मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,Maa Brahmacharini Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade
मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है, 'तप का आचरण करने वाली'. ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है और चारिणी का मतलब आचरण करने वाली. देवी ब्रह्मचारिणी, मां दुर्गा के नवदुर्गा रूपों का दूसरा स्वरूप हैं. इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है.
जाने कौन हैं माता ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत बेहद पसंद है. इसलिए आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी जी को खुश करने के लिए आपको चीनी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा माता रानी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल और कमल अर्पित करें, क्योंकि माता को यह दोनों फूल बहुत ही ज्यादा पसंद है
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Maa Brahmacharini Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade |
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
- दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
- देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
- परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
- पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
- ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।।
आराधना मंत्र मां ब्रह्मचारिणी की
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्। जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
ब्रह्मचारिणी माता की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.
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मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी।. आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ये फ़ायदे मिलते हैं
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ जगह पर चौकी रखकर उनकी पूजा करें. मां को फूल, अक्षत, चंदन, फल, रोली, लौंग, पान और सुपारी अर्पित करें.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के फ़ायदे
- व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है.
- व्यक्ति अपने रास्ते से नहीं भटकता.
- व्यक्ति के अंदर त्याग, तपस्या, संयम, ब्रह्मचर्य, सदाचार जैसे गुण विकसित होते हैं.
- जीवन की कई समस्याओं और परेशानियों का अंत होता है.
- अगर कुंडली में मंगल दोष है, तो वह दूर हो जाता है.
- व्यक्ति कठिन से कठिन हालात में भी नहीं घबराता.
- व्यक्ति की इच्छाशक्ति मज़बूत होती है.
- मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है.
- व्यक्ति अपने नैतिक आचरण को भी बढ़ा सकता है
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