Hanumaan Tantr : हनुमान तंत्र प्रयोग और सर्व कष्ट निवारक संकट मोचन बजरंग बाण,Hanumaan Tantr Prayog Aur Sarv Kasht Nivaarak Sankat Mochan Bajarang Baan
हनुमान तंत्र प्रयोग और सर्व कष्ट निवारक संकट मोचन बजरंग बाण
हनुमत तंत्र प्रयोग
शनि शांति के लिए
शनिवार के दिन हनुमान जी के पैर पर लाल सिंदूर अक्षत मिश्रित कर ॐ श्री रामदूताय नमः बोलते हुए चढ़ाएं।ॐ श्री रामदूताय नमः की तीन माला शनिवार के दिन जपे । लवंग से बनायी हुई माला चढ़ाएं।
भूत-प्रेत बाधा के तांत्रिक निवारण हेतु
'पंचमुखी हनुमान स्तोत्र' का दिन में नौ बार शुद्धता से पाठ करें। जल्दी ही आपदाओं से मुक्त हो जाएंगे।हनुमान कृपा के लिए
हनुमान यंत्र और मूंगे की माला या लाल चंदन की माला लें। प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करके आसन पर बैठकर सिंदूर, लाल पुष्प, धूप, दीप, चावल आदि से यंत्र का पूजन करें। नैवेद्य में दाल के बड़े चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का ध्यान से पठन करें।'हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ' मंत्र का 108 बार जाप करें।
बच्चों को नजर आदि से बचाने के लिए हनुमान के पैर के नीचे का सिंदूर लेकर तिलक करें।
सुख-शांति के लिए
108 बार मंगलवार या हनुमान जयंती, या राम नवमी के दिन 'हनुमान चालीसा'का पाठ कीजिए ।
कार्यसिद्धि के लिए
मूंग की माला से 'ॐ हनुमते नमः' मंत्र की चालीस दिन तक चालीस माला गिनें, तो कार्य में सिद्धि अवश्य मिलती है।सम्मोहन के लिए
हनुमान जी के पैर का सिंदूर लेकर, पतली-सी तिल्ली से, भौहों के बीच छोटा-सा तिलक करें।तनाव निवारण के लिए
मूंगे के आठ पत्थर लाल धागे में पिरो कर धारण करें। 23 दिन तक प्रतिदिन 'ॐ हुं हुं हनुमते हुं हुं फट्' का केवल पांच बार ध्यान करते हुए उच्चारण करें। 23 दिन के बाद माला को हनुमान मंदिर में चढ़ा दें।दुर्बुद्धि या कमजोरी निवारण के लिए
बुद्धि हीन तनु जानिके, सुमरौ पवन कुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार। इस पंक्ति का हनुमान जी के सामने नियमित रूप से 305 बार उच्चारण करें। जेल, बंधन से मुक्ति तथा गुम हुए लोगों को वापस लाने के लिए 'हनुमान चालीसा' का प्रतिदिन 305 बार पाठ करें। जेल में रहे व्यक्ति का नाम हनुमान जी से विनती करें, तो उसकी रिहाई कुछ दिनों में हो जाएगी।वीर्य और ब्रह्मचर्य रक्षा के लिए
ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितं मनः स्तम्भं कुरु कुरु स्वाहा । हर रोज़ दूध को देख कर 23 बार उच्चारण करें, बाद में दूध ग्रहण कर लें।प्रयोग के समय ध्यान दें
- लाल वस्त्र धारण करें।
- कम बोलें।
- ब्रह्मचर्य के पालन में अचूक रहें ।
- मूंगे की माला, या लाल चंदन की माला का उपयोग करें।
- उपवास करें।
- प्रयोग की बात किसी से भी न कहें ।
- बंदर को फल, या कोई भी वस्तु खिलाएं।
- प्रयोग के बाद हनुमान जी से क्षमा याचना अवश्य करें।
सर्वकष्ट निवारक संकटमोचक बजरंग बाण
हनुमान जी की सिद्धि करने वाले इस बात को भली प्रकार जानते हैं कि हनुमान जी एकादश रुद्र के रूप में पूजे जाते हैं। शिव पुराण में हनुमान जी को शम्भु, रुद्राक्ष महादेवात्मज, रुद्रावतार, कपीश्वर आदि नामों से संबोधित किया गया है। रामचरितमानस में राम भक्त हनुमान का जो चरित्र मिलता है उससे यह स्पष्ट है कि स्वामी की भक्ति में निरत रहने वाले कपीश्वर जितने सहायक हुए हैं उतने कृपालु होते हैं। इस कलियुग में की भाँति प्रचण्ड इस युग में हनुमान जी भक्ति सम्पूर्ण करने वाली और दूर करने वाली मानी अपने स्वामी को संकटों में ही अपने भक्तों पर भी हनुमान जी दुर्गा जी देवता माने जाते हैं । की पूजा, सेवा एवं कामनाओं को पूर्ण समस्त संकटों को जाती है। बजरंग बाण से हनुमान मन्दिर में, कहीं भी किया जा सकता हनुमान चालीसा, संकट बजरंग बाण का पाठ क्रमशः के सरल शब्दों में लिखी गयी यह का पाठ मुक्त कंठ घर में, तीर्थस्थल में है । प्रायः भक्तजन मोचन अष्टक और नित्य करते है । हिन्दी भाषा स्तुतियाँ अपने में पूर्ण स्तोत्र का महत्व रखती है। मुझे तो ऐसा भी देखने में मिला है कि देहात के अनपढ़ लोग इन स्तुतियों को दूसरों से सुनकर कंठस्थ कर लेते हैं और अपनी उपासना का आधार बना लेते हैं।
छोटे से छोटे शारीरिक क्लेश से लेकर बड़ी से बड़ी मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण और संकट मोचन का पाठ लोगों को सिद्धि देता है। स्वयं बीमार हों या कोई प्रियजन बीमार हो, शिक्षा की समस्या हो, धन की समस्या हो, नौकरी न मिल रही हो या व्यवसाय न चल रहा हो, किसी प्रकार की भूत-प्रेतादि संबंधी बाधा अथवा अकारण ही व्यक्ति को भय का आभास होता हो या रात्रि में बुरे सपने आते हों इन सबके लिए बजरंग बाण का पाठ हितकारी होता है।
बजरंग बाण
निश्चय प्रेम प्रतीति से, विनय करे सम्मान ।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करे हनुमान ॥
जय हनुमन्त सतं-हितकारी । सुनि लीजै प्रभु विनय हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजे । आतुरआय महासुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिन्धू के पारा। सुरसा बदन पैठि रोका विस्तारा ॥
आगे जाये लंकिनी रोका। मारहु लात गई सुरलोका ॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखी परमपद लिन्हा ॥
बाग उजारी सिंधु मह बोरा । अति आतुर जम कातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धनि सुरुपर नभ भई ॥
अब विलंब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अन्तरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता । आतुर हवे दुख करहु निपाता ।
जय हनुमान जयति बल सागर । सुर-समूह सम अति भटनागर ॥
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरेहि मारू की कीले ॥
वज्र ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा । हुं हुं हुं हनु अरि उस सीसा ॥
जय अंजनिकुमार बलवंता । संकरसुवन वीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल कुल घातक । राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत प्रेत पिशाच निसाचर । अग्नि बेताल काली मारी मर ॥
इन्हें मारू तोहे शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद राम की ॥
सत्य होहु हरि समर्थ पाई के । रामदूत धरू माय धाई कै ॥
जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा । नहि जानत कुछ दास तुम्हारा ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ । ता की शपथ विलम्ब न लावौ ॥
वन उपवन मग गिरी गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥
जय जय जय धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि कर जोरि मानवों । यहि अवसर अब केहि गोहरावों ॥
उठ उठ चलू तोहि राम दोहाई । पाय परो कर जोरि मनाई ॥
चम चम चम चम चपल चलंता । हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ है है हांक देत कपि चंचल । सं सं सहमि पराने खल दल ॥
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनंद हमारो ॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहा फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करे प्राण की ॥
यह बजरंग बाण जो जापै । तासों भूत प्रेत सब कापै ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।ताके तन नहीं तन नहीं रहै कलेसा ॥
उर प्रतिति दृढ़ वै पाठ करे धरि ध्यान ।
बाधा सब हर करै सब काम सफल हनुमान ॥
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