श्री हनुमत् ध्यानम् हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्र त्कृपा प्राप्ति के विशिष्ट मंत्र
हनुमान जी का ध्यान करने से आत्मिक और मानसिक शांति मिलती है. साथ ही, शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है. हनुमान जी के प्रति शरणागत होने के लिए रामरक्षा स्तोत्र से लिया गया यह मंत्र जपने से हनुमान जी तुरंत साधक की याचना सुन लेते हैं और वे उनको अपनी शरण में ले लेते हैं हनुमान जी का ध्यान करने वाले व्यक्ति शांत चित्त, निर्भीक और समझदार बन जाते हैं !
श्री हनुमत् ध्यानम्
रामेष्टमित्रं जगदेकवीरं प्लवंगराजेन्द्रकृत प्रणामम्।
सुमेरू शृंगागमचिन्त्यामाद्यं हृदि स्मेरहं हनुमंतमीड्यम् ॥
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Hanumaan Jee Ke Chamatkaaree Mantr, Krpa Praapti Ke Vishesh Mantr |
महावीर मन्त्र
हनुमान जी का ध्यान करके इस मन्त्र का 22 हजार बार जप करके केले और आम के फलों से हवन करें। हवन करके 22 ब्रह्मचारियों को भोजन करा दें। इससे भगवान महावीर प्रसन्नतापूर्वक सिद्धि देते हैं।
ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।
” इस मंत्र को २१ दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान का दशांश आहुति दें । यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।
हनुमन्मन्त्र ( उदररोग नाशक मन्त्र )
इस मन्त्र को प्रतिदिन 11 बार पढ़ने से सब तरह के पेट के रोग शंत हो जाते हैं।
'ॐ यो यो हनुमंत फलफलित धगधगित आयुराषः परूडाह ।' हनुमान्माला मन्त्र
श्री हनुमान जी के सम्मुख इस मन्त्र के 51 पाठ करे और भोज पत्र पर इस मन्त्र को लिखकर पास में रखले तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है ।
'ॐ वज्र काय वज्रतुण्ड कपिल पिंगल ऊर्ध्वकेश महाबल रक्तमुख तडिज्जव महारौद्र दंष्ट्रोत्कट कहहकरालिने महादृढ़प्रहारिन लंकेश्वरवधाय महासेतुबंध महाशैलप्रवाह गगनचर एह्येहिं भगवन्महाबल पराक्रम भैरवाज्ञापय ऐह्येहि महारौद्र दीर्घपुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय भंजय हुँ फट् ॥'
हनुमद् मन्त्र
इस मन्त्र का नित्य प्रति 108 बार जप करने से सिद्धि मिलती है।'ॐ एं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंका विध्वंसनपायांनीगर्भसंभूताय शाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलि किलि बुवुकरेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौं ह्रां फट् स्वाहा।'
हनुमद् उपासना मन्त्र
इस मन्त्र का पाठ ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके करना चाहिए। अष्टगंध से 'ॐ हनुमते नमः' ये लिखकर हनुमान जी को सिन्दूर और चमेली का शुद्ध तेल केशर और लाल चन्दन का गंध लगायें। कमल, केवड़ा और सूर्यमुखी के फूलों को पूजन करें। इस प्रकार देवशयनी एकादशी से देवोत्थानी एकादशी एक नित्य पूजन करें। तुलसी पत्र पर 'राम-राम' लिखकर भी चढ़ायें। इस प्रयोग से हनुमान जी प्रसन्न होकर अभीष्ट सिद्धि प्रदान करेंगे।
ॐ श्री गुरुवे नमः'ॐ जेते हनुमंत रामदूत चलो वेग चलो लोहे का गदा, वज्र का लंगोट, पान का बीड़ा, तले सिंदूर की पूजा, हंहकार पवनपुत्र कालंचचक्र हस्त कुबेरखिलं मरामसान खिलुं भैरव खिलुं अक्षखिलुं वक्षखिलुं मेरे पे करे घाव छाती फट् फट् मर जाये देव चल पृथ्वीखिलुं साडे वारे जात की बात को खिलुं मेघ को खिलुं नव कौड़ी नाग को खिलुं येहि येहि आगच्छ आगच्छ शत्रुमुख बंधना खिलुं सर्व-मुखबंधनाम् खिलुं काकणी कामानी मुखग्रह- बंधना खिलुं कुरू कुरू स्वाहा ।
हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्र
- ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि एहि सर्वग्रहभूतानां डाकिनी शाकिनीनां सर्वविषयान आकर्षय आकर्षय मर्दय मर्दय छेदय छेदय अपमृत्यु प्रभूतमृत्यु पशोषय शोषय ज्वल प्रज्वल भूतमंडलपिशाचमंडल निरसनाय भूतज्वर प्रेतज्वर चातुर्थिकज्वर माहेश्वरज्वर छिंधि छिंधि भिन्दि भिन्दि अक्षि शूल कक्षि शलू शिरोभ्यंत रशूल गुल्म शूल पित्तशूल ब्रह्मराक्षतं कुलप्रबल नागकुलविषं निर्विषं कुरु कुरु फट् स्वाहा ।
- ॐ हौं हस्फ्रें हरुफै हस्त्रौ हस्ख्कें हसौ हनुमते नमः ।
इस मंत्र को 21 दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध ओर घी मिलाते हुये धान का दशांश आहुति दें। यह मन्त्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है।
- ॐ दक्षिणमुखाय पञ्चमुखहनुमते कराल वदनाय नरसिंहाय, ॐ ह्रां ह्रीं ह्र हैं हौं ह सकल भूत प्रेतदमनाय स्वाहा ।
इस मंत्र की जपसंख्या 10 हजार है, जप पश्चात हवन अजगंध से करना चाहिये।
- ॐ हरिमर्कट मर्कट वामकरे परिमुंचतिमुंचति श्रंखलिकाम् ।
इस मंत्र का जाप एक सौ आठ बार 21 दिनों तक प्रतिदिन करने से सिद्धि प्राप्त होती है एवं कैद में पड़ा मनुष्य कैद से छूट जाता है।
- ॐ ऐं श्रीं ह्रीं ह् हस्फ हख्क्रें हस्त्रौं हों हसौं ।
यह 11 अक्षरों वाला मंत्र अति फलदायी है इसे 11 हजार की संख्या में प्रतिदिन जपना चाहिए।
- ॐ यीं यों हनुमन्त फलफलितधन्यधागित आयुराप परुडार ॐ ।
प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का 25 माला जाप करने से 25 मंगलवार में यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है।
- ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।
इस मंत्र को 18 हजार की संख्या में प्रतिदिन जाप किया जाये एवं 18 दिन में अनुष्ठान पूर्ण किया जाये।
- ॐ ह्रां ह्रीं फट् देहि ॐ शिवं सिद्धि ॐ ह्रां ह्रीं हूं स्वाहा ।
- ॐ ह्रां सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा ।
हं पवननन्दाय स्वाहा ।यह दशाक्षरी मंत्र समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है,इसकी जप संख्या एक लाख है ।
- ॐ हं हनुमते रुद्रान्यकाय हूँ फट् ।
यह द्वादश अक्षर का महामंत्र है, हनुमान जी का ध्यान एवं पूजन करके इस मंत्रका एक लाख जाप करें।
तत्पश्चात् हवन, तर्पण आदि करना चाहिये। यह मंत्र सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाला है।
- ॐ नमो हनुमते मदन क्षोभं संहर संहर आत्मतत्वं प्रकाशय प्रकाशय हुं फट् स्वाहा ।
एक लाख मंत्र जपकर घी मिश्रित तिल से दशांश हवन करें, इसके प्रभाव से सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
- ॐ हं पवन नन्दनाय स्वाहा ।
इस दशाक्षरी मंत्र के द्वारा मंत्रोपासक अपना हित साधन कर सकता है। इसकी जप संख्या एक लाख है। इस मंत्र के द्वारा आयु, आत्मबल एवं विद्या की प्राप्ति होती है।
- ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अमुकस्य श्रंखलां त्रोटय त्रोटय बन्ध मोक्षं कुरुकुरु स्वाह ।
एक लाख की संख्या में जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
- ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।
हनुमान जी का ध्यान कर इस मंत्र का दस हजार जप करें एवं घी एवं तिल मिलाकर दशांश हवन करें। प्रतिदिन 108 बार जप करने से छोटे-मोटे रोग से मुक्ति मिल जाती है, बड़े लोगों के लिये प्रतिदिन एक हजार जाप करना चाहिये ।
- ॐ हनुमते नमः अंजनी गर्भ-सम्भूतः कपीन्द्र सचिवात्तम ।
इसकी जप संख्या 12 हजार है। सिद्धि पश्चात् शत्रुओं से रक्षा होती है और इच्छित फल प्राप्त होता है।
- ॐ हनुमते नमः । आपदामपहर्तारं दातारं सर्व सम्पदाम् लोकाभिरामंश्री रामं भूयो भूयो नमाम्यहम् श्री हनुमते नमः ।
बारह मंगलवारों तक प्रत्येक मंगलवार तक प्रातः काल एवं सायंकाल में बारह-बारह माला इस मंत्र का जाप करना चाहिये।
- ॐ हनुमते नमः कर्मदेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून् संहर माँ रक्ष, श्रियं दापय में प्रभो । ॐ हनुमते नमः ।
इस सम्पुटित मंत्र का 12 माला जप सुबह शाम व्रत रखकर 12 मंगलवारों तक करें। शत्रु निवारण, आत्मरक्षा एवं व्यवसाय के लिये अचूक मंत्र है।
- ॐ पूर्व कपि मुखाय पन्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु संहरणाय स्वाहा ।
शत्रु भय देर करने के लिये यह एक उपयोगी मंत्र है, इसकी जप संख्या 15 हजार है।
- ॐ पश्चिम मुखाय गरुडासनाय पंचमुखहनुमते नमः, मं, मं, मं,मं, मं, सकल विषहराय स्वाहा ।
इस मंत्र की जप संख्या 10 हजार है, इसकी साधना दीपावली की अर्ध रात्रि पर करनी चाहिये । सिद्धि के लिये श्रद्धा और विश्वास अति आवश्यक है। यह मंत्र विष उतारने में अत्यधिक सहायक है ।
- ॐ परकृतयंत्रमंत्र पराहंकार भूत प्रेतपिशाच पर दृष्टि सर्वविघ्न दुर्जनवेटक । विद्यासर्वग्रहमयं निवारय निवारय वध वध पच पच दल दल विलय - विलय कीलय कीलय सर्वकुयान्त्राणिकुदुष्ट वाचं ॐ हं फट् स्वाहा ।
- ॐ ह्रां ह्रीं हैं हनुमते नमः ।
- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट ॥
इस मंत्र का एक लाख जप करके दूध, दही एवं घी मिश्रित चावल से दशांश हवन करना चाहिये।
- ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अनुकस्य श्रंखलां त्रोटय त्रोटय बन्धमोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।
इस मंत्र की जप संख्या एक लाख है, फिर आम के पत्तों से दशांश हवन करना चाहिये, इसके प्रभाव से मनुष्य कारागार से मुक्त हो जाता है।
- ॐ श्री महाञ्जनाय पवन पुत्रावेश्यावेशय ॐ श्री हनुमते फट् ।
इस मंत्र की जपसंख्या एक लाख है, मंत्र सिद्धि के उपरान्त यह मंत्र ग्रह पीड़ा निवारण में अत्यधिक उपयोगी है।
- ॐ नमो भगवते हनुमदारूपरुद्राय सर्व दुष्टजनमुखस्तं मनं कुरु कुरुॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ठं ठं ठं फट् स्वाहा ।
- ॐ नमो हनुमते पवनपुत्राय वैश्वानरसखाय हन हन पापदृष्टि हनुमदाज्ञाया स्फुरः ॐ स्वाहा ।
- ॐ नमो हनुमते अंजनी गर्भसंभूताय राम लक्ष्मण नन्दकाय कपि सैन्य प्रकाराय पुण्य प्रकाशनाय पर्वतोत्पारनाय सुग्रीवसाधनकाय रणे परोच्चाटनाय कुमार ब्रह्मचर्याय गंभीर शब्दोंयाय ॐ ह्रीं ह्रीं हूं सर्वदुष्ट निवारणाय स्वाहा ।
- ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।
- ॐ नमो हनुमते सर्वग्रहान् भूतामविष्यद्वर्तमानान् दूरस्थसमीपस्थान् सर्वकाल दुष्टबुद्धिं उच्चाटय उच्चाटय परबलानि क्षोभय मम सर्वकार्य साधय- साधय हनुमते स्वाहा।
इच्छित वर का मंत्र
यह अष्टदशाक्षर मंत्र, मंत्र - महोदधि के अनुसार है। इस मंत्र को किसी शुभ समय स्नान एवं संध्या आदि नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर प्रारंभ करना चाहिए। मूल मंत्र का पुरश्चरण विधि से लक्षवार जप करना चाहिए। जप का दशांश हवन, हवन का दशांश मार्जन, मार्जन का दशांश तर्पण एवं तर्पण का दशांश या यथाशक्ति ब्रह्मण भोजन कराना चाहिए। मंत्र के सिद्ध हो जाने पर हनुमान जी प्रसन्न होकर साधक को इच्छित वर दे देते हैं। मंत्र यह है-
- ओम् नमो भगवते आंजनेयाय् महाबलाय स्वाहा ।
सर्वरोग निवारक मंत्र
निम्न मंत्र को सिद्ध करने के लिए हनुमान जी के किसी भी मंदिर में जाकर, उनकी मूर्ति के समीप तेल का दीपक जलाकर सवा लाख मंत्र जप करना चाहिए । यह अनुष्ठान 41 दिन में पूर्ण कर लेने का विधान है। गुड़ का चूरमा भोग में रखना चाहिए। प्रयोग करने पर मोर पंख से 108 बार मंत्र का उच्चारण कर झाड़ना चाहिए। मंत्र है-
बन में बैठी बानरी जिन जाया हनुमत, वाला , डमरू,
ब्याहि,बिलाई,आंख की पीड़ा,मस्तक पीड़ा,
चौरासीबाय,बली-बली भस्म हो जाये, पके न
फूटे,पीड़ा करे तो गोरखजती रक्षा करे। गुरु
की शक्ति मेरी भक्ति फुरौ मंत्र ईश्वरो वाचा
सत्य नाम आदेश गुरु को ।श्री हनुमत जंजीरा
इस मंत्र की साधना किसी हनुमान मंदिर में की जानी चाहिए। 21 दिन तक नित्य एक माला का जप करना होता है। जप के समय हनुमान जी का पंचोपचार या षोडशोपचार से पूजन करें, जप करते समय किसी प्रकार से डरना नहीं चाहिए। जप के पूर्ण होने पर एक नारियल और लाल कपड़े का तिकोना झंडा मंदिर पर चढ़ाएं। थोड़ा हवन भी कर लें। यह मंत्र भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, नजर और जादू-टोने से शरीर की रक्षा करता है।
ओम् हनुमान पहलवान, बरस बारह का जवान,
हाथ में लड्डू मुख में पान,
खेल-खेल गढ़ लंका में चौगान,
अंजनी का पूत राम का दूत,
छिन में कीलौ नौ खण्ड का भूत,
जाग जाग हनुमान हुंकाला,
तातो लोहा लंकाला शीश जटा डग डेरूं उमर गाजे,
वज्र की कोठड़ी वज्र का ताला,
आगे अर्जुन, पीछे भीम, चोर नाहर,
थम्पे से सींव, अजरा र्झर, भरया भरै,
इस घट पिण्ड की रक्षा राजा रामचंद्र जी,
लक्ष्मण कुंवर, हनुमान करै ।
वशीकरण के लिए मंत्र
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय हनुमते ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रुं रुं रुं रुं रुं रुद्रमूर्तये सकललोक वशकराय वेदविद्यास्वरूपिणे ॐ नमः स्वाहा।
नोट-यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि उपरोक्त प्रयोगों में प्रयुक्त यंत्र व माला पूर्णतःचैतन्य व प्राण प्रतिष्ठित होनी चाहिए। दिव्यतम वैदिक मंत्रों द्वारा चैतन्यता प्राप्त सामग्री के अभाव में अभीष्ट सिद्धि की कामना न करें।
सर्व कामनापूरक मंत्र
किसी भी मंगलाचार के दिन किसी भी नदी के किनारे जाकर वहां की मिट्टी से हनुमान की मूर्ति बनाकर, विधिवत् पूजा-अर्चना करके उपस्थित मंत्र का जप करें। इस मंत्र का पुरश्चरण 12 लाख मंत्र जप से होता है। मंत्र सिद्ध होने के पश्चात् हनुमान साधक के वशीभूत होकर उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। यदि साधक किसी कठिन समय में इस मंत्र का 15 बार उच्चारण करता है, तो हनुमान जी तत्काल प्रकट होकर उसकी सहायता करते हैं, उसकी इच्छा पूरी करते हैं। मंत्र यह है-
- ओम् हनुमान: हनुमतः रामभक्ता
- हां हां हूं हूं हा हा स्वाहा ।
बंधन मुक्त मंत्र
निम्न मंत्र के ईश्वर ऋषि, अनुष्टुप छंद और श्रृंखलामोचक श्री हनुमान जी देवता हैं, "हम्” बीज और "स्वाहा " शक्ति है। कैद से छूटने के लिए इस मंत्र का विनियोग किया जाता है। इस मंत्र का ध्यान इस प्रकार करें कि हनुमान जी, बाएं हाथ में शत्रुओं को विदीर्ण करने वाला पर्वत एवं दाहिने हाथ में विशुद्ध टंक धारण करने वाले स्वर्ण के समान कांतिमान, कुंडलमंडित वानरराज हनुमान जी का ध्यान करो। पुरश्चरण पद्धति से एक लाख जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। जप के बाद दशांश हवन आम्र पल्लवों से करें। यदि साधक किसी कारण से कारावास में बंद कर दिया जाता है, तो स्वयं के लिए दस हजार जप करें, कारावास से मुक्ति मिल जाएगी। साधक यह प्रयोग स्वयं के साथ-साथ अन्यों के लिए भी कर सकता है।निम्न मंत्र में अमुकस्य के स्थान पर साध्य व्यक्ति का नाम लेना चाहिए ।
ओम् नमो भगवते आंजनेयाय अमुकस्य श्रृंखलां
त्रोटय त्रोटय बंध मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।
निम्न मंत्र की जप - क्रिया भी उपरोक्त मंत्र की भांति है। जब कोई व्यक्ति निर्दोष होते हुए भी कारावास (जेल) में डाल दिया जाए, तो उसे चाहिए कि इस मंत्र को अपने दाहिने हाथ की उंगली से बाएं हाथ की हथेली पर लिखे और मिटा दे । यह क्रम 108 बार करे। यदि लगातार सात दिनों तक यह क्रिया कर ली जाए, तो 21 दिन में ही उसे कारावास से मुक्ति मिल जाएगी। मंत्र यह है-
हरि मर्कट मर्कट वाम करे
परिमुंजित मुंजित श्रृंखलि काम्।
हनुमत्कृपा प्राप्ति के विशिष्ट मंत्र
प्रस्तुत 8 मंत्र हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के हैं । इनमें से किसी भी 1 मंत्र को 10 से 1,00,000 जप करें 11वें दिन दशांश हवन और स्वयं ब्राह्मणों को भोजन कराने से शीघ्र ही फल प्राप्त होता है।
- ओम् हनुमते नमः ।
- आपदामपहर्तारं दातारं सर्व सम्पदाम्।
- लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥
- श्री हनुमते नमः ।
- अंजनीगर्भ संभूतः कपींद्र सचिवोत्तमः ।
- रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा ॥
- ओम् हं हनुमते रुद्रात्मकाय हूं फट् ।
- ओम आंजनेयाय विद्महे महाबलाय ।
- ओम् पूर्व कपिमुखाय पंचमुख हनुमते
- टं टं टं टं टं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा । ओम् पश्चिममुखाय गरुड़ास्त्रनाय पंचमुख
- हनुमते मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा ।
धीमहि तंनो हनुमत प्रचोदयात्॥
निम्न मंत्रों में से किसी भी 1 मंत्र को प्रतिदिन 3 हजार की संख्या जप करना चाहिए। 11 दिनों तक संयम-नियम के साथ रहकर जप करते रहें और समाप्ति पर दशांश 33 सौ हवन करें, तो साधक को नि:संदेह हनुमानजी की कृपा प्राप्त होगी और ऊपर आई समस्त विपदाएं टल जाएंगी, तथा सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी। मंत्र यह है-
हनुमंनंजनी सूनो वायुपुत्रं महाबलः ।
- अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोस्तुते ।
- ओम् हं हनुमते आंजनेयाय महाबलाय नमः ओम् आंजनेयाय महाबलाय हुं फट् ।
- ओम् ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय नमः ।
- हनुमन् उर्वधर्मज्ञः सर्वकार्य विधायकः ।
- अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोस्तुते ॥
विशेष - मंत्र जप की समाप्ति पर आरती, स्तुति पाठ और प्रार्थना करना भी आवश्यक है। इन सभी का पालन करते हुए ही जप- साधना करनी चाहिए। हनुमान जी की साधना में क्रोध, द्वेष, वैर, हिंसा, अपवित्रता, कुत्सित विचार, स्वार्थ, छल, चालाकी, अंध-विश्वास, शंका, भ्रम, अस्वच्छता और मानसिक चंचलता का सर्वथा दमन कर देना चाहिए। श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, विश्वास, सहिष्णुता, प्रभु के प्रति समर्पण की भावना, दासभा जैसी मनोस्थिति में किया गया जप ही लाभप्रद होता है।
श्री हनुमंत रोग निवारक मंत्र
शाबर मंत्रों के अथाह सागर में अधिकांश मंत्रों में हनुमान जी को ही प्रमुख देवता मानकर उन्हीं की दुहाई दी जाती है। शाबर मंत्रों का प्रयोग करने से अवश्य ही चमत्कारी प्रभाव पड़ता देखा गया है। यहां पर हम इस अध्याय में हनुमान जी के रोग निवारक शाबर मंत्रों का वर्णन कर रहे हैं। कुछ अग्रांकित मंत्रों में से अधिकांश मंत्रों का मैंने अनेकानेक लोगों पर प्रयोग किया भी है और अन्य दूसरे शाबर मंत्रियों को भी इन मंत्रों का सफलतापूर्वक प्रयोगकर देखा है। अतएव इन मंत्रों के प्रयोग और परिणाम के रूप में पूरी तरह से निश्चितता के साथ में यह बात तो कह सकता हूँ कि वास्तव में रोग निवारण हेतु इन मंत्रों का प्रयोग करने से रोग और रोगी पर प्रभाव अवश्य पड़ता है।
बवासीर दूर करने का मंत्र
ॐ काकाकर्ता क्रोरी करता ॐ करता से होय व रसना दशहूं स प्रकटे खूनी बादी बवासीर न होए, मंत्र जान के न बताए द्वादश ब्रह्म हत्या का पाप होय शब्द सांचा पिण्ड काचा तो हनुमान का मंत्र सांचा, फुरो मंत्र इश्वरो वाचा । उपरोक्त मंत्र एक लाख जाप से सिद्ध होता है। जो व्यक्ति इसे सिद्ध कर लेता है, उसे बवासीर रोग नहीं होता। रात्रि के रखे जल को 21 बार अभिमन्त्रित कर शौच को जाएं तथा शौच के बाद अभिमंत्रित जल से गुदा को धोने से बवासीर रोग दूर होता है ।
देह रक्षा का मंत्र
यह मंत्र 1008 बार जपने से सिद्ध हो जाता है । नित्य एक माला ( 108 बार ) जपने से अभिचार प्रभावहीन होता है।
- ॐ नमः वज्र का कोठा जिसमें पिण्ड हमारा पैठा, ईश्वर कुञ्जी ब्रह्मा का ताला मेरे आठों धाम का यती हनुमंत रखवाला ।
रोग निवारक हनुमान मंत्र
शारीरिक-मानसिक रोग, प्रेत बाधा, या किसी के द्वारा अभिचारःपीड़ित व्यक्ति पर निम्न मंत्र से अभिमंत्रित जल छिड़कने मात्र से सब प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। श्रद्धा परम आवश्यक है। मंत्र इस प्रकार है- ॐ नमो हनुमते पवन पुत्राय वैश्वानरमुखाय पापदृष्टि, घोर दृष्टि,हनुमदाज्ञा स्फरेत-स्वाहा । उक्त मंत्र का नियमानुसार नित्य जप करने वाले साधक के संकट, हनुमंत कृपा से, चमत्कारिक रूप से स्वतः दूर हो जाते हैं।
पीलिया रोग शमन हेतु
ॐ यों यो हनुमन्त फल फलित धग्धगिति आयु रास परूडाह ।यह 25 अक्षरों का मन्त्र प्लीहा रोग दूर करने में प्रयुक्त होता है। जिस व्यक्ति को यह रोग हो, उसके पेट पर पान का पत्ता रखे और उस पर 8 पर्त लपेटा हुआ वस्त्र रखकर उसे ढक दें, फिर हनुमान जी का स्मरण करके उस पर बांस का एक टुकड़ा रखें। बाद में बेर की लकड़ी से बनी छड़ी लेकर उसे जंगली चकमक पत्थर से प्रगट की गई आग पर उक्त मन्त्र से सात बार तपाएं, फिर उस छड़ी से पेट पर रखे हुए बांस के टुकड़े पर सात बार प्रहार करें। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
कान दर्द दूर करने का मंत्र
बनरा गांठ बनरी तो ढांट हनुमान अंकटा, बिलारी बाधिनी थनैला कर्ण मूल जाई श्री रामचंद्रवानी जलपथ होई।
कान- दर्द हो तो उपरोक्त मंत्र से झाड़ें। हाथ में बभूति लेकर सात बार मंत्र का उच्चारण करके बभूति को कान से छुआकर नीचे डाल दें।
धरन बैठाने का मन्त्र
ॐ नमो नाड़ी नाड़ी नौ नौ नाड़ी बहत्तर कोठा चले अगाड़ी डिगे न कोठा चले न नाड़ी । रक्षा करे जती हनुमन्त की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा !जब नाड़ी निर्धारित स्थान से खिसक जाती है तो पेट में पीड़ा होने लगती है, भूख नहीं लगती तथा खाया-पीया हजम नहीं होता। इसके निवारण के लिए सूत के धागे में नौ गांठें लगाकर प्रत्येक गांठ पर नौ बार उपरोक्त मंत्र फूंके । फिर उसे छल्ले की तरह बनाकर पीड़ित व्यक्ति की नाभि पर रखें और नौ बार पुनः फूंक मारें। ऐसा करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाएगी।
उदर रोग नाशक मंत्र
ॐ यो यो हनुमन्तफलफलितधागधीगत आयुराषः षरूडाह । इस मंत्र को प्रतिदिन 11 बार पढ़ने से सब तरह के पेट के रोग ठीक हो जाते हैं
कांख में होने वाले फोड़े को झाड़ने का मंत्र
ॐ नमो कखलाई भरी तलाई जहाँ बैठा हनुमन्ता आई । पके न फूटै चले ने पीड़ा रक्षा करे हनुमन्त वीर, दुहाई गोरखनाथ की शब्द सांचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । सत्य नाम आदेश गुरु को ।उक्त मंत्र 21 बार पढ़कर झाड़ने व जमीन की मिट्टी लगाने से कांख का फोड़ा ठीक हो जाता है। रोग मुक्ति के लिए मंगलवार को व्रत रखने, लाल वस्त्र धारण करने तथा केवल एक बार लाल रंग का भोजन कर, श्री हनुमान जी की आराधना करने तथा मंगलवार के दिन निम्न मंत्र की एक माला जप करने से निश्चित लाभ होगा ।
रोग निवारण के लिए
हनुमान बाहुक का रोगी की शैया के पास बैठकर पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
हनुमान जी के द्वादश नाम से चमत्कारी लाभ प्राप्त होता है। इनके पवित्र नामों के स्मरण मात्र से समस्त भय नष्ट हो जाते हैं, रोग निवारण होता है तथा युद्ध में विजय प्राप्त होती है।
- हनुमान जी के द्वादश नाम इस प्रकार हैं :
अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबली, रामेष्ट, फाल्गुनसख, पिंगाक्ष, अमितीवक्रम, उदीध क्रमण, सीताशोकविनाशन, लक्ष्मणप्राणदाता, दशग्रीवदर्पहा और हनुमान ।
स्त्रियों की स्तन - पीड़ा निवारण का मंत्र
ॐ वन में जाई अंजनी जिन जाया हनुमन्त ।
सज्जा खधा ढांकिया सब हो गया भस्मन्त ॥
उक्त मंत्र सिद्ध करने के बाद राख से रोगी स्त्री से झड़वाएं तथा स्वयं मंत्रोच्चारण करें ।
चूहे भगाने का मंत्र
पीत पीताम्बर मूशा गांधी। ले जाइहु तु हनुवन्त बांधी।
ए हनुमन्त लंका के राऊ । एहि कोणे पैसेहु एहि कोणे जाऊ ॥
स्नान करके हल्दी की पांच गांठें व कुछ चावल अभिमंत्रित कर घर या खेत में डालने से चूहे भाग जाते हैं।
सिरदर्द दूर करने का मंत्र
- लंका में बैठ के माथ हिलावै हनुमन्त ।
- सों देखि राक्षसगण पराय दूरन्त ॥
- बैठी सीता देवी अशोक वन में।
- देखि हनुमान को आनन्द भई मन में ॥
- गई उर विषाद देवी स्थिर दर्शाय ।
- अमुक के सिर व्यथा पराय ॥
- अमुक के नहीं कछु पीर नहीं कछु भार ।
- आदेश का मारण्या हरि दासी चण्डी की दोहाई ॥
सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति को दक्षिण दिशा में मुंह करके बैठाएं। फिर उसके सिर को दाएं हाथ से पकड़कर उपरोक्त मंत्र सात बार पढ़कर सिर पर फूंक मारें ।.
आधासीसी दर्द दूर करने का मंत्र
- ॐ नमो वन में ब्याई वानरी, उछल वृक्ष पै जाय । कूद-कूद शाखान पे कच्चे वन फल खाय ॥ आधा तोड़े आधा फोड़े आधा देय गिराय । हंकारत हनुमानजी आधा सीसी जाय ॥
- वन में ब्याई अंजनी कच्चे वन फल खाय । हांक मारी हनुमन्त से इस पिण्ड से आधासीसी उतर जाय ॥
उपरोक्त दोनों मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र से झाड़ने पर आधासीसी का दर्द दूर होता है।
नेत्र रोग दूर करने का मंत्र
ॐ झलमल जहर भरी तलाई, अस्ताचल पर्वत से आई, जहां बैठा हनुमंता, जाई फूटै न पाकै करै, न पीड़ा जाती है, हनुमंत हरे पीड़ा मेरी । भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु को ।
ग्यारह बार मंत्रोच्चारण कर नीम की डाली से यह क्रिया तीन दिन तक नियमित करने से नेत्र रोग दूर होता है।
ॐ नमो वन में ब्याई बानरी जहां-जहां हनुमान अंखिया पीर कषवा रो गेहिया थने लाई चारिऊ जाए भस्मंतन गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा । यह मंत्र 7 बार उच्चारण करने से रोग ठीक हो जाता है।
अण्डवृद्धि रोग तथा सर्प निवारण का मंत्र
- ॐ नमो आदेश गुरू को जैसे को लेहु रामचन्द्र कबूत ओ सई करहु राध बिनु कबूत पवन सुत हनुमन्त धाऊ हरहर रावन कूट मिरावन श्रवइ अण्ड खेतहि श्रवइ अण्ड अण्ड विहण्ड खेतहि श्रवइ वाँज गर्भहि श्रवइ स्त्री पीलहि श्रवड् शापहर हर जम्बीर हर जम्बीर हर हर हर ।
उक्त मंत्र बोलते हुये फूले हुए अंडकोष को हाथ से सहलाने तथा अभिमंत्रित जल रोगी को पिलाने से रोग दूर होता है। इसी मंत्र से अभिमंत्रित मिट्टी का ढेला यदि सांप के बिल पर रखा जाए तो सांप स्वयं ही बाहर निकल आता है।
बिच्छू का विष उतारने का मंत्र
पर्वत ऊपर सुरही गाई। कारी गाय की चमरी पूछी । ते करे गोबरे बिछी बिआई। बिछी तौर कर अठारह जाति 6 कार 6 पीअरी 6 भूमाधारी 6 रत्न पवारी । 6 कुं हुं कुं हुं छारि । उतरू बिछी हाड हाड पोर पोर ते। कस मारे लील कंठ गरमोर। महादेव की दुहाई, गौरा पार्वती की दुहाई। अनीत टेहरी शडार बन छाई, उतरहिं बीछी हनुमंत की आज्ञा दुहाई हनुमत की ।
- 'ॐ हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा'
प्रयोग करने से पहले मंत्र को होली, दीपावली अथवा सूर्य, चन्द्र ग्रहण काल में सिद्ध कर, मंगलवार से 'ॐ हरि स्वाहा' मंत्र सवा लाख जपने से सिद्ध हो जाता है । बिच्छू के काटे को बंध बांधकर मोर पंख या नीम की डाली से झाड़ा दें ।
पीलिया रोग निवारण का मंत्र
ॐ वीर वैताल असराल नारसिंह खादी तुर्षादी, पीलिया कूं भिदाती, करै, जारै पीलिया रहै न नेक निशान जो कहीं रह जाए तो हनुमंत की आन, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र इश्वरो वाचा । उपरोक्त मंत्र को सिद्ध करने के बाद पीलिया रोग दूर करने हेतु कांसे की एक कटोरी में तिल का तेल लें। इस कटोरी को रोगी के सिर पर रखकर मंत्र जाप करते हुए कुशा (डाभ) से तेल को चलाएं। मंत्र के प्रभाव से तेल जब पीला हो जाए तब कटोरी नीचे रखें। ऐसा तीन दिन तक करने से रोग दूर हो जाता है ।
सर्प विष उतारने का मंत्र
जेहि समय गए राम वन माहीं। तिनका तहां कष्ट अति होंही ॥
सिय हरण अरु बाली नाशा । पुनि लागी लषन नाग फांसा ॥
बिकल हरि देख नाग फांसा । स्मरण करहिं गरुड निज दासा ॥
विनता नन्दन बसहिं पहारा। पहुंचे स्मरण ते ही लंका पल पारा ॥
रहे लखन बांधि जितने सब नागा। सो गरुड़ देख तुरत सब भागा ॥
अमुक अंग विष निर्विष होड़ जाई । आदेश श्रीरामचन्द्र की दुहाई ॥
आज्ञा विनतानन्दन की आन ।
जब रोगी मरणासन्न हो, तब उक्त राम-सार मंत्र का सात या बारह बार उच्चारण कर झाड़ा देने से रोगी को चेतना आती है मंत्र में 'अमुक' के स्थान पर रोगी का नाम लें।
दांत का कीड़ा झाड़ने का मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को वन में ब्याई अंजनी जिन जाया हनुमन्त, कीड़ा मकड़ा माकड़ा ए तीनों भरमन्त, गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । दीपावली की रात्रि से जाप शुरू कर एक लाख बार जपें तो मंत्र सिद्ध हो जाएगा। जब मंत्र सिद्ध हो जाए तब नीम की डाली से झाड़ने पर दांत दर्द शीघ्र ठीक हो जाता है। मंत्रोच्चारण के समय कटेरी के बीजों का धुआं दें और बांस या कागज की नलकी (फूंकनी) से फूंक मारें ।
भूत-प्रेत दूर करने का मंत्र
बांधो भूत जहां तु उपजो छाडो, गिरे पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तुजिभ झिलमिलाहि हुंकारे हनुमंत पचारइ भीमा जारि - जारि जारि भस्म करे जों चापैं सिंऊ।
लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम प्रयोग
संसार में कौन ऐसे व्यक्ति होगा जो अपने जीवन में लक्ष्मी प्राप्ति और उसके उपभोग की इच्छा न रखता हो। हरेक व्यक्ति लक्ष्मी (धन) प्राप्त करना चाहता है, प्रत्येक इन्सान के मन में धनवान बनने की इच्छा होती है । लक्ष्मी अर्थात् धन सम्पत्ति आज के युग की प्रत्येक इन्सान की आवश्यकता है। लक्ष्मीवान (धनवान ) व्यक्ति को ही सारे सुखों की प्राप्ति होती है किन्तु लक्ष्मी घर में आये कैसे ? यह कठिन समस्या है। और आपकी इस कठिन समस्या के निवारण हेतु ही लेखक 'प्रमोद सागर जी ने 'लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम प्रयोग' नामक अत्यन्त कल्याणकारी पुस्तक की रचना की। यह पुस्तक आपके लिए महान कल्याणकारी है क्योंकि इसमें उन स्वर्णिम सूत्रों के प्रयोग के बारे में आसान ढंग से बताया गया है जिनको उपयोग में लाकर स्वयं आप भी लक्ष्मीवान (धनवान) बन सकते हैं। दरिद्रतानाशक प्रयोग, व्यापार में वृद्धिकारक प्रयोग, इन्टरव्यू एवम् परीक्षा में सफलता प्राप्ति हेतु प्रयोग, बाधित व्यापार की अनिष्टता दूर करने के प्रयोग, पृथ्वी में गड़ा धन प्राप्ति हेतु, असफल कार्य को सफल करने हेतु प्रयोग, भाग्योन्नति कारक प्रयोग, ऋण (कर्ज) मुक्ति प्रयोग, आर्थिक सम्पन्नता हेतु प्रयोग, विदेश यात्रा हेतु प्रयोग, जीवन में सर्वत्र सफलता प्राप्ति हेतु अद्भुत प्रयोग आदि हजारों लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम सूत्र दिये गये हैं। इसके अलावा घर में किसी प्रकार की ग्रह जनित पीड़ा अथवा वास्तु दोष है तो उसके निवारण के उपाय एवम् आसान टोटके भी दिये गये हैं, जिनका उपयोग करके आप ग्रह पीड़ा से मुक्त हो सकते हैं तथा अपने मकान को बिना किसी तोड़-फोड़ के आन्तरिक दोषों से मुक्त करके सुखमय जीवन व्यतीत करें।आज ही यह पुस्तक मंगाकर लाभ उठायें। पुस्तक का मूल्य 50 रुपये। बिना एडवांस पुस्तक नहीं भेजी जाएगी। असल की पहचान महामाया पब्लिकेशन्स और अमित पाकेट बुक्स देख कर ले।
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