Shri Hanuman Stuti ; श्री हनुमान स्तुति हनुमान पंचक,Shri Hanuman Stuti Hanuman Panchak

Shri Hanuman Stuti ; श्री हनुमान स्तुति हनुमान पंचक,Shri Hanuman Stuti Hanuman Panchak

हनुमान स्तुति हमेशा सुबह करनी चाहिए. अगर ब्रह्ममुहूर्त में संभव हो तो उस समय ही करें. हनुमान स्तुति का पाठ करते समय इसकी पुस्तक को अपने सामने किसी चौकी पर साफ़ कपड़े बिछाकर करना चाहिए. इसकी पुस्तक को कभी भी ज़मीन पर या पैरों के पास नहीं रखना चाहिए!

Shri Hanuman Stuti Hanuman Panchak

श्री हनुमान स्तुति (Shri Hanuman Stuti)

नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुत सूनवे,
नमः श्रीराम भक्ताय श्यामसांगाय ते नमः ।
नमो वानर - वीराय, सुग्रीव सख्यकारिणे,
सीता शोक विनाशाय - राम मुद्राधराय च ॥
रावणान्त कुलच्छेद कारिणे ते नमो नमः, 
मेघनाद मखध्वंस कारिणे ते नमो नमः । 
वायुपुत्राय वीराय आकाशोदर गामिने,
नरपाल - शिरच्छेद लंका प्रासाद भञ्जिने ॥
ज्वलत्कनक वर्णाय दीर्घलांगूल धारिणे, 
सौमित्रजयदात्रे च रामदूताय ते नमः । 
अक्षय्यवधकर्त्रे च ब्रह्मपाश निवारिणे, 
लक्ष्मणांघ्रि महाशक्ति घातक्षत विनाशिने ॥ 
रक्षोध्नाय रिपुध्नाय भूतध्नाय च ते नमः, 
ऋक्ष वानर वीरैकप्राणदाय नमो नमः ॥ 
पर सैन्य बलघ्नाय शत्राऽस्त्रघ्नाय ते नमः, 
विषघ्नाय द्विषघ्नाय ज्वरघ्नाय च ते नमः । 
महाभयरिपुध्याय भक्त प्राणैक कारिणे, 
पर प्रेरितमन्त्राणां, यन्त्राणां स्तम्भकारिणे ॥ 
पयः पाषाणतरण करनाय नमो नमः,
बालार्क मण्डल त्रासकारिणे भवतारिणे ।
रिपुमाया विनाशय रामाज्ञा लोक रक्षिणे, 
प्रतिग्राम स्थितायाऽथ, रक्षोभूतवधीर्थने । 
करान्तशैलशस्त्राय, दुमशस्त्राय ते नमः,
बालैक ब्रह्मचर्याय रुद्रमूर्तिधराय च।
दक्षिणाशाभास्कराय शतचन्द्रोदयात्मने, 
कृतक्षत व्यथाध्नाय सर्व क्लेशहराय च ।
 स्वामिआज्ञाप्रार्थसंग्रामसंख्ये संजयकारिणे, 
भक्तानां दिव्यवादेषुसंग्रामे जयदायिने॥ 
किं कृत्वाबुबुकोच्चारघोरशब्दकराय च, 
रावोग्रव्याधि संस्तम्भकारिणे वनधारिणे । 
सदा वन फलाहार - निरताय विचक्षतः,
महार्णव शिलाबन्धे सेतु बन्धाय ते नमः ॥
नमस्ते नमस्ते महावायु सूनो । नमस्ते नमस्ते भविष्यद् विधातः । 
नमस्ते नमस्ते सदाभीष्टदातर् । नमस्ते नमस्तेऽनिशं रामभक्त ॥

हनुमान स्तुति का पाठ करने से कई फ़ायदे होते हैं-

  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से बुद्धि और तेज की प्राप्ति होती है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से शरीर में सकारात्मकता आती है और बुरे विचारों का नाश होता है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से तनावपूर्ण समय भी खत्म होता है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से डर और भय से छुटकारा मिलता है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म होने लगती है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से किसी अपराध के हो जाने पर क्षमायाचना करने से उस अपराध से मुक्ति मिल सकती है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से मन को काफी शांति का अहसास होता है.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से यात्रा करने से उसके सफल होने के योग बढ़ जाते हैं.
  • हनुमान स्तुति का पाठ करने से अलौकिक शक्ति का अहसास होता है

श्री हनुमान पंचक(Hanuman Panchak)

  • दोहा
सञ्चक सुख कञ्चक कवच पञ्चक पूरन बान । 
रञ्चक रञ्चक कष्ट ना हनुमत पञ्चक जान ॥
  • मत्तगयन्द छन्द
ग्राहि नसाहि पठाहि दई, दिवदेवमहाहि सराहि सिधारी । 
वीर समीरन श्री रघुवीरन, धीरहिं पीर गम्भीर विदारी ॥ 
कन्द अनन्द सुअञ्जनिनन्द, सदा खलवृन्दन मन्दजहारी । 
भूधर को घर के कर ऊपर निर्जन केजुद की जर जारी ॥1 ॥ 
बालि सहोदर पालि लयो हरि कालि पतालिहु डालि दई है। 
भालि मरालिसि सीय करालि बिडालि निशालि बिहालि भई है ॥ 
डालि डरालि महालिय राय गजालिन चालि चपेट लई है। 
ख्यालिहिं शालि दई गन्ध कालि कपाल उत्तालि बहालि गयी है ॥2 ॥ 
आसुविभावसु पासु गये अरु तांसु सुहासु गरासु धर्यो है । 
अच्छ सुबच्छन तच्छन तोरि स रच्छन पच्छन पच्छ कर्यो ॥ 
आर अपार कु कार पछार समीर कुमार समार भय है । 
को हनुमान् समान जहान बखानत आज अमान भर्यो है ॥3 ॥
को हनुमान् समान जहान बखानत आज अमान भर्यो है ॥3 ॥ 
अञ्जनि को सुत भञ्जन भीरन सञ्जन रञ्जन पञ्ज रहा है। 
रुद्र समुद्रहि छुद्र कियो पुनि कुद्ध रसाधर ऊर्द्ध लहा है ॥ 
मोहिन ओप कहो पतऊ तुब जोप दया करु तोप कहा है। 
गथ्थ अकथ्थ बनत्त कहा हनुमत्त तु हथ्थ समथ्थ सहा है ॥4॥ 
भान प्रभानन कै अनुमान गये असमान बिहान निहारी । 
खान लगे मधवानहु को सुकियो अपमान गुमानहिं गारी ॥ 
प्राण परान लगे लच्छमानतु आनन गानपती गिरधारी । 
बान निवाय सुजान महानसु है हनुमान् करान हमारी ॥5॥
  • दोहा
बसुदिशि औं पौराण दृग इक इक आधे आन । 
सित नवमी इष इन्दु दिन पञ्चक जन्म जहान ॥

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