2024 मीन संक्रान्ति ! मीन संक्रांति महत्व और कथा , 2024 meen sankraanti ! meen sankraanti mahatv aur katha
2024 मीन संक्रान्ति ! मीन संक्रांति महत्व और कथा
मीन संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो कई कारणों से मनाया जाता है। यह सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कि दिन अब लंबे होने लगेंगे और रातें छोटी। यह मीन राशि में सूर्य के प्रवेश का भी प्रतीक है, जो कि हिंदू धर्म में एक शुभ राशि मानी जाती है।
2024 मीन संक्रान्ति ! मीन संक्रांति महत्व और कथा |
मीन संक्रांति महत्व
धार्मिक मान्यता है कि मीन संक्रांति पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. देवीपुराण में यह कहा गया है- जो व्यक्ति संक्रांति के पावन दिन पर भी स्नान नहीं करता वह सात जन्मों तक बीमार और निर्धन रहता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजा कर के अर्घ्य देने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं, भगवान आदित्य के आशीर्वाद से दोष भी दूर हो जाते हैं मीन संक्रांति का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र और शुभ माना जाता है बल्कि व्यवहारिक रूप से भी अच्छा माना जाता है। मीन संक्रांति से सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ रही है। इसमें दिन का समय बढ़ जाता है और रातें छोटी हो जाती हैं। इसके साथ ही प्रकृति में एक नये जीवन की शुरूआत होती है। इस समय वातावरण और हवा भी शुद्ध हो जाती है। ऐसे में भगवान की पूजा, योग, ध्यान और पूजा करने से शरीर, मन और बुद्धि मजबूत होती है।इस समय रातें छोटी होने से नकारात्मक शक्तियां भी कम हो जाती हैं और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए पुण्य काल में दान स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। तीर्थ स्थानों पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मीना संक्रांति का त्योहार सूर्य की पूजा का पवित्र त्योहार है, जिसके माध्यम से शरीर, मन और आत्मा की शक्ति प्राप्त की जा सकती है।
शास्त्रों में मीन संक्रांति का बहुत महत्व बताया गया है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र और शुभ माना जाता है बल्कि व्यवहारिक रूप से भी अच्छा माना जाता है। मीन संक्रांति से सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ती है, उत्तरायण काल में सूर्य उत्तर की ओर उगता हुआ प्रतीत होता है और दिन का समय बढ़ जाता है, जिससे दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी हो जाती हैं और एक नया जीवन मिलता है प्रकृति में शुरू होता है. इस समय वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है, ऐसे में भगवान की पूजा, ध्यान, योग और पूजा करने से शरीर, मन और बुद्धि मजबूत होती है। रातें छोटी होने के कारण नकारात्मक शक्तियों में भी कमी आती है और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है। इस शुभ अवधि में दान, स्नान आदि करना बहुत शुभ माना जाता है। तीर्थ या धार्मिक स्थानों पर स्नान करने के लिए पुण्य काल का सहारा लिया जा सकता है। मीन संक्रांति का पर्व शरीर, मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करने वाले सूर्य की आराधना का पवित्र पर्व है।
मीन संक्रांति 2024 मुहूर्त
- मीन संक्रांति पर सूर्य 14 मार्च 2024 को दोपहर 12.46 पर मीन राशि में जाएंगे.
- मीन संक्रान्ति पुण्य काल – दोपहर 12:46 – शाम 06:29
- मीन संक्रान्ति महा पुण्य काल – दोपहर 12:46 – दोपहर 02:46
मीन संक्रांति से शुरू होंगे खरमास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब गुरु ग्रह की राशि मीन में जाते हैं तो एक माह तक खरमास लग जाते हैं. खरमास को अशुभ माना गया है, इस दौरान सभी मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुभ काम नहीं किए जाते, क्योंकि इसका परिणाम अशुभ होता है. इस बार खरमास 14 मार्च 2024 से शुरू होकर 13 अप्रैल 2024 को खत्म होंगे.
मीन संक्रांति की कथा
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि मीन बृहस्पति की राशि है और इसमें सूर्य के प्रवेश करने से सूर्य के प्रभाव से बृहस्पति की सक्रियता कम हो जाती है। इसीलिए इस समय को खरमास या मलमास के नाम से जाना जाता है। इसलिए मीन संक्रांति में खरमास की कथा का विशेष महत्व है.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्य देव अपने साथ घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकले। इस दौरान उन्हें कहीं भी रुकने की जरूरत नहीं है. कई महीनों तक लगातार चलने के कारण सूरज देव के रथ के घोड़े थक जाते हैं और उन्हें प्यास भी लगने लगती है। घोड़ों की यह हालत देखकर वे चिंतित हो जाते हैं। सूर्य देव अपने घोड़ों के साथ एक तालाब के किनारे पहुंचे लेकिन तभी उन्हें याद आया कि अगर वे रुक गए तो संसार में जीवन रुक जाएगा। सूरज देव परेशान होकर इधर-उधर देखने लगे।
तभी उन्हें तालाब के किनारे दो खर यानि गंधर्व दिखाई देते हैं। सूर्य देव अपने रथ के घोड़ों को तालाब के किनारे आराम करने के लिए छोड़ देते हैं और घोड़ों की जगह खर ले लेते हैं, लेकिन खर की गति घोड़ों जितनी तेज़ नहीं होती। अत: उनकी धीमी गति के कारण रथ की गति भी धीमी हो जाती है। फिर भी किसी तरह सूर्यदेव ने माह का चक्र पूरा किया।
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