मां कालरात्रि का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,Maa Kalratri Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

मां कालरात्रि का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे

मां कालरात्रि, मां दुर्गा का सातवां रूप हैं. कालरात्रि का अर्थ है, 'जो सब को मारने वाले काल की भी रात्रि या विनाशिका हो'. संस्कृत में काल का अर्थ है मृत्यु या समय और रात्रि का अर्थ है रात या अंधकार. इस प्रकार, कालरात्रि वह है जो अंधकार की मृत्यु लाती हैमां कालरात्रि का स्वरूप उनके नाम की तरह घने अंधकार सा काला है. इनके तीन नेत्र हैं, जोकि ब्रह्मांड की तरह गोल हैं. इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गधा है

जाने कौन हैं माता कालरात्रि

माना जाता है कि इस रूप में मां ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध किया था. देवी का सातवां रूप संकटों से उबारने वाला माना जाता है. पुराणों के अनुसार, शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया था देवी कालरात्रि का पिंगला नाड़ी पर अधिकार माना जाता है. यह देवी तमाम सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं. इनकी साधना से भविष्य में देखने की क्षमता का विकास होता है. मन से भय का नाश होता है कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है, इसलिए इनको कालरात्रि कहा जाता है. देवी कालरात्रि के बारे में कहा जाता है कि यह दुष्टों के बाल पकड़कर खड्ग से उसका सिर काट देती हैं

Maa Kalratri Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

आराधना मंत्र मां कालरात्रि की

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
  • ॐ कालरात्र्यै नम:
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:
  • जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते
  • ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी
  • एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं 
  • ॐ क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

माँ कालरात्रि स्तुति

या देवी सर्वभूतेषू रात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तास्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

कालरात्रि माता की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
कालरात्रि जय जय

मां कालरात्रि की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब इससे चिंतित होकर सभी देवता शिवजी के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।

मां कालरात्रि की पूजा करने से ये फ़ायदे मिलते हैं

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए, सबसे पहले चौकी पर माता कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें मां कालरात्रि की पूजा सुबह और रात के समय में की जाती है. मान्यता है कि मां को रातरानी का फूल बहुत पसंद है. इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है

मां कालरात्रि की पूजा के फ़ायदे

  • भय, रोग, और दोष खत्म हो जाते हैं.
  • अकाल मृत्यु का योग टल सकता है.
  • सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
  • शत्रुओं का नाश हो जाता है.
  • शनि दोष, साढ़ेसाती, और ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है.
  • ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं का भय नहीं रहता.
  • गुप्त शत्रुओं पर जीत मिलती है.
  • नकारात्मक शक्तियों और गुप्त शत्रुओं से बचाती हैं.

टिप्पणियाँ