तिः, ॐ हा हा हा इति कीलकम् श्री राम-भक्ति इति ह्वां प्राणः, श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर इति ह्वां ह्वीं ह्वूं जीव, ममाऽरातिपराजय-निमित्त-शत्रुञ्जय-स्तोत्र-मन्त्र-जपे विनियोगः

करन्यासः ।।

  • ॐ ह्रां आंजनेयाय अङ्‌गुष्ठाभ्यां नमः ।
  • ॐ ह्रीं रामदूताय तर्जनीभ्यां नमः ।
  • ॐ हूं अक्षयकुमार विध्वंसकाय मध्यमाभ्यां नमः ।
  • ॐ हैं लंङ्काविदाकाय अनामिकाभ्यां नमः ।
  • ॐ ह्रौं रुद्रावताराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
  • ॐ ह्रः सकलरिपु संहारणाय करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

हृदयादिन्यासः ।।

  • ॐ ह्रां आंजनेयाय हृदयाय नमः ।
  • ॐ ह्रीं रामदूताय शिरसे स्वाहा !
  • ॐ हूं अक्षयकुमार विध्वंसकाय शिखायै वषट् ।
  • ॐ हैं लङ्काविदाहकाय कवचाय हुम । 
  • ॐ ह्रौ रुद्रावताराय नेत्राभ्यां वौषट् । 
  • ॐ ह्रः सकलरिपु संहारणाय अस्त्राय फट् ।

हनुमतः शत्रुञ्जय माला मन्त्र ।।

ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं हूं हैं हौं हस्फ्रैं खफ्रें हस्त्रौ इस्खों सौं नमो हनुमते त्रैलोक्याक्रमण पराक्रस श्रीराम भक्त मम् परस्य च सर्व शत्रून् चतुर्वर्ण सम्भवान् पुंस्त्रीनपुंसकान् भूत भविष्यद्वर्तमानान् दूरस्थान समीपस्थान् नाना नामधेयान् नाना संकर जातीयान् कलत्रपुत्रमित्रभृत्य बन्धु सुहृत्समेतान् प्रभु शक्ति सहितान् धनधान्यादि संपत्तियुतान् राज्ञो राजसेवकान् मन्त्रि सचिव सखीनात्यन्तिकान् क्षणेन त्वरया एतद्दिनावधि नानोपायैर्मारय-२ शस्त्रैश्छेदय-२ अग्निना ज्वालय-ज्वालय दाहय दाहय अक्षयकुमारवत् पादतलाक्रमणेन आत्रोटय-२ घातय-२ भक्तजनवत्सल सीता शोकापहारक सर्वत्र मामेनं च रक्ष रक्ष हा हा हा हूं हुं हुं भूत संधैः सह भक्षय क्रुद्ध चेतसा नखैर्विदारय-२ दशादस्मादुच्चाटय-२ पिशाचवद् भ्रंशय-२ घे घे घे हुं हुं हुं फट् स्वाहा ॥ ॐ नमो भगवते श्री हनुमते महाबल पराक्रमाय महाविपत्ति निवारणाय भक्तजन मनः संकल्पनाय कल्पद्रुमाय दुष्टजन मनोरथस्तम्भनाय प्रभञ्जन प्राणप्रियाय स्वाहा।  ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हैं ह्रौं ह्रः ममशत्रून् शूलेन च्छेदयछेदय अग्निना ज्वलाल यजवालय दाहयदाहय उच्चाटयउच्चाटय हुंफट् स्वाहास्वाहास्वाहा।
इस प्रकार मूलमंत्र का पाठ करने के बाद ध्यान धरते हुए यह स्तोत्र पढ़ें।

ध्यानम् स्तोत्र ।।

श्रीमन्तं हनुमन्तमात्त रिपुभिद् भूभृत्तनुभ्राजितं वल्गद्वालधि वद्धवैरिनिचयं चामीकराद्रिप्रभम् ॥
 रोषारक्त पिशंगनेत्र नलिनभ्रूभंग संग स्फुरत्त्रोद्यच्चण्ड मयूख मण्डल मुखम् दुःखापहम् दुःखिनाम ! 
कौपीनं कटि सूत्र मौञ्जयजिन युग्देहं विदेहात्मजा प्राणाधीश पदारविन्द निहतं स्वान्तम् कृतान्तं द्विषाम् ।
 ध्यत्वैवं समराङ्गणे स्थितमथाऽनीये स्वहृत्पङ्कजे संपूज्याखिल पूजनोक्त विधिना संप्रार्थयेत्प्रार्थितम् ।
करें। ध्यान मन्त्र बोलकर 'अरे मल्ल चटख' कहकर कपि मुद्रा प्रदर्शित अथ शत्रुञ्जय हनुमत्स्तोत्रम् ।।

 शत्रुञ्जय हनुमत्स्तोत्र 

ॐ हनूमान्नञ्जनी सूनो महाबल पराक्रम । 
लोल- लाङ्‌गूल पातेन ममारातीन्निपातयः । 
अक्षक्षपण पिङ्गाक्षदितिजा सुक्षयङ्कर । 
लोललाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ! 
मर्कटाधिपमार्तण्ड मण्डल ग्रासकारंक । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय । 
यह स्तोत्र सरल संस्कृत में हैं तथा इसके अर्थ व भाव इससे स्पष्ट ज्ञात होते हैं अतः इसका टीका नहीं किया गया है।-
रुद्रावतार, संसार दुःख भारापहारक । 
लोललाडगूल पातेन ममारातीन्निपातय !
श्रीरामचरणाम्भोज मधुपायित मानस ।
 लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
बालिकालकोरदक्रान्त सुग्रीवोन्मोचन प्रभो। 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
सीता विरह वारीशमग्नि सीतेश तारक। 
लोल- लाडगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
रक्षोराज प्रतापाग्नि दह्यमान जगद्धित । 
लोल - लाडगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
ग्रस्ताशेष जगत्स्वास्थ्य राक्षसाम्भोधिमन्दर । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
पुच्छगुच्छ स्फुरद् धूमध्वजदग्धनिकेतन । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
जगन्मैनो दुरल्लंघ्य पारावार विलंघन । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय !
स्मृति मात्र समस्तेष्ट पूरणः प्रणतप्रिय । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय !
रात्रिं चरचमूराशि कर्तनैक विकर्तन । 
लोललाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय । 
जननी जानकी जानि प्रेम पात्र परंतप । 
लोल-लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
भीमादिक महावीर वीरावेशादि तारक । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
वैदेही विरहाक्रान्त रामरोषैकविग्रह । 
लोललाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय  !
वज्रांगनखदंष्ट्रेश बज्रिबज्रावगुंठन । 
लोललाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
अखर्व गर्व गंधर्व पर्वतोद्धेदनश्वर । 
लोललाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय । 
लक्ष्मण प्राण संत्राणं त्रातस्तीक्ष्ण करान्वय । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
रामादिविप्रयोगोर्त भरताद्यार्ति नाशन ।
लोल- लाडगूल पातेन ममारातीन्निपातय !
द्रोणाचलसमुत्क्षेप समुत्क्षिप्तारि वैभव । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।
सीताशीर्वाद सम्पन्न समस्ताभयवांक्षित । 
लोल-लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय !
वातपित्त कफ श्वास ज्वारादि ब्याधिनाशन । 
लोल- लाङगूल पातेन ममारातीन्निपातय ।

फलश्रुतिः ।।

ॐ इत्येवमश्वत्थतलोपविष्ट शत्रुञ्जयं नाम पठेत्स्तवं यः । 
स शीघ्रमेवास्तसमस्तशत्रुः प्रमोदते मारुतजप्रसादात् ।।

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