Mangal Stotr : ऋणमोचक मंगल स्तोत्र हिंदी अर्थ और पाठ करने के लाभ
कर्ज में डूबे हुए मनुष्य इस ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ से नियमित रूप से करता है, उसे कर्ज से मुक्ति मिलता है।ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एक संस्कृत भजन है जो भगवान मंगल को समर्पित है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में मंगल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना ऋषि दुर्वासा ने की थी. शब्द "रिन मोचक" का अनुवाद "ऋण मुक्तिकर्ता" है. जो जातक कर्ज़ से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ रोज़ाना या फिर प्रत्येक मंगलवार ज़रूर करना चाहिए !
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Rnamochak Mangal Stotra Hindi Arth Paath Karane Ke Laabh |
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र हिंदी अर्थ
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः॥
अर्थ:हे मंगल देव! शास्त्रों में आपके जो नाम बताये गए हैं, उनमें पहला नाम मंगल, दूसरा भूमिपुत्र, जिनका जन्म पृथ्वी से हुआ, तीसरा ऋणहर्ता यानी कर्ज से मुक्ति दिलाने वाला, चौथा धनप्रद यानी धन को देने वाले, पांचवां स्थिरासन यानी जो अपने आसन पर अड़िग रहते हैं, छठा महाकाय यानी जो बहुत बड़े शरीर वाले हैं, सातवां नाम सर्वकमावरोधक यानी कार्य में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने वाला है।
लोहितो लोहिताङ्गश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥
अर्थ:हे मंगल देव! आपके नामों में आठवां नाम लोहित, नवा लोहितांग, दसवां सामगानां यानी कृपा करने वाले, जिसका अर्थ सामग ब्राह्मणों के ऊपर अपनी कृपा दृष्टि को रखने वाला है, ग्यारहवां धरात्मज यानी पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न होने वाला, बारहवां कुज, तेरहवां भौम, चौदहवां भूतिद यानी ऐश्वर्या को देने वाला, पंद्रहवां भूमि नंदन यानी पृथ्वी को आनन्द देने वाला है।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
अर्थ:हे मंगल देव! आपके नामों में सोलहवां नाम अंगारक, सत्रहवां यम, अठारवां सर्व रोग पहारक अर्थात समस्त तरह की कठिनाइयों को दूर करने वाला, उन्नीसवां वृष्टिकर्ता अर्थात वृष्टि करने वाले यानी वर्षा कराने वाला, बीसवां नाम वृष्टिहर्ता अर्थात बारिश न कर अकाल लाने वाला और इक्कीसवां नाम सर्वकाम फलप्रदा अर्थात संपूर्ण कामनाओं का फल को देने वाला है।
एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥
अर्थ:हे मंगल देव!जो मनुष्य आपके इन इक्कीस नाम का वाचन सच्चे मन और विश्वास से करता है, उस मनुष्य के ऊपर कभी ऋण यानी कर्ज नहीं होता है और वो अथाह धन की प्राप्ति करता है।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति-समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहरतं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ:हे मंगल देव! आपकी उत्पत्ती पृथ्वी के गर्भ से हुई है, आपकी आभा आकाश में कड़कने वाली दामिनी (आकाश में चमकने वाली बिजली) के समान है। सभी तरह की शक्ति को धारण करने वाले कुमार मंगलदेव को मैं नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूं।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत् पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥
अर्थ:हे मंगल देव! आपके मंगल स्तोत्र का पाठ मनुष्य को हमेशा अपने मन में किसी भी तरह के विकार को दूर कर एवं अपनी पूर्ण श्रद्धा एवं आस्था के साथ करना चाहिए। जो भी मनुष्य इस मंगल स्तोत्र का पाठ करता हैं और दूसरों को सुनाता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
अङ्गारक! महाभान! भगवन्! भक्तवत्सल!
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥
अर्थ:हे अंगारक अर्थात अग्नि की ज्वाला से जलने वाले! महाभाग अर्थात पूजनीय, ऐश्वर्यशाली, भक्तों के प्रति वात्सल्य यानी प्रेम रखने वाले आपको हम नतमस्तक होकर प्रणाम करते हैं। आप हमारे ऊपर किसी दूसरे से लिया हुआ उधार को पूर्ण करवा कर्ज को हमेशा के लिए दूर कर दीजिए।
ऋणरोगादि-दारिद्रयं ये चाऽन्ये ह्यपमृत्यवः।
भय-क्लेश-मनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥
अर्थ:हे मंगल देव! मेरे ऊपर किसी दूसरे का कोई बकाया हो तो उसे समाप्त कर दीजिए, किसी भी तरह की व्याधि हो तो उसको भी दूर कर दीजिए। हे मंगल देव, मेरी गरीबी को दूर कर अकाल मृत्यु के भय को दूर कीजिए। मुझे किसी भी तरह का डर, क्लेश और मन में दुःख हो तो उसे भी हमेशा के लिए दूर कर दीजिए।
अतिवक्र! दुराराध्य! भोगमुक्तजितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
अर्थ:हे मंगल देव! आपको संतुष्ट करना बहुत ही कठिन है, आप तो मुश्किल से प्रसन्न होने वाले भगवान मंगल देव हैं, आप जब किसी पर अपनी कृपा की बारिश करते हैं तो उसे समस्त प्रकार के सुख-समृद्धि देते हैं। जब आप किसी पर नाराज होते हैं तो उसकी सार्वभौम सत्ता को तहस-नहस कर देते हैं।
विरिञ्च-श्क्र-विष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥
अर्थ:हे महाराज! आप जब भी किसी से नाराज होते हैं, तो अपनी अनुकृपा दृष्टि से उसे हीन कर देते हैं। आप नाखुश होने पर ब्रह्माजी, इन्द्रदेव और विष्णुजी के भी साम्राज्य, संपत्ति को नष्ट कर सकते हैं, मेरे जैसे मनुष्य की तो बात ही क्या है। आप सबसे शक्तिशाली और सबसे बड़े राजा हैं।
पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गताः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥
अर्थ:हे भगवान! आप से प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे संतान के रूप में पुत्र प्रदान करें, मैं आपके द्वार पर आया हूं, आप मेरी मनोकामना को पूर्ण करें। मेरे ऊपर किसी तरह से भी किसी दूसरे से उधार लिया हुआ धन न रहे, मुझे कभी दूसरों के आगे हाथ फैलाना न पड़े, मेरी गरीबी को दूर कीजिए और मेरे सभी तरह के कष्ट और क्लेश का नाश कीजिए, जो मेरे दुश्मन बन चुके हैं, उनके डर से मुझे आप मुक्त कराएं।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥
अर्थ:जो भी मनुष्य इन बारह श्लोकों वाले ऋणमोचक मंगल स्तोत्र से मंगल देव की वंदना करता है, उस मनुष्य पर मंगल भगवान खुश होकर उसे धन-धान्य प्रदान कराते हैं। वह मनुष्य कुबेर भगवान की तरह धन-संपत्ति का स्वामी बन जाता है। वो मनुष्य हमेशा युवा रहता है।
॥ इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने की विधि
इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए विशेष विधि और समय का ध्यान रखना चाहिए। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:- मंगलवार के दिन या शुक्ल पक्ष के किसी शुभ दिन इस स्तोत्र का पाठ शुरू करें।
- प्रातः काल स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को साफ करें।
- पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
- यदि आपके पास मंगल यंत्र है, तो उसे दूध से धोकर लाल कपड़े पर रखें और उस पर लाल फूल चढ़ाएं।
- हनुमान जी को सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें और फिर श्रद्धा के साथ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
इस स्तोत्र का पाठ करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं:
- कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- भगवान हनुमान और मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
- तनाव और मानसिक कष्टों से राहत मिलती है।
- कुबेर के समान धन-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मंगल दोष के प्रभाव कम होते हैं।
- जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस प्रकार, ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एक अद्वितीय स्तोत्र है जो भक्त को कर्ज, रोग, और कठिनाइयों से मुक्ति दिलाकर उसके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
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