नवरात्रि के आठवां दिन - मां महागौरी की कथा और स्वरूप,Navratri Ke Eighth Day -Maa Mahagauri Kee Katha Aur Svaroop

नवरात्रि के आठवां दिन - मां महागौरी की कथा और स्वरूप

मां महागौरी, मां दुर्गा की आठवीं शक्ति हैं. इनकी पूजा करने से सभी ग्रहदोष दूर हो जाते हैं. इनका ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधना से दांपत्य सुख, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि बढ़ती है

Navratri Ke Eighth Day -Maa Mahagauri Kee Katha Aur Svaroop

महागौरी

श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

नवरात्रि के आठवां दिन - मां महागौरी

मां दुर्गा के आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है। दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कलुष धुल जाते हैं।

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देवी महागौरी के स्वरूप की कुछ खास बातें
  • इनका वर्ण पूर्णतः गौर है. इनकी गौरता की तुलना शंख, चंद्र, और कुंद के फूल से की गई है.
  • इनके हाथ में त्रिशूल और डमरू है. तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और चौथे हाथ में वर मुद्रा है.
  • इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है.
  • इनका जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था.
  • आठ साल की उम्र में ही उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था.
  • तब से ही वह भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दिया था.
  • तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. उनका रूप गौर वर्ण का हो गया.
  • इसीलिए यह महागौरी कहलाईं

नवरात्रि के आठवां दिन - मां महागौरी की कथा

नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी के रूप का पूजन किया जाता है। पौराणिक शिव पुराण की कथा के अनुसार, महागौरी जब मात्र आठ वर्ष की थी तभी से उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट स्मरण होने लगा था। उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी।
जिसके चलते देवी ने वर्षों तक घोर तपस्या की। वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया। इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्ज्वल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई। देवी महागौरी अत्यंत सरल, मोहक और शीतल रूप की हैं। इनका वाहन वृषभ है। मां महागौरी की उपासना करने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ति का दायित्व देवी अपने ऊपर लेती हैं। देवी महागौरी चतुर्भुजी देवी हैं। इनके दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा तथा नीचे वाले हाथ में त्रिशूल उपस्थित है। माता महागौरी ने बाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू एवं नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा धारण कर रखी है।

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