श्री खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास / महत्व / रहस्य / दर्शन कैसे करें,Shri Khatu Shyam Ji Temple History Mahatv / Rahasy / Darshan Kaise Karen

श्री खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास / महत्व / रहस्य / दर्शन कैसे करें,

खाटू श्याम जी का मंदिर 1000 वर्ष से भी पुराना है और इसका निर्माण काल भारतीय इतिहास के प्राचीन काल में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल के दौरान हुआ था, जब बर्बरीक नामक योद्धा खाटू श्याम जी के रूप में पूजा जाता था। बर्बरीक, जिसे खाटू श्याम जी के रूप में भी जाना जाता है, महाभारत के काल में महारथी योद्धा थे।
Shri Khatu Shyam Ji Temple History Mahatv / Rahasy / Darshan Kaise Karen

श्री खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास:

मंदिर की नींव 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा रखी गई थी। फिर, १७२० ई. में मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह के निर्देश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित  खाटू श्याम जी का मंदिर भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर आज जन-जन की आस्था का प्रतीक है और हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान को धारण करता है। खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजा जाता है, और इसके पौराणिक महत्व के कारण यहां हर साल लाखों भक्त आते हैं। खाटू श्याम जी का मंदिर 1000 वर्ष से भी पुराना है और इसका निर्माण काल भारतीय इतिहास के प्राचीन काल में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल के दौरान हुआ था, जब बर्बरीक नामक योद्धा खाटू श्याम जी के रूप में पूजा जाता था। बर्बरीक, जिसे  खाटू श्याम जी के रूप में भी जाना जाता है, महाभारत के काल में महारथी योद्धा थे। वे महाभारत के युद्ध के समय में अपने शत्रुओं को पराजित करने के लिए अपने अद्भुत धनुर्धारी योग्यताओं के लिए प्रसिद्ध थे। बर्बरीक के पुत्र के रूप में, बर्बरीक के द्वारा प्राप्त किए गए तीन अबोध बाण भी उन्हें अद्वितीय बनाते थे। इन अबोध बाणों में ऐसी शक्ति थी कि वे किसी भी लक्ष्य को साधने में समर्थ थे, और अपने लक्ष्य को छोड़कर लौट आ जाते थे। जब महाभारत युद्ध की घोषणा हुई, तो बर्बरीक ने अपनी माँ से युद्ध में शामिल होने की अनुमति मांगी। उनकी माँ ने उन्हें सेना में शामिल होने की अनुमति दी, लेकिन उन्होंने बर्बरीक को युद्ध में निर्बल पक्ष के साथ लड़ने की सलाह दी।
खाटू श्याम मंदिर की कहानी के अनुसार, द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने श्याम जी को वरदान दिया था कि कलयुग में उनका नाम श्याम से प्रसिद्ध होगा। इसके बाद, बर्बरीक का शीश  खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में स्थापित किया गया, जिससे उन्हें  खाटू श्याम  बाबा कहा जाता है। श्रद्धालुओं के अनुसार, एक गाय ने  खाटू नगर में रोज अपने स्तनों से दुग्ध की धारा स्वतः ही बहाने लगी थी। बाद में, खुदाई के दौरान उस स्थान पर बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण ने सूपुर्द किया।

खाटू श्याम मंदिर का महत्व

भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध के अंत में बर्बरीक के सिर को नदी रूपवती को समर्पित किया। फिर कलियुग में,  खाटू गाँव के राजा के स्वप्न और  श्याम कुंड के चारों ओर के चमत्कार के चरणों के बाद, फाल्गुन महीने में  खाटू श्याम मंदिर की स्थापना हुई। शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन, उस मंदिर में  खाटू बाबा बाबा की मूर्ति स्थापित की गई। 1720 ईसापूर्व में, दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर को पुनः निर्माण किया और तब से उस मंदिर की प्रकाशमानता अब भी जीवित है। श्याम कुंड की पहचान देश और विदेश में है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने वाले भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है। इस मंदिर की पहचान बाबा के कई मंदिरों में सर्वोच्च है।

खाटू श्याम जी मंदिर के 10 अनजाने रहस्य:

  1. मां सैव्यम पराजित: खाटू श्याम का अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित’। इसका अर्थ है कि वह उन लोगों को संबल प्रदान करते हैं जो हारे हुए और निराश हों।
  2. सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर: खाटू श्याम  बाबा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर हैं, जिनके सिवाय श्रीराम को ही इस पद का सम्मान प्राप्त है।
  3. जन्मोत्सव का महत्व:  खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को धूमधाम से मनाया जाता है।
  4. प्राचीनता:  खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है, और वर्तमान मंदिर की आधारशिला सन 1720 में रखी गई थी।
  5. अद्भुत शक्ति: बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली और मायावी थे।
  6. श्रीकृष्ण को शीश दान: बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को शीश दान किया, जिससे उन्हें उनके स्थान पर अवलोकन का अवसर मिला।
  7. युद्ध का संबल: बर्बरीक के शीश का निर्णय युद्ध समाप्ति के बाद हुआ, जब श्रीकृष्ण ने उनसे विजयश्री का श्रेय देने के लिए वाद विवाद किया।
  8. कलियुग में पूजा: श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि कलियुग में उनके नाम से पूजा जाएगा और उनके स्मरण से ही भक्तों का कल्याण होगा। 
  9. खाटू मेला: खाटू श्याम मंदिर परिसर में खाटू श्याम बाबा का प्रसिद्ध मेला लगता है, जो फाल्गुन मास के शुक्ल षष्ठी से बारह दिनों तक चलता है।
  10. बर्बरीक का उपासक: बर्बरीक देवी के उपासक थे और उन्हें तीन दिव्य बाण मिले थे, जो उन्हें अजेय बनाते थे। इन अनजाने रहस्यों के प्रकट होने से  खाटू श्याम मंदिर का महत्व और अद्भुतता और भी विस्तारित होता है।

खाटू श्याम जी मंदिर में दर्शन कैसे करें?

खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सिकर जिले में स्थित है और यहां के मंदिर में  खाटू श्याम जी के प्रतिमा के दर्शन करने का महत्व अत्यंत विशेष माना जाता है। इस मंदिर को भक्तों की भरमार और धार्मिक माहौल के कारण प्रसिद्धी प्राप्त है। इस स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ हर समय बनी रहती है, और यहां आने वाले लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यहां आते हैं।
खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करने के लिए कुछ नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। यहां कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए जा रहे हैं जो आपको मंदिर दर्शन के समय ध्यान में रखने चाहिए।
  • शुद्धि और स्नान: मंदिर दर्शन के लिए जाते समय श्रद्धालु को पहले शरीर की शुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। स्नान करके, शुद्ध और पवित्र रहकर मंदिर जाना चाहिए।
  • ध्यान और शांति: मंदिर में प्रवेश करते समय ध्यान और शांति बनाए रखना चाहिए। आपको ध्यान और शांति के साथ मंदिर में प्रवेश करना चाहिए।
  • ध्यान केंद्रित करना: मंदिर में दर्शन के दौरान ध्यान को केंद्रित रखें। कोई भी अध्ययन या वार्ता या मंदिर में शोर या अशांति नहीं करनी चाहिए।
  • पूजा और अर्चना: अगर आप चाहें तो मंदिर में पूजा और अर्चना कर सकते हैं। यह आपकी आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करेगा।
  • प्रसाद: मंदिर में दर्शन के बाद प्रसाद लेना चाहिए। यह आपके आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
  • समय बिताना: मंदिर में दर्शन के लिए समय बिताने का प्रयास करें। मंदिर में ध्यान और शांति मिलती है जो आपके मन को शुद्ध करता है।
  • संयम: मंदिर में दर्शन के दौरान संयम बनाए रखें। किसी भी प्रकार की अशांति या अपमानजनक व्यवहार से बचें।
  • संगठन का पालन: मंदिर में दर्शन के समय लाइन में लगे रहें और संगठन का पूरा समर्थन करें। अन्य भक्तों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करें।
  • ध्यान और आदर्श: मंदिर में दर्शन के समय अपने मन को ध्यान और आदर्श में रखें।  खाटू श्याम जी के दर्शन से आपको आत्मिक और मानसिक शक्ति मिलेगी।
इन सभी निर्देशों का पालन करते हुए,  खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करना एक शांतिपूर्ण और आत्मनिर्भर कार्य होता है। यहां के दर्शन आपके मन को शांति और संतोष प्रदान करते हैं, और आपकी आत्मा को शुद्धि का अनुभव होता है। इसके अलावा,  खाटू श्याम मंदिर की सुंदरता और महिमा को देखते हुए आपको अत्यंत आनंद और आदर्शों का साम्राज्य मिलता है।

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