चेटीचंड 2024 की तारीख व शुभ मुहूर्त प्रचलित कथा,महत्व,Chet chand 2024 Ki Taareekh Va Shubh Muhoort Prachalit Katha,Mahatv

चेटीचंड 2024 की तारीख व शुभ मुहूर्त प्रचलित कथा,महत्व,Chet chand 2024 

  • चेटीचंड कौन से धर्म का त्यौहार है?

चेटीचण्ड व  सिन्धी हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है जो हिन्दू चन्द्र नववर्ष के प्रथम दिन मनाया जाता है। यह दिन वरूणावतर स्वामी झूलेेेलाल के प्रकाट्य दिवस और समुद्र पूजा के रूप में मनाया जाता है। विश्व के अन्य भागों में बसे हुए सिन्धी हिन्दू भी चेटीचंड मनाते हैं।

Chet chand 2024 Ki Taareekh Va Shubh Muhoort Prachalit Katha,Mahatv

  • झूलेलाल जयंती: जानिये चेटीचंड 2024 की तारीख व शुभ मुहूर्त ...

चेटीचंड जयंती 2024, 9 अप्रैल को मनाई जाएगी. यह दिन सिंधी समाज के लिए खास महत्व रखता है. इस दिन को भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. सिंधी लोग जल के देवता भगवान वरुण देव के अवतार भगवान झूलेलाल की पूजा करते हैं
  • चेटीचंड 2024 की तारीख व शुभ मुहूर्त ...
चेटीचंड का त्योहार हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल द्वितीया तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर हुई और इसका समापन 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर हुआ. उदयातिथि के मुताबिक, चेटीचंड का त्योहार 9 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन शाम 6 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक चेटी चंड की पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा.

चेटीचंड महोत्सव की प्रचलित कथा 

चेटीचंड महोत्सव की प्रचलित कथा है कि सिंध प्रदेश के ठट्ठा नगर में एक मिरखशाह नाम का राजा था जो हिन्दुओं पर अत्याचार करता था. वह हिन्दुओं पर धर्म परिवर्तन के लिए भी दबाव डालता था. एक बार उसने धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को सात दिन की मोहलत दी. तब कुछ लोग परेशान होकर सिंधु नदी के किनारे आ गए और भूखे-प्यासे रहकर उन्होंने वरुण देवता की उपासना की. तब प्रभु का हृदय पसीज गया और वे मछली पर दिव्य रूप में प्रकट हुए. उन्होंने भक्तों से कहा कि तुम लोग निडर होकर जाओ मैं तुम्हारी सहायता के लिए नसरपुर में अपने भक्त रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा. प्रभु के अवतरण उपलक्ष में सिंधी समाज द्वारा चेटीचंड धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन नई मन्नतें भी ली जाती हैं. चेटीचंड के दिन प्रात: उठकर अपने बुजुर्गों एवं संतों के आशीर्वाद से दिन की शुरुआत होती है. इसी दिन नवजात शिशुओं का मुंडन भी कराया जाता है. सिंधी समुदाय के लोग अपने घर पांच दीप जलाकर और विद्युत सज्जा कर चेटीचंड को दीवाली की तरह मनाते हैं.

चेटीचंड (Cheti Chand) का क्या महत्व है?

चेटी चंड को सिंधी नववर्ष की शुरुआत माना जाता है. सिंधी मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा दिखाई देता है. सिंधी समाज के आराध्य देवता भगवान झूलेलाल का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को वरूणावतर स्वामी झूलेलाल के प्रकाट्य दिवस और समुद्र पूजा के रूप में मनाया जाता है सिंधी इस त्योहार को भगवान झूलेलाल के जन्मदिन समारोह के रूप में मनाते हैं, जिन्हें उदरोलाल के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें उनके संरक्षक संत के रूप में जाना जाता है। इस दिन वरुण देव झूलेलाल के रूप में अवतरित हुए थे। उन्होंने सिंधी संस्कृति और हिंदू धर्म को होने से बचाने के लिए अवतार लिया था। अत: इस दिन जल देवता की पूजा कर उनका आभार जताया जाता है। हिंदू पंचाग के चैत्र माह को एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है जिसे सिंधी समुदाय द्वारा ‘चेत’ कहा जाता है। इसके अलावा, उनके पंचांग के अनुसार प्रत्येक नया महीना अमावस्या यानी ‘चांद’ से शुरू होता है। इसलिए, उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन को चेटीचंड नाम दिया गया है। किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए चेटीचंड को अत्यधिक शुभ और फलदायी माना गया है। क्या आप भी कुछ नया शुरू करना चाहते हैं और आपको इस बारे में कुछ संदेह है? आप अपनी पर्सनल 2024 की वार्षिक रिपोर्ट को एक्सेस कर उपयुक्त मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

टिप्पणियाँ