नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच,Navratri Seventh Day - Maa Kalratri Aarti,Mantr,Stotr,Stuti,Kavach
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि आरती,मंत्र,स्तोत्र,स्तुति,कवच
- नवरात्रि का सातवां दिन - माँ कालरात्रि आरती
हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण उत्सव, नवरात्रि, अपने समापन के करीब है क्योंकि भक्त इस त्योहार के सातवें दिन, जो शनिवार को पड़ता है, माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। यह दिन देवी दुर्गा की उग्र अभिव्यक्ति माँ कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित है
Navratri Seventh Day - Maa Kalratri Aarti,Mantr,Stotr,Stuti,Kavach |
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली, काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें, महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि माँ तेरी जय॥
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि के मंत्र
मां कालरात्रि को गुड़हल के फूल चढ़ाएं जाते हैं और गुड़ का भोग लगाया जाता है. इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें और पूरे परिवार के साथ जयकारे लगाएं. सुबह शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जप करना चाहिए. लाल चंदन की माला से मंत्रों का जप करें-
- मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र-
- मां कालरात्रि के बीज मंत्र
मां कालरात्रि की पूजा में मंत्र जप का बहुत महत्व है लाख जप करना चाहिए. इसके बाद रात्रि जागरण करना चाहिए और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मां सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि स्तोत्र
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥ ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी। एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
नवरात्रि सप्तमं दिन - मां कालरात्रि कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
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