तुलसी के उपयोग और तुलसी का उपयोग कैसे करें तथा तुलसी की विशेषता,Uses of Tulsi and how to use Tulsi and specialty of Tulsi

तुलसी के उपयोग और तुलसी का उपयोग कैसे करें तथा तुलसी की विशेषता

तुलसी के पौधे का हर हिस्सा गुणकारी होता है. तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाता है. तुलसी की पत्तियों को सीधे चबाकर खाया जा सकता है या इन्हें चाय में डालकर उबालकर इसका सेवन किया जा सकता है. तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से जुकाम, सिर दर्द, बुखार आदि रोगों से लाभ मिलता है. तुलसी के पत्तों के सेवन से रक्त चाप सामान्य होता है. तुलसी के पत्तों से प्राप्त रस बुखार को कम करने में मदद करता है. तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ्लुएंजा, खांसी और सर्दी में असरदार होता है

तुलसी के उपयोग और तुलसी का उपयोग कैसे करें

भारतवर्ष के अनेक भागों में मलेरिया का प्रकोप विशेष रूप से पाया जाता है। यह बरसा ऋतु के पश्चात मच्छरों के काटने से फैलता है। तुलसी के पौधों में मच्छरों को दूर भगाने का गुण और उसकी पत्तियों का सेवन करने से मलेरिया का दूषित तत्त्व दूर हो जाता है। इसलिए हमारे यहाँ ज्वर आने पर तुलसी और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पी लेना सबसे सुलभ और सरल उपचार माना जाता है। डॉक्टर लोग इसके लिए 'कुनैन' का प्रयोग करते हैं, पर कुनैन इतनी गरम चीज है कि उसके सेवन से बुखार दूर हो जाने पर भी अनेक बार अन्य उपद्रव पैदा हो जाते हैं। उनसे खुश्की, गरमी, सिर चकराना, कानों में साँय साँय शब्द सुनाई पड़ना आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसको मिटाने के लिए दूध-संतरा आदि रस जैसे पदार्थों के सेवन की आवश्यकता होती है, जिनका सामान्य जनता को प्राप्त हो सकना कठिन ही होता है। ज्वर को दूर करने के लिए वैद्यक ग्रंथों के कुछ नुस्खे इस प्रकार हैं-

तुलसी के उपयोग ज्वर को दूर करने के लिए 

  1. जुकाम के कारण आने वाले ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस अदरक के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  2. तुलसी पत्र एक तोला, कालीमिर्च एक तोला, करेले के पत्ते एक तोला, कुटकी ४ तोला, सबको खरल में खूब घोंटकर मटर के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। ज्वर आने से पहले और सायंकाल के समय दो-दो गोली ठंडे पानी के साथ सेवन करने से जाड़ा देकर आने वाला बुखार दूर होता है। मलेरिया के मौसम में यदि स्वस्थ मनुष्य भी एक गोली प्रतिदिन सुबह लेता रहे तो ज्वर का भय नहीं रहता। ये गोलियाँ दो महीने से अधिक रखने पर गुणहीन हो जाती हैं।
  3. तुलसी पत्र और सूरजमुखी की पत्ती पीस-छानकर पीने से सब तरह के ज्वरों में लाभ होता है।
  4.  कफ के ज्वर में तुलसी पत्र, नागरमोंथा और सौंठ बराबर लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
  5. जो ज्वर सदैव बना रहता हो उसमें दो छोटी पीपल पीसकर तथा तुलसी का रस और शहद मिलाकर गुनगुना करके चाटें।
  6. तुलसी के हरे पत्ते एक छटांक और कालीमिर्च, आधा छटांक दोनों को एक साथ बारीक पीसकर झरबेरी के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। इसमें से दो गोलियाँ तीन-तीन घंटे के अंतर से जल के साथ सेवन करने से मलेरिया अच्छा हो जाता है।
  7. तुलसी के पत्ते ११, कालीमिर्च ९, अजबाइन २ माशा, सौंठ ३ माशा, सबको पीसकर एक छटांक पानी में घोल लें। तब एक कोरा मिट्टी का प्याला, सिकोरा या कुल्हड़ आग में खूब तपाकर उसमें उक्त मिश्रण को डाल दें और उसकी भाप रोगी के शरीर को लगाएँ। कुछ देर बाद जब वह गुनगुना, थोड़ा गरम रह जाए तो जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर पी लिया जाए। इससे सब तरह के बुखार जल्दी ही दूर हो जाते हैं।
  8. पुदीना और तुलसी के पत्तों का रस एक-एक तोला लेकर उसमें ३ माशा खाँड़ मिलाकर सेवन करें, इससे मंद-ज्वर में बहुत लाभ होता है।
  9. शीत ज्वर में तुलसी के पत्ते, पुदीना, अदरक तीनों आधा-आधा तोला लेकर काढ़ा बनाकर पिएँ।
  10. तुलसी के पत्ते और काले सहजन के पत्ते मिलाकर पीस लें। उस चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से विषम ज्वर दूर होता है।
  11. मंद ज्वर में तुलसी पत्र आधा तोला, काली दाख दस दाना, कालीमिर्च एक माशा, पुदीना एक माशा, इन सबको ठंडाई की तरह पीस छानकर मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  12. विषम ज्वर और पुराने ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस एक तोला पीते रहने से लाभ होता है।
  13. तुलसी पत्र और नीम की सींक का रस बराबर लेकर थोड़ी कालीमिर्च के साथ गुनगुना करके पीने से क्वार के महीने का फसली बुखार दूर होता है।
  14. सामान्य हरारत तथा जुकाम में तुलसी की थोड़ी-सी पत्तियों का चाय की तरह काढ़ा बनाकर उसमें दूध और मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। कितने ही जानकार व्यक्तियों ने आजकल बाजार में प्रचलित चाय की अपेक्षा तुलसी की चाय को हितकर बताया है।

तुलसी की विशेषता

  1. तुलसी का पौधा तनाव से लड़ने में मदद करता है.
  2. तुलसी का पौधा विषहरण प्रभाव रखता है.
  3. तुलसी का पौधा कीड़ों को दूर भगाता है.
  4. तुलसी का पौधा रक्त शोधक का काम करता है.
  5. तुलसी का पौधा ब्लड प्रेशर कम करता है.
  6. तुलसी का पौधा श्वसन संबंधी विकारों का इलाज करता है.
  7. तुलसी में जिंक, आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, ए, ई, और के पाए जाते हैं.
  8. तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बायोटिक गुण होते हैं.
  9. तुलसी में एंटी-इंफ़्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं.
  10. तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं.
  11. तुलसी में कैंसर रोधी गुण होते हैं.
  12. तुलसी में श्वसन संक्रमण से लड़ने की क्षमता होती है.
  13. तुलसी का पौधा वज़न कम करने में मदद करता है.
  14. तुलसी का पौधा दांतों की देखभाल करता है. 
घर पर तुलसी का उपयोग कैसे करें?

तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से मलेरिया और डेंगू से बचा जा सकता है । तीव्र बुखार को नियंत्रित करने के लिए तुलसी के पत्तों के काढ़े को पानी में पीसी हुई इलायची के साथ उबालकर चीनी और दूध के साथ मिलाया जा सकता है। तुलसी के पत्तों से प्राप्त रस बुखार को कम करने में मदद करता है। यह बच्चों में बुखार कम करने में भी कारगर है।

तुलसी के पौधे के 8 फायदे 
  • दिल के लिए फायदेमंद
  • पाचन के लिए फायदेमंद
  • त्वचा में निखार लाने में कारगर
  • तनाव को कम करने में मददगार
  • सर्दी दूर करने में फायदेमंद
  • कैंसर को रोकने में मददगार
  • सर्दी-खांसी के लिए कारगर
  • कई बीमारियां होती हैं दूर
तुलसी के 5 पत्ते रखने से क्या होता है

ऐसा करने से आपके अंदर की नकारात्मक शक्तियां भी दूर हो जाती हैं। तकिए के नीचे तुलसी के पांच पत्ते रखकर सोने से आपके व्यापार में भी काफी बढ़ोतरी होती है। तुलसी के पत्तों से त्वचा संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। इससे कील-मुहांसे जड़ से खत्म हो जाते हैं और चेहरे पर भी काफी दमक आ जाती है।

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