Shri Hanumanashtak : श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक,Shri Sankatmochan Hanumanashtak

Shri Hanumanashtak : श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक

मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान अष्टक का पाठ करता है, तो उसे सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. अगर आपको हमेशा कोई न कोई चिंता सताती रहती है, तो आपको इस अष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए माना जाता है कि हनुमान जयंती पर संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्ति मिलती है. अगर आप प्रतिदिन सात बार संकट मोचन का पाठ करते हैं और ऐसा लगातार 21 दिन तक करते हैं, तो आपके जीवन में आ रहा बड़े से बड़ा संकट टल सकता है!

Shri Sankatmochan Hanumanashtak

श्री संकटमोचन अष्टक(Hanumanashtak)

बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनोहुँ लोक भयो अंधियारो । 
ताहि सो त्रास भयो जग को यह संकट काहु सो जात न टारो ॥
देवन आनि करी विनती तब छाँडि दियो रवि कष्ट निवारो । 
को नहिं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो ॥1 ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो । 
चौंकि महामुनि साप दियो तब चाहिय कौन विचार विचारो ॥
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं तिहारो ॥ 2 ॥

अंगद के संग लेन गये सिय खोज कपीस यह वैन उचारो।
जीवत न बचिहौ हमसों जु बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ॥
 हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।
 को नहिं तिहारो ॥3 ॥

रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।
को नहिं तिहारो ॥ 4 ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो। 
लै गृह वैद्य सुषेन समेत तवै गिरि द्रोन सु वीर उपारो ॥ 
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो ।
को नहिं तिहारो॥5॥

रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं तिहारो ॥6॥

बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देविहिं पूजि भली विधि सों बलि देउ सबै मिलिमंत्र विचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।
को नहिं तिहारो ॥7 ॥

काज किये बड़ देवन के तुम वीर महाप्रभु देखि विचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसो नहीं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं तिहारो ॥8 ॥

  •  दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर । 
बज्र देह दानव दलन, जय-जय जय कपि सूर ॥

संकटमोचन हनुमानाष्टक के पाठ से कई फ़ायदे होते हैं:-

  • मन शांत होता है
  • दुःख दूर होते हैं
  • सुख की प्राप्ति होती है
  • दोष और प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है
  • बिना वजह की परेशानियां दूर होती हैं
  • हनुमान सही मार्ग दर्शाते हैं
  • तनाव नहीं होता
  • बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं
  • भगवान हनुमान की कृपा बनी रहती है
  • शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है
  • शत्रु का भय कम होता है
  • अच्छे काम बिना रुकावट के पूरे होते हैं
  • स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है

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