मां स्कंदमाता का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,Maa Skandamata Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

मां स्कंदमाता का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,

स्कंदमाता, महादेवी के नवदुर्गा रूपों में पांचवां रूप हैं. स्कंदमाता का नाम स्कंद से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय और माता का एक वैकल्पिक नाम है. स्कंद का अर्थ होता है ज्ञान को व्यवहार में लाते हुए कर्म करना. स्कंदमाता ऊर्जा का वो रूप हैं जिसकी उपासना से ज्ञान को व्यवहारिकता में लाकर पवित्र कर्म का आधार बनाया जा सकता है

जाने कौन हैं माता स्कंदमाता

माता स्कंदमाता, देवी के पांचवें स्वरूप हैं. स्कंदमाता, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं. स्कंदमाता के विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे हुए हैं. स्कंदमाता के नाम का अर्थ है, स्कंद (कार्तिकेय) और माता. स्कंदमाता, चार भुजाधारी सिंहासनगता पर बैठती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है

Maa Skandamata Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

आराधना मंत्र मां स्कंदमाता की

  • ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
  • सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी
  • ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
  • ॐ स्कन्दमात्रै नम:

मां स्कंदमाता स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता माता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता 
पांचवा नाम तुम्हारा आता 
सब के मन की जानन हारी 
जग जननी सब की महतारी 
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं 
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं 
कई नामों से तुझे पुकारा 
मुझे एक है तेरा सहारा 
कही पहाड़ो पर हैं डेरा 
कई शहरों में तेरा बसेरा 
हर मंदिर में तेरे नजारे 
गुण गाये तेरे भगत प्यारे 
भगति अपनी मुझे दिला दो 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 
इंद्र आदी देवता मिल सारे 
करे पुकार तुम्हारे द्वारे 
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं 
तुम ही खंडा हाथ उठाएं 
दासो को सदा बचाने आई 
'चमन' की आस पुजाने आई

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मां स्कंदमाता की कथा

प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में कार्तिकेय जी देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
एक कथा अनुसार -तारकासुर नामक राक्षस था। अंतिम मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब माँ पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षण देने के लिए स्कन्द माता का रूप धारण किया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण के दौरान भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया था।कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत्-कुमार, स्कन्द कुमार आदि अल्लाओं से भी जाना जाता है। माँ अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती है। पर्वतराज की बेटी के कारण पार्वती को भी कहा जाता है और भगवान शिव की पत्नी के होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इन गौर वर्णों के कारण अन्वेषक गौरी को भी कहा जाता है। माँ को अपने पुत्र से अधिक प्रेम होता है उदाहरण स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अधिक प्रेम करती है। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होते हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।

मां स्कंदमाता की पूजा करने से ये फ़ायदे मिलते हैं

मान्यता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं और कष्ट दूर होते हैं. स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है मां स्कंदमाता को पीले रंग की चीज़ें सबसे प्रिय हैं. इसलिए उनके भोग में पीले फल और पीली मिठाई अर्पित की जाती है. आप इस दिन केसर की खीर का भोग भी मां के लिए बना सकते हैं. विद्या और बल के लिए मां को 5 हरी इलाइची अर्पित करें और साथ में लौंग का एक जोड़ा भी चढ़ाएं

मां स्कंदमाता की पूजा के फ़ायदे

  • संतान प्राप्ति के लिए माता की आराधना करना उत्तम माना गया है.
  • वाणी क्षेत्र से जुड़े लोगों पर स्कंदमाता का खास प्रभाव पड़ता है.
  • गले में किसी प्रकार की तकलीफ़ या वाणी-दोष है, उन्हें गंगाजल में पांच लवंग मिलाकर स्कंदमाता का आचमन कराना चाहिए.
  • बृहस्पति ग्रह कमज़ोर हो तो स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.
  • बृहस्पति ग्रह मज़बूत होने से जातक को शिक्षा, नौकरी, मान-सम्मान और समृद्धि की प्राप्ति में सफलता मिलती है.
  • स्कंदमाता की विधि सम्मत पूजा करने से गुरु ग्रह स्वतः मज़बूत हो जाता है.
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