श्री शनि देव आरती (Aarti) संपूर्ण हिंदी अर्थ सहित और प्रसन्न करने के लिए 20 उपाय,Shri Shani Dev Aarti with complete Hindi meaning 20 ways to please
Shri_Shani_Dev_Aarti_संपूर्ण हिंदी अर्थ सहित
शास्त्र में शनिदेव का विशेष महत्व बताया गया है. अगर शनिदेव जातक की कुंडली में सही स्थिति में है तो जातक का मंगलमय होता है. अगर गलत स्थिति पर हैं तो जातक के बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं. इसलिए शनिदेव को प्रसन्न करने के कई तरह के उपाय बताए गए हैं. शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से परिणाम देते हैं. शनि देव जिन जातकों से प्रसन्न होते हैं, उन जातकों को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और वह जातक सर्वोच्च शिखर तक पहुंचते हैं. लेकिन जिन जातकों से शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं, ऐसे जातक अर्श से फर्श पर पहुंच जाते हैं.
Shri Shani Dev Aarti with complete Hindi meaning 20 ways |
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
अर्थ:-
शनि देव जी महाराज आपकी जय हो! आपकी जय हो! आप सदैव अपने भक्तों का हित करते है। आप भगवान सूर्य और छाया माता के पुत्र है। हे श्री शनि देव जी महाराज, आपकी जय हो।
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
अर्थ:-
हे शनि देव जी महाराज, आपका श्याम रंग है और आपकी बड़ी तेज और वक्र दृष्टि है। आपकी चार भुजाएं है जिनमें आपने अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए है। हे नाथ, आप नीले रंग के वस्त्र धारण करते है और कौवे की सवारी करते है। हे श्री शनि देव जी महाराज, आपकी जय हो।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
अर्थ:-
हे शनि महाराज, आपके माथे पर अति सुंदर मुकुट सजता है और मोतियों की माला आपके गले की शोभा बढ़ा रही है। हे श्री शनि देव जी महाराज, आपकी जय हो।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
अर्थ:-
हे शनिदेव आपको लड्डू, मिठाई, पान और सुपारी चढ़ाएं जाते है। आप पर चढ़ाई जाने वाली वस्तुओं में लोहा, काला तिल, सरसों का तेल, उड़द की दाल के दाने, आपको अत्यंत प्रिय है। हे श्री शनि देव जी महाराज, आपकी जय हो।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
अर्थ:-
भगवान शनिदेव देवता, दानव, ऋषि मुनि, नर और नारी सभी आपका सुमिरन करते है। हे विश्वनाथ, सभी भक्तजन आपका ध्यान धरते है और आपकी शरण में रहना चाहते है। हे श्री शनि देव जी महाराज, आपकी जय हो।
(Shri_Shani_Dev_Aarti)आरती पढ़ने के फायदे
शनि देव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए आरती ही सबसे आसान उपाय है। प्रत्येक शनिवार पूजा के बाद इनकी आरती पढ़ने से घर में सुख-समृद्धि आती है और कभी भी धन की कमी नहीं देखनी पड़ती। मान्यता है कि जो व्यक्ति ये आरती पढ़ता है उसके ऊपर शनि देव की किसी भी दशा का बुरा असर नहीं पड़ता। शनि देव की आरती करते समय सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डाल लेने चाहिए।
श्री शनि देव आरती दूसरी (Shri_Shani_Dev_Aarti_)
जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा,जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी, घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी,जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा ॥
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए, ये उपाय किए जा सकते हैं
- मंत्रों का जाप करें
- घास पर नंगे पैर चलें
- कर्म योग का अभ्यास करें
- धर्मार्थ दान में संलग्न हों
- यज्ञ करें
- तिल/सरसों के तेल के साथ दीपक जलाएं
- भगवान कालभैरव की पूजा करें
- नशे से दूर रहें
- शनिवार को भगवान हनुमान को समर्पित करें और पूजा करें
- पीपल का पेड़
- दान-पुण्य करें
- शनि यंत्र की पूजा
- कुत्तों की करें सेवा
- हनुमान जी की करें अराधना
- शिव जी की करें पूजा
- चिड़िया, मछली और पशुओं को दाना, पानी या चारा खिलाएं
- रोज हनुमान चालीसा का पाठ करें
- काले घोड़े की नाल की अंगूठी
- चीटियों को खिलाएं आटा
- काली वस्तुओं का दान
टिप्पणियाँ