अर्जुन ने खांडव वन क्यों जलाया महाभारत में पांडवों की पाँच विशेषताएं, Why did Arjun burn the Khandava forest? Five characteristics of Pandavas in Mahabharata
अर्जुन ने खांडव वन क्यों जलाया
कुछ लोगों को यह भ्रम है कि अकेले अर्जुन ने ही खांडव वन जलाया था लेकिन यह उनका केवल भ्रम ही है क्योंकि महाभारत के अनुसार खांडव वन अर्जुन, कृष्ण और अग्नि ने मिलकर जलाया था इसलिए जो लोग खांडव वन के नाम पर अर्जुन को बदनाम करना चाहते हैं वो पहले यह जान लें कि वो केवल अर्जुन को ही नहीं श्रीकृष्ण और अग्नि देव को भी बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोगों को यह भी भ्रम है कि खांडव दहन इन्द्रप्रस्थ के निर्माण के लिए हुआ था लेकिन महाभारत उनके इस भ्रम का भी खंडन करती है महाभारत के अनुसार इन्द्रप्रस्थ का निर्माण खांडव दहन के कम से कम बारह वर्ष पूर्व ही हो चुका था तथा इस घटना के समय तो इन्द्रप्रस्थ काफी अच्छे हालातों में और था।
महाभारत के अनुसार खांडव दहन का मुख्य कारण अग्नि देव की क्षुधा को शांत कराना था तथा दूसरा कारण देव इच्छा का होना बताया गया है।खांडव वन सर्पों, दैत्यों, राक्षसों तथा अन्य जंगली जानवरों का घर था तथा महाभारत में पूर्व में ही बताया गया है कि देवताओं ने मानव तथा जानवरों के रूप में जन्मे दैत्यों और राक्षसों से पृथ्वी का भार उतारने के लिए जन्म लिया था इसलिए खांडव दहन करना आवश्यक था इन्द्र तक्षक से मित्रता के कारण खांडव दहन होने नहीं दे रहे थे इसलिए अग्नि देव को ऐसी सहायता की आवश्यकता थी जो कि इन्द्र के होते हुए भी खांडव दहन को सफल बना सकता था उस समय स्वयं नर नारायण ऋषि ही अर्जुन और कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे जो कि अग्नि देव की मनोकामना को पूरा कर सकते थे तथा अग्नि देव की इसी मनोकामना की वजह से ही खांडव दहन हुआ था।
Why did Arjun burn the Khandava forest? Five characteristics of Pandavas in Mahabharata |
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महाभारत में पांडवों की पाँच विशेषताएं
पांडव महाभारत के 5 प्रसिद्ध वीर योद्धा थे, जिन्हें पाण्डु पुत्रों के रूप में जाना जाता है। पांडु के उपरोक्त पांचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता कुंती थीं तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थी।
- युधिष्ठिर पांडवों में सबसे बड़े थे।
ये धर्म और नीति के ज्ञाता थे। धर्म का ज्ञान होने के कारण ही इन्हें धर्मराज भी कहा जाता था। पांडवों में सिर्फ युधिष्ठिर ही ऐसे थे जो सशरीर स्वर्ग गए थे।
- भीम युधिष्ठिर से छोटे थे।
महाबलशाली थे। महाभारत के अनुसार युद्ध के दौरान भीम ने सबसे ज्यादा कौरवों का वध किया था। दु:शासन व दुर्योधन का वध भी भीम ने ही किया था।
- अर्जुन पांडवों में तीसरे भाई थे।
ये देवराज इंद्र के अंश थे। महाभारत के अनुसार ये पुरातन ऋषि नर के अवतार थे। भगवान श्रीकृष्ण का इन पर विशेष स्नेह था। अर्जुन ने ही घोर तपस्या कर देवताओं से दिव्यास्त्र प्राप्त किए थे। भीष्म, कर्ण, जयद्रथ आदि का वध अर्जुन के हाथों ही हुआ था।
- नकुल और सहदेव पांडवों में सबसे छोटे थे।
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