Lord Rama : भगवान राम के प्रसिद्ध नाम और भगवान का सर्वश्रेष्ठ नाम,Bhagavaan Raam Ke Prasiddh Naam Aur Bhagavaan Ka Sarvashreshth Naam

भगवान राम के प्रसिद्ध नाम और भगवान का सर्वश्रेष्ठ नाम

भगवान राम, विष्णु के सातवें और सबसे लोकप्रिय अवतारों में से एक हैं. हिंदू धर्म की राम-केंद्रित परंपराओं में, उन्हें सर्वोच्च व्यक्ति माना जाता है. रामायण के अनुसार, राम का जन्म कौशल्या और दशरथ के यहां कोशल साम्राज्य की राजधानी अयोध्या में हुआ था. उनके भाई-बहनों में लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न शामिल थे. राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है). हनुमान, भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं !

Bhagavaan Raam Ke Prasiddh Naam Aur Bhagavaan Ka Sarvashreshth Naam
  1. आदिराम - नित्य, स्वयंभू, शाश्वत सनातन अनंतराम, सर्वशक्तिमान परमात्मा जो सभी के सृजनकर्ता, पालनहार है
  2. राम - मनभावन, रमणीय, सुंदर, आनंददायक
  3. प्राणीमात्र के हृदय में 'रमण' (निवास, विहार) करते हैं, वह 'राम' हैं तथा भक्तजन जिनमें 'रमण' (ध्याननिष्ठ) होते हैं, वह 'राम' हैं
  4. रामलला - शिशु रुप राम
  5. रामचंद्र - चंद्र जैसे शीतल एवं मनोहर राम
  6. रामभद्र - मंगलकारी कल्याणमय राम
  7. राघव - रघुवंश के संस्थापक राजा रघु के वंशज, रघुवंशी, रघुनाथ, रघुनंदन
  8. रघुवीर - रघुकुल के सबसे वीर राजा राम
  9. रामेश्वर - राम जिनके ईश्वर है अथवा जो राम के ईश्वर है
  10. कौशल्या नंदन - कौशल्या को आनंद देने वाले, कौशल्या पुत्र, कौशलेय
  11. दशरथी - दशरथ पुत्र, दशरथ नंदन
  12. जानकीवल्लभ - जनकपुत्री सीता के प्रियतम
  13. श्रीपति - लक्ष्मी स्वरूपा सीता के स्वामी जानकीनाथ, सीतापति
  14. मर्यादा पुरुषोत्तम - धर्मनिष्ठ न्याय परायण पुरुषों में सर्वोत्तम 
  15. नारायणावतार - भगवान नारायण के अवतार, विष्णु स्वरूप
  16. जगन्नाथ - जगत के स्वामी, जगतपति
  17. हरि - पाप, ताप को हरने वाले
  18. जनार्दन - जो सभी जीवों का मूल निवास और रक्षक है
  19. कमलनयन - कमल के समान नेत्रों वाले, राजीवलोचन
  20. हनुमान ह्रदयवासी -  हनुमान के ह्रदय में वास करने वाले, हनुमानइष्ट, हनुमान आराध्य
  21. शिव आराध्य - शिव निरंतर जिनका स्मरण करते हैं, शिवइष्ट, शिवप्रिय, शिव ह्रदयवासी
  22. दशाननारि - दस शीश वाले रावण का वध करने वाले, रावणारि, दशग्रीव शिरोहर
  23. असुरारि - असुरों का वध करने वाले
  24. जगद्गुरु - अपने आदर्श चरित्र से सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देने वाले
  25. सत्यव्रत - सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले
  26. परेश - परम ईश्वर, सर्वोच्च आत्मा, सर्वोत्कृष्ट शासक
  27. अवधेश - अवध के राजा या स्वामी
  28. अविराज - सूर्य जैसे उज्जवल
  29. सदाजैत्र - सदा विजयी, अजेय
  30. जितामित्र - शत्रुओं को जीतनेवाला
  31. महाभाग -  महान सौभाग्यशाली
  32. कोदंड धनुर्धर - कोदंड धनुष को धारण करने वाले
  33. पिनाक खण्डक - सीता स्वयंवर में पिनाक (शिवधनुष) को खंडित करने वाले
  34. मायामानुषचारित्र - अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों जैसी लीलाएँ करने वाले
  35. त्रिलोकरक्षक - तीनों लोकों की रक्षा करने वाले
  36. धर्मरक्षक - धर्म की रक्षा करने वाले
  37. सर्वदेवाधिदेव - सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
  38. सर्वदेवस्तुत - सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं
  39. सर्वयज्ञाधिप - सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी
  40. व्रतफल - सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप
  41. शरण्यत्राणतत्पर - शरणागतों की रक्षा में तत्पर
  42. पुराणपुरुषोत्तम  - पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम
  43. सच्चिदानन्दविग्रह - सत्, चित् और आनन्द के स्वरूप का निर्देश कराने वाले
  44. परं ज्योति -  परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय
  45. परात्पर पर - इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर
  46. पुण्यचारित्रकीर्तन - जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं
  47. सप्ततालप्रभेता - सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले
  48. भवबन्धैकभेषज - संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप

भगवान का सर्वश्रेष्ठ नाम है ‘राम’

नारदजी ने कहा-

‘राम’ शब्द में विशालता, भव्यता, रमणीयता, मधुरता आदि सभी गुण आ जाते हैं। राम शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है, ‘र’ अग्नि या तेज का प्रतीक है, ‘आ’ आकाश का अर्थात् विशालता का और ‘म’ चन्द्र का यानी शीतलता और शान्ति का।
  • ‘राम’ शब्द में अद्भुत शक्ति है, मन में राम नाम को धारण करने से सूर्य के समान तेजस्वी श्रीराम की शक्ति का उदय होता है और ‘राम’ शब्द उस रूप को नेत्रों के सामने लाकर खड़ा करता है।
  • पृथ्वी पर राजा के रूप में सुशोभित होकर भक्तजनों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
  • राक्षस जिनके द्वारा मरण को प्राप्त होते हैं।
  • जो सबके मन को रमाने वाले (लोकाभिराम) हैं।
  • वे राज्य पाने के अधिकारी राजाओं को अपने आदर्श चरित्र के द्वारा धर्म का उपदेश देते हैं।
  • नाम जप करने पर ज्ञान की प्राप्ति कराते हैं।
  • ध्यान करने पर वैराग्य देते हैं।
  • पूजा करने पर ऐश्वर्य प्रदान करते हैं, और उसी चिन्मय ब्रह्म श्रीराम में योगीजन रमण करते है।
श्रीराम ने ‘ऐसा ही हो’ कह कर नारद मुनि को छाती से लगा लिया।

पारस रूपी राम है, लोहा रूपी जीव।
जब यह पारस भेटि है, तव जिव होवे शिव।।

  • अर्थात्
जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार राम नाम रूपी पारस के स्पर्श से जीव शिव बन जाता है। राम नाम मन्त्र है, सकल मन्त्र को राज।।
यह सभी मन्त्रों का बीज है, इसी में ऋद्धि-सिद्धि सब भरी हुई हैं, विश्वास न हो तो रात-दिन जप करके देख लो।
सब काम हो जाएगा, कोई काम बाकी नहीं रहेगा।

नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।
अंक गएं कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून।।

तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा बतलाते हुए कहते है कि जिस प्रकार किसी अंक के साथ शून्य की महिमा बढ़ जाती है, अंक हटा देने पर शून्य बेकार हो जाता है; उसी प्रकार राम-नामरूपी अंक के साथ यदि साधन रूपी शून्य को लगाते जाएं तो हमें हर शून्य के साथ उसका दसगुना, सौगुना, हजारगुना, लाखगुना फल प्राप्त होता है।

तुलसी ‘रा’ के कहत ही निकसत पाप पहार।
पुनि आवन पावत नहीं देत ‘म’कार किवार।।

स्कन्दपुराण में कहा गया है इस भूतल पर रामनाम से बढ़कर कोई नाम नहीं है। यह मन्त्रराज समस्त भय व व्याधियों का नाश करने वाला, युद्ध में विजय देने वाला (आन्तरिक युद्ध जो मनुष्य के मन में हर समय चलता रहता है अत: युद्ध में विजय का एक अर्थ है शांत मन) और समस्तकार्यों व मनोरथों को सिद्ध करने वाला है।
  • सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। (रामरक्षास्तोत्र ३८)
  • भगवान शंकर पार्वतीजी से कहते हैं—रामनाम विष्णुसहस्त्रनाम के तुल्य है।
  • मैं सदैव ‘राम, राम, राम’—इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूँ।
  • ‘राम’ इस मन्त्र का जाप अनन्त फल देने वाला है।

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