नवरात्रि द्वितीय दिन - माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, सामग्री और संस्कृत मंत्र,Navratri Dviteey Din - Maa Brahmacharini Pooja Vidhi, Saamagree Aur Sanskrt Mantr
नवरात्रि द्वितीय दिन - माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, सामग्री और संस्कृत मंत्र
नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाएगा। यहां 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ तपस्या से है और 'ब्रह्मचारिणी' का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है।
Navratri Dviteey Din - Maa Brahmacharini Pooja Vidhi, Saamagree Aur Sanskrt Mantr |
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. पूजा की विधि - मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती है। सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें। माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें। माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं। इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें। इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें। फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें। घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के बाद सच्चे मन से माता के जयकारे लगाएं। इससे माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होगी।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि के कुछ प्रकार
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
- पूजा के लिए आसन बिछाएं.
- माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं.
- पंचामृत चढ़ाएं और फिर मिठाई का भोग लगाएं.
- मां को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें.
- देवी ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें.
- मां की आरती करें और प्रसाद बांटें.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए, इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
- मां को सफ़ेद या पीले वस्त्र अर्पित करने चाहिए.
- मां की पूजा के दौरान सफ़ेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए.
- साफ़ जगह पर चौकी रखकर माता का पूजन करना चाहिए.
- मां को खीर, बर्फ़ी, चीनी, और पंचामृता का भोग लगाना चाहिए.
- मां को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए.
- मां को गुड़हल या लाल रंग के फूल चढ़ाने चाहिए.
- मां को रोली, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाना चाहिए.
- मां को दूध और दूध से बनी चीज़ें चढ़ाना चाहिए.
- मां को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल और कमल का फूल अर्पित करना चाहिए.
- मां ब्रह्मचारिणी को हरा रंग पसंद है. इसलिए, नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करने से मां की विशेष कृपा मिलती है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा षोडशोपचार विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है. षोडशोपचार का मतलब है - गंध, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए ये सामग्री ज़रूरत होती है
- पंचामृत
- सफ़ेद या पीले वस्त्र
- रोली, अक्षत, चंदन
- गुड़हल या लाल रंग के फूल
- पान, सुपारी, और लौंग
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सामग्री:
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए ये सामग्री ज़रूरत होती है
- फूल
- चंदन
- अक्षत
- रोली
- पान
- सुपारी
- लौंग
- सफ़ेद या पीले वस्त्र
- गुड़हल या लाल रंग के फूल
- शंख
- सिंदूर
- मौली
- कपूर
- धूप
- लाल पुष्प या पुष्पहार
- सुपारी साबुत
- हल्दी की गांठ पटरा
मां ब्रह्मचारिणी के संस्कृत मंत्र
- दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू.
- देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा.
- वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्.
- जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्.
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता !नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः.
- ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र और मंत्र का अर्थ
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
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