माँ कूष्मांडा की आरती - कूष्माण्डा जय जग सुखदानी,मुझ पर दया करो महारानी॥
देवी कूष्मांडा, मां दुर्गा का चौथा रूप हैं. उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपनी हल्की मुस्कुराहट से ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी वजह से उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है मां कूष्मांडा की पूजा से भक्तों के सभी रोग-शोक दूर हो जाते हैं. इनकी भक्ति से आयु, यश, बल, और आरोग्य की वृद्धि होती है. मां कूष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं मां कूष्मांडा को भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं. इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं
Kushmanda Ki Aarti : Maa Kushmanda Ki Aarti |
- माँ कूष्मांडा की आरती,Maa Kushmanda Ki Arati
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।
शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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