तुलसी से उपचार पुरुष के वीर्य और मूत्र तुलसी के बीज का महत्त्व,Treatment with Tulsi: Importance of man's semen and urine. Importance of Tulsi seeds
तुलसी से उपचार पुरुष के वीर्य और मूत्र तुलसी के बीज का महत्त्व
तुलसी के बीज का महत्त्व
जब भी तुलसी में खूब फुल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है . इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले . इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले . यही सब्जा है . अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है नपुंसकता तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
मासिक धर्म में अनियमियता जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती हैतुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है
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- रोजाना तुलसी के पत्ते खाने से क्या होता है?
तुलसी की पत्तियों को चबाकर खाने से पाचन तंत्र अच्छा होता है और बॉडी डिटॉक्सीफाई होती है। यह एक क्लींजिंग और शुद्ध एजेंट के रूप में काम करता है। तुलसी में यूजेनोल कंपाउंड पाया जाता है, जो शेरर को कैंसर से लड़ने में मदद करता है। तुलसी के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को सामान्य करने में मदद मिलती है।
तुलसी से उपचार पुरुष के वीर्य और मूत्र
तुलसी के बीज अधिक लसदार और लेपक होते हैं और मूत्र संस्थान के विकारों में दिए जाते हैं। तुलसी की जड़ को भी बहुत अधिक स्तंभन गुण युक्त बतलाया गया है। ये बीज बहुत जल्द लुआव छोड़ते हैं और थोड़ी ही देर में लसदार झिल्ली के रूप में बदल जाते हैं, इसलिए इनको गुड़ जैसी किसी चीज में मिलाकर खाते हैं या पानी में घोलकर पीते हैं। वैसे तुलसी के पत्ते भी वीर्य दोषों को मिटाने में बहुत उपयोगी हैं।
- तुलसी की जड़ को बारीक पीसकर सुपाड़ी की जगह पान में रखकर खाया जाए तो वीर्य पुष्ट होता है और स्तंभन शक्ति बढ़ती है।
- तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण पुराने गुड़ में मिलाकर ३ माशा प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है।
- तुलसी के बीज ५ तोला, मूसली ४ तोला, मिश्री ६ तोला लेकर पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन ३ माशा गाय के दूध के साथ सेवन करने से वीर्य संबंधी निर्बलता में आशाजनक सुधार होता है।
- सुजाक की बीमारी में तुलसी के बीज, छोटी इलाइची के दाने और कलमी शोरा समान भाग मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण को दो-तीन रत्ती खाकर दूध से दुगुना पानी मिली हुई लस्सी जितनी पी जा सके उतनी पीने से बहुत लाभ होता है। लस्सी में चीनी आदि कोई अन्य चीज नहीं मिलानी चाहिए।
- उपदंश रोग में तुलसी के बीज पानी में महीन पीसकर लुगदी बना लें। इससे दूना नीम का तेल लेकर दोनों को आग पर पकाओ। जब लुगदी जलकर काली पड़ जाए तब उसे छानकर तेल को ठंडा कर लें और उपदंश के घावों पर लगाएँ, यह तेल अन्य प्रकार के घावों पर भी बहुत लाभ पहुँचाता है।
- मूत्र दाह की शिकायत में पावभर दूध और डेढ़ पाव पानी मिलाएँ और उसमें दो-तीन तुलसी पत्र का रस डालकर पी जाएँ।
- वीर्य की निर्बलता के लिए तुलसी के बीज नौ रत्ती और खाँड़ का पुराना शीरा १ रत्ती मिलाकर प्रातः सायं सेवन करें।
रात को तुलसी के ६ माशा बीज पावभर पानी में भिगो दें और सुबह उनको खूब मिलाकर ठंडाई की तरह पी जाएँ। इसके लगातार सेवन से प्रमेह, धातु क्षीणता, मूत्र-कृच्छ आदि में लाभ होता है।
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पवित्र तुलसी हार्मोन को कैसे प्रभावित करती है?
तुलसी की प्रसिद्धि का दावा (और मैं इसे व्यवहार में इतनी बार क्यों उपयोग करता हूं) यह है कि यह एक एडाप्टोजेन है। एडाप्टोजेन एक वनस्पति है जो तनाव लचीलापन को बढ़ावा देता है और हार्मोन संतुलन को बहाल करने में मदद करता है । तुलसी पर शोध से पता चलता है कि यह बेहतर नींद और बेहतर यौन स्वास्थ्य सहित तनाव के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
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