Jhulelal : झूलेलाल की कहानी और मंत्र ,Jhulelal Ki Story And Mantra

झूलेलाल की कहानी और मंत्र ,Jhulelal Ki Story And Mantra

झूलेलाल से जुड़ी एक मान्यता के मुताबिक, प्राचीन काल में जब सिंधी समाज के लोग व्यापार से संबंधित जलमार्ग से यात्रा करते थे, तब यात्रा को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे. यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चेटीचंड का त्योहार माना जाता है झूलेलाल, सिंधी समुदाय के भगवान हैं. वरुण देव, जल देवता, जिन्हें लाल साईं, उडेरोलाल, झूले लाल, दूलहलाल और जिंदा पीर के नाम से भी जाना जाता है. झूलेलाल दुनिया भर के सभी सिंधियों के लिए पूजनीय हैं

झूलेलाल की कहानी और मंत्र ,Jhulelal Ki Story And Mantra
  • झूलेलाल के माता पिता का नाम क्या है?
समय ने करवट ली और नसरपुर के ठाकुर रतनराय के घर माता देवकी ने चैत्र शुक्ल द्वितीया, संवत्‌ 1007 को बालक को जन्म दिया एवं बालक का नाम उदयचंद रखा गया। इस चमत्कारिक बालक के जन्म का हाल जब मिर्ख शाह को पता चला तो उसने अपना अंत मानकर इस बालक को समाप्त करवाने की योजना बनाई।
  • झूलेलाल का असली नाम क्या है?
प्रतिभागी आनंद चेलानी ने प्रश्नों के सही जवाब देते हुए बताया कि भगवान झूलेलाल का असली नाम उदयचंद है, वे वरुण देव के अवतार और चेतीचांद पर भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

भगवान झूलेलाल के कुछ मंत्र

  • ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा
  • ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥
  • अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारण भेषजात्। नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् !

झूलेलाल की कहानी ( Jhulelal Ki Story )

भगवान झूलेलाल जी का जन्म चैत्र शुक्ल 2 संवत 1007 को हुआ था, इनके जन्म के सम्बन्ध में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं. मगर इन सभी में बहुत सी समानताएं भी हैं यहाँ आपकों भगवान झूलेलाल जी की सर्वमान्य कथा बता रहे हैं जिन पर अधि कतर लोगों का विश्वास हैं.बात सिंध इलाके की हैं 11 वीं सदी में वहां मिरक शाह नाम का शासक हुआ करता था. वह प्रजा का शासक कम अपनी मनमानी करने वाला जनता को तरह तरह की शारीरिक यातनाएं देने में आनन्द खोजने वाला अप्रिय एवं अत्याचारी था. उसके लिए मानवीय मूल्य तथा व्यक्ति जीवन गरिमा व धर्म कुछ भी मायने नहीं रखते थे. दिन ब दिन बढ़ते शाह के जुल्मों से सिंध की प्रजा तंग आ चुकी थी. राजतन्त्र में वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते. उनके पास पुकार का एक ही जरिया था वह था ईश्वर से मदद की गुहार. राज्य की जनता सिन्धु के तट पर एकत्रित होकर भगवान से इस मुश्किल से निकालने के लिए प्रार्थना करने लगे. वरुणदेव उदेरोलाल ने जलपति के रूप में मछली पर सवार होकर लोगों को दर्शन दिया. तथा आकाशवाणी हुई कि हे भक्तों तुम्हारे दुखों का हरण करने के लिए मैं ठाकुर रतनराय के घर माँ देवकी के घर जन्म लूँगा तथा आपके जुल्मों को खत्म करूँगा !
चैत्र शुक्ल 2 संवत 1007 के दिन नसरपुर में माँ देवकी पिता रतनराय के घर चमत्कारी बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उदयचंद रखा गया. जब शासक मीरक शाह को यह खबर मिली तो उसने अपने सेनापति को इस बालक का वध करने के लिए भेजा ! सेनापति अपनी पूरी सेना के साथ नसरपुर के रतनराय जी के यहाँ पहुचकर बालक उदयचंद तक पहुचने का प्रयास किया तो झूलेलाल जी ने अपनी दैवीय शक्ति से शाह के राजमहल में आग लगा दी तथा उसकी फौज को पंगु बना दिया ! जब शाह की किसी ईश्वरीय शक्ति के ताकत का अंदाजा हुआ तो वह माँ देवकी के घर गया तथा झूलेलाल जी के कदमों में गिरकर अपने पापों की क्षमा मांगने लगा. इस तरह अल्पायु में ही झूले लाल जी ने आमजन में सुरक्षा का भरोसा दिलाया तथा उन्हें निडर होकर अपना कर्म करने के लिए प्रेरित किया ! सिंध का शासक मीरक शाह जिन्होंने झूलेलाल जी को मारने के लिए आक्रमण किया, उसका अहंकार चूर चूर हो गया तथा वह उनका परम शिष्य बनकर उनके विचारों को जन जन तक पहुचाने के कार्य में जुट गया. शाह ने अपने आराध्य के लिए कुरु क्षेत्र में एक भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया. सर्वधर्म समभाव तथा अमन का पैगाम देने वाले झूलेलाल जी एक दिव्य पुरुष थे !
  • झूलेलाल की पूजा क्यों की जाती है
झूलेलाल को वरुण देवता का अवतार माना जाता है. सिंधी समाज में उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था. सिंधी लोग उन्हें 'इष्ट देव' मानते हैं और उन्हें जल और ज्योति का अवतार मानते हैं सिंधी समुदाय के लोग चैत्र महीने में चंद्रमा के पहली बार दिखने पर चेटी चंड का त्योहार मनाते हैं. इस दिन को भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. चेटीचंड के दिन सिंधी समुदाय के लोग भगवान झूलेलाल की श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी जाना जाता है

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