नवरात्रि के तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा की पूजा विधि,सामग्री और संस्कृत मंत्र,Navratri Teesara Din - Maa Chandraghanta Pooja Vidhi, Saamagree Aur Sanskrt Mantr
नवरात्रि के तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा की पूजा विधि,सामग्री और संस्कृत मंत्र
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा, मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं. इनके मस्तक पर अर्धचंद्र और दिव्य घंटी लगी होती है. माना जाता है कि इनकी पूजा से साधक को चिरायु, आरोग्य, सुख और संपन्नता का वरदान मिलता है
Navratri Teesara Din - Maa Chandraghanta Pooja Vidhi, Saamagree Aur Sanskrt Mantr |
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। फिर मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के पश्चात किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. पूजा की विधि इस प्रकार है:- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें.
- पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें.
- मां चंद्रघंटा का ध्यान करें.
- मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं.
- अक्षत, कुमकुम, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें.
- मां चंद्रघंटा के बीज मंत्र का जाप करें.
- मां चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल या पीले रंग का फूल अर्पित करें.
- मां चंद्रघंटा को केसर की खीर या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
- मां चंद्रघंटा की आरती करें.
- आरती के दौरान घर में शंख और घंटा बजाएं.
- पूजा के बाद मां से क्षमा प्रार्थना करें.
- पूजा के बाद चंद्रघंटा माता की कथा, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए, इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
- सुबह जल्दी स्नान करके मां चंद्रघंटा का ध्यान करना चाहिए.
- परिवार समेत माता के जयकारे लगाएं.
- केसर की खीर या दूध से बनी कोई मिठाई का भोग लगाएं.
- घी का दीपक और धूप जलाने के बाद मंत्र, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
- पूजा के अंत में माता चंद्रघंटा की आरती करें और देवी का प्रसाद अधिक से अधिक लोगों को बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
- मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
- पूजा के दौरान पूरे घर में शंख और घंटा बजाएं, ऐसा करने से घर की नकारात्मकता खत्म होती है.
- पूजा में अक्षत, चंदन, और भोग के लिए पेड़े चढ़ाना चाहिए.
- मंत्रों का जाप, घी से दीपक जलाना, आरती, शंख और घंटी बजाने से माता प्रसन्न होती हैं.
- पूजा में उनके व्रत की कथा और उनके मंत्र का पाठ करना चाहिए.
- अंत में आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें.
- पूजा में लाल और पीले फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए.
- मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है.
मां चंद्रघंटा की पूजा षोड्शोपचार विधि
मां चंद्रघंटा की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है. इस पूजा में ये चीज़ें शामिल होती हैं:-- आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य,
- आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र,
- चंदन, रोली, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र,
- आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य,
- धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा,
- आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि मां चंद्रघंटा से अपनी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करना
मां चंद्रघंटा की पूजा सामग्री:
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए कुछ सामग्री की ज़रूरत होती है:- फूल, माला, कुमकुम, सिंदूर, रोली
- सफ़ेद कमल, लाल गुडहल, और गुलाब की माला
- केसर की खीर या दूध से बनी मिठाई
- अक्षत, चंदन, और भोग के लिए पेड़े
- अक्षत, चंदन, और भोग के लिए पेड़े
- शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराने के लिए
- लाल और पीले फूल
- घी का दीपक
- धूप
- रोली
- सिंदूर
- गंध
- कपूर
मां चंद्रघंटा के संस्कृत मंत्र
तृतीय देवी मां चंद्रघंटा का महामंत्र- ‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘
- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
- पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा का मंत्र और मंत्र का अर्थ
मां चंद्रघंटा का मंत्र है, "या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।"अर्थ
"हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें"
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