हनुमान सिद्धि हेतु आवश्यक तथ्य और सर्व मनोकामना सिद्धि यंत्र,Hanumaan Siddhi Hetu Aavashyak Tathy Aur Sarv Manokaamana Siddhi Yantr

हनुमान सिद्धि हेतु आवश्यक तथ्य और सर्व मनोकामना सिद्धि यंत्र

श्री हनुमान सिद्धि हेतु आवश्यक तथ्य

हिंदू धर्म में, हनुमान जी को कसम देने की कुछ प्रथाएं हैं. वेदों में बताया गया है कि हनुमान जी को जल, पुष्प, मूली, दूध, और उत्तम भोजन जैसे प्रसन्नता के प्रतीक देने के लिए कसम दिया जाता है.काल में ब्रह्मचर्य का पालन अति अनिवार्य है। श्री हनुमान जी को जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए। श्री हनुमान जी के मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। श्री हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों के जप करना चाहिए।

Hanumaan Siddhi Hetu Aavashyak Tathy Aur Sarv Manokaamana Siddhi Yantr

जन-मानस में आंतियाँ फैली हुई हैं, कि हनुमान से संबंधित साधनाओं को प्रातः के 'सवा प्रहर' नहीं करना चाहिए। जबकि ऐसा किसी भी शास्त्र या पुराण में नहीं लिखा है, यह तो मात्र लोगों के मन में एक भ्रामक प्रस्तुति उपस्थित की है, जिससे वे इसे क्लिष्ट मान लें, जबकि हनुमान तो अत्यधिक नम्र और सरल स्वभाव के देव हैं। श्री हनुमान पवन देव के पुत्र तथा रुद्रावतार माने गये हैं। इनके जन्म के समय ही अनेक देवों ने इन्हें वरदान लेकर अजर-अमर बना दिया था। अखण्ड ब्रह्मचर्य के पालन के कारण ही ये सर्वाधिक पूज्य माने जाते हैं। हनुमान जी साधना अगर भक्ति, श्रद्धा, समर्पण एवं संलग्नता से की जाये, तो उनकी कृपा अवश्य प्राप्त होती है तथा उनके जैसी ही भक्ति, अखण्डता, अडिंगता, सौम्यता और बल प्राप्त होता है। हनुमत् सिद्धि की विशेष बात यह है कि इनका पूजन विधान जिस विधि से आरम्भ हो, चाहे वह पंचोपचार हो या षोडशोपचार, उसी विधि से समाप्त करना चाहिए, क्योंकि अधिकांश साधक समयानुसार पूजन विधान को छोटा या बड़ा कर लेते हैं।
साधक को पूर्ण एकाग्रता से सिद्धि सम्पन्न करनी चाहिए। श्री हनुमान के प्रिय दिवस तो मंगल और शनि माने गये हैं। इन दिनों में इनकी सिद्धि करनी चाहिए। ये दिन इन्हें अत्यन्त प्रिय हैं और ग्रहणकाल में सिद्धि करने से साधक को सामान्य फल से सौ गुना फल अधिक मिलता है। हनुमान जी की सिद्धि करते समय पवित्रता और सात्विकता का विशेष ध्यान देना अनिवार्य है। मांस, मदिरा, अंडे तामसी भोजन आदि का सर्वधा त्याग करना चाहिये। सात्विक वातावरण में स्वच्छ वस्त्र पहनकर एकांत में मंत्रों की साधना करनी चाहिये - क्रोध, द्वेष, हिंसा, आदि का इन दिनों त्याग करके शान्ति, सहयोग एवं प्रेम का वातावरम रखना चाहिये । अनुष्ठान की समाप्ति तक एक समय भोजन करना चाहिये। जप दोनों कालों प्रातः एवं सायं किया जा सकता है। शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता रखनी आवश्यक है ।

हनुमान सिद्धि में विशेषतः शुद्धता - स्वयं साधक - बाह्य शुद्धि

हनुमान सिद्धि में विशेषतः प्रत्येक वस्तु की शुद्धता तथा स्वयं साधक की अन्तः तथा बाह्य शुद्धि अपेक्षित है।

  • इस सिद्धि में प्रयुक्त होने वाला नैवेद्य आदि शुद्ध घी में बना होना चाहिए। तिल के तेल में सिन्दूर मिला कर हनुमत् विग्रह (मूर्ति) पर चोला चढ़ाना चाहि ।हनुमान जी को रक्त चन्दन या केसर के साथ घिसा हुआ श्वेत चन्दन भी लगाने का प्रावधान है।
  • लाल तथा पीले पुष्पों को हनुमत्पूजा में चढ़ायें, बड़े पुष्पों में कमल, सूर्यमुखी तथा हजारा पुष्पों को भी चढ़ाने का शास्त्रीय विधान है।
  • हनुमान सिद्धि में मूर्ति को नैवेद्य- प्रातः गुड़ एवं नारियल का गोला,
  • मध्याहून-गुड़, घी, गेहूँ की रोटी का चूरमा 
  • रात्रि - आम, अमरूद एवं केला समर्पित करना चाहिए ।
  • हनुमान आरती में देशी घी का दीपक 'एक बत्ती', 'पांच बत्ती' या 'सात बत्ती' का लगाना चाहिए ।
हनुमत् सिद्धि के दिनों में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन नितांत आवश्यक होता है, जो साधना की मुख्य धुरी है। इन दिनों में नैवेद्य के रूप में हनुमत् मूर्ति को भोग लगाते हुए नैवेद्य को ही भोजन के रूप में ग्रहण करना चाहिए । हनुमान सिद्धि में हनुमान विग्रह को एकटक देखते हुए मंत्र जप करना चाहिए। इस सिद्धि में मंत्र जप बोलकर करना चाहि, जिसका उच्चारण स्पष्ट एवं श्रव्य हो । सात्विक तथा श्रद्धाभाव से युक्त स्त्रियाँ भी हनुमान सिद्धि कर सकती हैं। हनुमान सिद्धि स्वकल्याण या लोक कल्याण की भावना से करनी चाहिए, जिससे सिद्धि में शीघ्र सफलता मिल सके।
दूसरे का अनिष्ट या अपकार करने के लिए हनुमान सिद्धि बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे स्वयं की हानि होने की संभावना रहती है, क्योंकि हनुमान कल्याणकारी देव माने जाते हैं। हनुमान सिद्धि के लिए 'मूंगे की माला' का प्रयोग करना चाहिए। हनुमान सिद्धि में लाल आसन पर बैठें, लाल धोती एवं लाल चादर का प्रयोग करें। तेल का दीपक तथा अगरबत्ती या धूप पूरे सिद्धि काल में जलते रहने चाहिए। हनुमान सिद्धि दास्य भाव से करनी चाहिए, इससे वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। हनुमत् सिद्धि में एक समय ही भोजन करें, सूर्यास्त के बाद पूजन आदि करके भोजन करें । इस भोजन में यदि नमक का सेवन न करें, तो अच्छा रहेगा।
  • हनुमत् सिद्धि दक्षिम या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सम्पन्न करनी चाहिए।
  • सिद्धि के दिनों में सात्विक भाव बनाये रखें, व्यर्थ के बाद - विवाद से बचना चाहि । असात्विक या तामसिक व्यक्तियों के सम्पर्क से का यथासंभव प्रयास करना चाहिए। दूर रहने
  • हनुमान सिद्धि मंगल या शनिवार को करनी चाहिए, आवश्यकता होने पर अन्य शुभ तिथियों या विशेष दिनों में भी सिद्धि कर सकते हैं।
  • हनुमान सिद्धि के लिये रक्त चन्दन की मूर्ति या 'हनुमान यंत्र' अत्युत्तम माना जाता है। प्राण-प्रतिष्ठित रक्त चन्दन की मूर्ति या यंत्र प्राप्त कर पूजा में प्रयुक्त करें।

यंत्र - पूजन

  • साधक पूर्व या उत्तराभिमुख हो लाल आसन पर बैठें, लाल धोती पहन कर ऊपर लाल उत्तरीय या गुरु वस्त्र ओढ़ लें, अपने सामने छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछा दें, तांबे या स्टील की प्लेट पर यंत्र स्थापित करें और षोडशोपचार पूजन के बाद यंत्र पूजन आरम्भ करें-

विनियोग

दायें हाथ में जल लेकर निम्न संदर्भ का उच्चारण करें- 
ॐ अस्य हनुमत् मन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, हनुमान देवता, हुं बीजम्, स्वाहा शक्तिः सकलाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः ।

ऋष्यादि न्यास’

निम्न संदर्भों का उच्चारण करते हुए दाहिने हाथ से निर्दिष्ट अंगों को स्पर्श करें-
  • ॐ ईश्वर ऋषये नमः शिरसि ।
  • अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे ।
  • हनुमान देवताये नमः हृदि ।
  • ह्वंबीजाय नमः गुह्ये ।
  • स्वाहा शक्तयेः नमः पादयोः ।
  • विनियोगाय नमः सर्वांगे ।

करन्यास

  • ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
  • ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।
  • ह्वं मध्यमाभ्यां नमः ।
  • हैंअनामिकाभ्यां नमः ।
  • ह्रौं'कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
  • ह्रः करतल कर पृष्ठाभ्यां नमः ।

अंग न्यास

  1. ह्रां हृदयाय नमः ।
  2. ह्री शिरसे स्वाहा ।
  3. हं शिखायै वषट् ।
  4. हैं कवचाय हुम्।
  5. ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
  6. ह्रः अस्त्राय फट् ।
  • वर्ण व्यास
  1. अं आं इं ईं उं ऊं ऋ लृ लूं नमः ।
  2. एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं नमः ।
  3. चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं मं नमः ।
  4. तं थंदं धं नं पं फं बं भं मं नमः ।
  5. यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं नमः ।
ध्यान दोनों हाथ जोड़ कर ध्यान करें- 

ॐ दहन तप्त सुवर्ण समप्रभं, भयहरं हृदये विहितांजलिम् ।
श्रवण कुण्डलशोभिमुखांबुजे, नमत वानरराजमिहाद्भुतम् ॥ 

इसके पश्चात् लाल हकीक माला या मूंगा माल से एक माला मूल मंत्र का जाप करें-

ॐ ह्रीं हस् खों हरखों हसौः ॐ ॥

हनुमान दीनों का क्लेश करने के लिए सदैव उद्यत रहते हैं, सर्वकाम पूरक हैं, संकट रूपी प्रलय घटा को विदीर्ण करने वाले और सर्वव्यापी हैं, ऐसे देव की साधना उपासना करना ही सर्वश्रेष्ठ की प्राप्ति है।

सर्व मनोकामना पूरक हनुमान यंत्र

हनुमान जी शक्ति के आगार हैं, भक्ति के भंडार हैं, धैर्य के हिमालय हैं और सहनशीलता के समुद्र हैं। विद्वता में वो अद्वितीय हैं। राजनीति, कूटनीति और दूतकला विशेषज्ञ हैं । समस्त प्रकार की आपदाओं का निवारण करने में समर्थ हनुमान जी महान योगी, सिद्ध-तंत्रज्ञ और ज्ञान-विज्ञान के निधान हैं। त्रेतायुग में प्रदर्शित उनका शौर्य पराक्रम आज भी विख्यात है ।

Hanumaan Siddhi Hetu Aavashyak Tathy Aur Sarv Manokaamana Siddhi Yantr

श्री हनुमान यंत्र - 

यह यंत्र हनुमान जी का विशिष्ट यंत्र है। इस यंत्र का विधिवत् पूजन प्राण प्रतिष्ठादि करके अपने पास रखने से समस्त प्रकार की बाधाओं तथा शत्रुओं का नाश होता है तथा हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।

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