रामायण से जुड़ी Gk के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 401से 425 तक
प्रश्न 401.हनुमान जी ने किस पर्वत पर चढ़कर समुद्र लाँघने हेतु छलाँग लगाई थी?
- रैवतक
- गंधमादन
- कांचन
- मलयगिरि
उत्तर गंधमादन
गंधमादन पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर है। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमान जी ने लंका पहुंचने के लिए समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी। गंधमादन पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें हनुमान जी के साथ ही श्रीराम आदि की मूर्तियां भी विराजित हैं। कहते हैं इस पर्वत पर भगवान श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ बैठ कर युद्ध के लिए योजना बनाया करते थे। लोक मान्यताओं अनुसार इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं
प्रश्न 402.लंका नगरी किस पर्वत पर स्थित थी?
- महेंद्र
- सुमेरु
- त्रिकूट
- कैलास
उत्तर त्रिकूट
भगवान शिव ने बनवाई थी लंका रावण ने लंका नहीं बनाई थी, बल्कि लंका का निर्माण भगवान शिव के कहने पर देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा और कुबेर ने मिलकर समुद्र के मध्य त्रिकुटाचल पर्वत पर इसका निर्माण किया था. त्रिकुटाचल के बारे में कहा जाता है कि त्रि यानि तीन और अकुटाचल यानि पर्वत. यानि लंका का निर्माण तीन पर्वत श्रंखलाओ से मिलकर किया गया था. जिसके पहले पर्वत का नाम सुबेल. सुबह वही स्थान है जहां पर भगवान राम और रावण के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था. इस पर्वत के दूसरे भाग को नील कहा जाता है, इसी स्थान पर लंका का महल था. इस पर्वत का सबसे सुंदर भाग सुन्दर पर्वत था जहां पर अशोक वाटिका थी. इस स्थान पर माता सीता को रावण ने रखा था.
प्रश्न 403.विशल्यकरणी, सावर्ण्यकरणी, संजीवकरणी व संधानी नामक ओषधियाँ किस पर्वत पर पाई जाती थीं?
- पारियात्र
- हिमालय
- कांचन
- महोदय
उत्तर महोदय
प्रश्न 404.महर्षि परशुराम का आश्रम किस पर्वत पर था?
- सुमेरु
- मंदराचल
- महेंद्र
- किष्किंधा
उत्तर महेंद्र
महेंद्रगिरि चोटी उड़ीसा के गजपति में स्थित है। यह उड़ीसा की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। ऐसा माना जाता है कि महेंद्रगिरि पर्वत भगवान परशुराम की तप की जगह थी। और अंतत: वह उसी पर्वत पर तपस्या के लिए चले गए थे। - दरअसल, पौराणिक कथाओं में अश्वत्थामा, हनुमान की तरह परशुराम को भी चिरजीवी बताया गया है। - महेंद्रगिरि पर्वत पर महाभारत काल के कई मंदिर मौजूद हैं, ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर पांडवों ने बनवाए थे।
प्रश्न 405.श्रीराम, सीता व लक्ष्मण ने शृंगवेरपुर के निकट किस नदी को पार किया था?
- गंगा
- तमसा
- गोदावरी
- यमुना
उत्तर गंगा
शृंगवेरपुर लखनऊ रोड पर प्रयागराज से 45 किलोमीटर दूर एक धार्मिक स्थान है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहाँ राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ निर्वासन के रास्ते पर गंगा नदी को पार कर दिया। यह प्रयागराज के आस-पास के प्रमुख भ्रमण स्थलों में से एक है। शृंगवेरपुर अन्यथा नींद से भरा गांव है जो धीरे-धीरे और लगातार तेजी से बढ़ रहा है यद्यपि, रामायण महाकाव्य में इस स्थान की लंबाई का उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 406.कुश-लव का जन्म कहाँ हुआ था?
- अयोध्या में
- वाल्मीकि आश्रम में
- पंचवटी में
- अशोक वाटिका में
उत्तर वाल्मीकि आश्रम में
लव-कुश जन्म कथा – रामायण की कथा के कई सारे संस्करण उपलब्ध हैं, लेकिन इन सबमें महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची गई रामायण ही सबसे प्राचीन और विश्वसनीय मानी जाती है। राम-सीता के जीवन पर कई तरह के महाकाव्य, ग्रंथ और उपग्रंथों की रचना की गई लेकिन वाल्मीकि ऋषि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण को ही रामायण का सबसे पुराना और मूल संस्करण माना जाता है।
प्रश्न 407. वनवास से लौटकर श्रीराम ने अपनी जटाएँ कहाँ कटवाई थीं?
- अयोध्या राजभवन में
- नंदिग्राम में
- सरयू नदी के तट पर
- वाल्मीकि आश्रम में
उत्तर नंदिग्राम में
प्रश्न 408.मेघनाद (राम से युद्ध करते समय) युद्धक्षेत्र छोड़कर यज्ञ करने के हेतु किस स्थान पर चला गया था?
- शुक्राचार्य के आश्रम पर
- लंका के एक मंदिर में
- अपने राजभवन में
- निकुंभिला में
उत्तर निकुंभिला में
राम से युद्ध होने पर सब वीर राक्षसों को नष्टप्राय देखकर रावण ने मेघनाद को युद्ध करने के लिए कहा। मेघनाद ने युद्ध में जाने से पूर्व अग्नि में राक्षसी हवन किया। लाल पगड़ी बांधकर कई हज़ार राक्षसियाँ इन्द्रजित की रक्षा में व्यस्त हो गयीं। उस यज्ञ में सरपत के स्थान पर शस्त्र बिछाये गये थे। बहेड़े की लकड़ी, लाल वस्त्र और काले लोहे की स्त्रुवा लायी गयी थीं। शरपत्रों से अग्नि प्रज्वलित करके एक जीवित काले बकरे का गला पकड़ा और अग्नि में छोड़ दिया। धूम्ररहित अग्नि ने प्रज्वलित होकर विजय की सूचना दी। सुवर्ण अग्नि ने स्वयं प्रकट होकर दाहिनी ओर बढ़कर इन्द्रजित की दी हुई हवि को स्वीकार किया। हवन समाप्ति के उपरंत देवताओं, दानवों और राक्षसों को तृप्त किया गया। युद्ध के समय मेघनाद ने अपनी माया से मायावी सीता का निर्माण किया था, जिससे श्रीराम के वानर सैनिकों तथा योद्धाओं को धोखा दिया जा सके। युद्ध में किसी समय मायावी सीता को मरा जानकर हनुमान की आज्ञा से वानरों ने युद्ध बंद कर दिया। मेघनाद निकुंभिलादेवी के स्थान पर गया। वहाम उसने हवन किया। मांस और रुधिर की आहुति से अग्नि प्रज्वलित हो गयी। मेघनाद को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि निकुंभिलादेवी के मंदिर यज्ञ समाप्त करने के उपरांत समस्त देवता एवं इन्द्र भी उसे पराजित न कर पायेंगे, किंतु यदि किसी शत्रु ने यज्ञ में विघ्न डाला तो वह मारा जायेगा।
प्रश्न 409.नंदिग्राम अयोध्या की किस दिशा में स्थित था?
- उत्तर
- पश्चिम
- पूर्व
- दक्षिण
उत्तर पूर्व
नंदीग्राम (भरत कुंड) एक पवित्र कुंड है। माना जाता है कि इसी स्थान पर भरत जी ने भगवान श्री राम के वनवास से जल्द लौटने के लिए तपस्या की थी। इस स्थान की निर्मलता कुंड में डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रदालुओं को मन्त्रमुग्द्ध कर देती है।
प्रश्न 410.खर और दूषण कहाँ रहते थे?
- दंडक वन में
- लंका में
- किष्किंधा पर्वत पर
- चित्रकूट में
उत्तर दंडक वन में
खर और दूषण, रावण के सौतेले भाई और महाबलशाली राक्षस थे. ये दोनों दंडक वन में रहते थे. खर और दूषण, रावण की मौसी राका के बेटे थे. सुपर्णखा इन दोनों की सगी बहन थी. सुपर्णखा के नाक-कान काटने के बाद, श्री राम ने खर और दूषण का वध किया था
प्रश्न 411.श्रीराम द्वारा सीता को वनवास दिए जाने पर वह (सीता) कहाँ रही थीं?
- वाल्मीकि आश्रम में
- विश्वामित्र आश्रम में
- पंचवटी में
- अशोक वाटिका में
प्रश्न 412. पंचवटी, जहाँ श्रीराम सीता-लक्ष्मण सहित वनवास काल में पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे, किस नदी के किनारे स्थित था?
- चर्मण्वती
- गोदावरी
- तमसा
- गंगा
उत्तर गोदावरी
प्रश्न 413. वनवास के समय श्रीराम से मिलने भरत किस स्थान पर गए थे?
- किष्किंधा पर्वत
- लंका में
- चित्रकूट
- समुद्र तट पर
उत्तर चित्रकूट
राजकुमार भरत को यह पता चलता है कि प्रभु श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नि सीता के साथ चित्रकूट में ठहरे हुए थे, तब राजकुमार भरत तुरंत ही उनसे मिलने के लिए चित्रकूट की ओर प्रस्थान करते हैं. उनके साथ उनका सैन्य दल भी होता हैं क्योंकि वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कहीं बड़े भाई श्री राम को कोई क्षति न पहुंचा सकें, इसीलिए उनकी सुरक्षा हेतु वे सैनिकों के साथ जाते हैं.वहीं दूसरी ओर चित्रकूट में भगवान श्री राम, लक्ष्मणजी और माता सीता अपनी कुटिया के बाहर शांति पूर्वक बैठे हुए हैं. तभी उन्हें कहीं से पदचाप और इस कारण धूल उड़ती हुई दिखाई देती हैं. कुछ ही समय में यह ध्वनि तीव्र हो जाती हैं और तभी कोई वनवासी उन्हें यह समाचार देता हैं कि “राजकुमार भरत अपनी सेना के साथ चित्रकूट पधार रहे हैं और जल्दी ही वे यहां पहुंच जाएंगे.
प्रश्न 414.भरद्वाज ऋषि का आश्रम किस नदी के किनारे पर था?
- तमसा
- नर्मदा
- सरयू
- गंगा-यमुना के संगम पर
उत्तर गंगा-यमुना के संगम पर
ऋषि भारद्वाज का आश्रम यमुना नदी के किनारे पर है. यह आश्रम प्रयाग (वर्तमान में प्रयागराज) में है. प्रयाग, गंगा, यमुना, और गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है. इस संगम स्थल को त्रिवेणी कहते हैं और यह हिंदुओं के लिए पवित्र स्थल है
प्रश्न 415.निषादराज गुह का निवास कहाँ पर था?
- चित्रकूट
- शृंगवेरपुर
- कुशस्थली
- नेदिग्राम
उत्तर शृंगवेरपुर
प्रश्न 416.सीता का हरण करके ले जाने पर रावण ने उन्हें सबसे पहले कहाँ रखा था?
- अशोक वाटिका में
- एक गुफा में
- अपने अंतःपुर में
- विभीषण के महल में
उत्तर अपने अंतःपुर में
प्रश्न 417. विराध राक्षस कहाँ रहता था?
- दंडक वन
- काम्यक वन
- मिथिला
- पाताल
उत्तर दंडक वन
वनवास के दौरान, प्रभु श्रीराम ने ऋषि-मुनियों की मदद के लिए राक्षसों का वध किया था. विराध राक्षस भी रावण का दूत था और उसने चित्रकूट में कोहराम मचा रखा था. विराध ने श्रीराम और लक्ष्मण का रास्ता रोकने के लिए हाथ बढ़ाया था. बड़े भाई श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण ने विराध का वध कर दिया रामायण के मुताबिक, विराध राक्षस दंडक वन में रहता था. वह ब्रह्मा जी का वरदान पाया था कि कोई भी अस्त्र-शस्त्र उसकी हत्या नहीं कर सकता और न ही उसके अंगों को छिन्न-भिन्न कर सकता है. एक घटना में उसने कुछ समय के लिए सीता माता का अपहरण भी कर लिया था
प्रश्न 418.ऋषि अगस्त्य कहाँ रहते थे?
- महेंद्र पर्वत पर
- दंडकारण्य
- समुद्र में
- मिथिला में
उत्तर दंडकारण्य
प्रश्न 419.काजल और मेघ के समान काले वानर किस पर्वत पर पाए जाते थे?
- अंजन
- ऋष्यमूक
- मैनाक
- कांचन
प्रश्न 420.किस नदी में स्रान करने पर माना जाता है कि संतानक लोक प्राप्त होता है?
- गंगा
- गोदावरी
- सरयू
- ताप्ती
उत्तर सरयू
प्रश्न 421.वानर यूथपति पनस किस पर्वत पर रहते थे?
- पारियात्र
- कांचन
- मैनाक
- अंजन
उत्तर पारियात्र
प्रश्न 422.सर्वप्रथम हनुमान की भेंट श्रीराम से किस स्थान पर हुई थी?
- ऋष्यमूक पर्वत
- पंपा सरोवर
- लंका
- पंचवटी
उत्तर ऋष्यमूक पर्वत
वाल्मिकी रामायण के अनुसार, भगवान हनुमान पहली बार भगवान राम से किष्किंधा कांड के दौरान ऋष्यमूक पर्वत (पर्वत) में मिले थे। उस समय हनुमान जी सुग्रीव के मंत्री थे। सुग्रीव को सूचना मिली कि दो युवक धनुष-बाण से सुसज्जित होकर पर्वत की ओर बढ़ रहे हैं। इस विचार से भयभीत होकर कि शायद उनके भाई बाली ने उन्हें भेजा है, सुग्रीव ने हनुमान से अनुरोध किया कि वे पहले जाएं और राजकुमार जैसे दिखने वाले युवाओं के साथ बातचीत करें। सुग्रीव के आदेश के अनुसार, भगवान हनुमान एक साधु का भेष बनाकर उनके पास आये। भगवान हनुमान ने उनके साथ बहुत प्रभावशाली तरीके से बात की, उन्होंने भगवान राम और लक्ष्मण की उनके रूप आदि के बारे में प्रशंसा की। इससे भगवान राम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हनुमान को बताया कि वे वास्तव में कौन हैं।
प्रश्न 423.गंगा शिव की जटा से छूटकर किस स्थान पर जाकर गिरी थीं?
- गोमुख
- अयोध्या
- गंगोत्तरी
- बिंदु सरोवर
उत्तर बिंदु सरोवर
प्रश्न 424.वह कौन सा पर्वत है जिसका स्वरूप सूर्य के वरदान से सुवर्णमय बन गया था?
- मंदराचल
- मैनाक
- सुमेरु
- त्रिकूट
उत्तर सुमेरु
धर्मग्रंथों में सुमेरु पर्वत जिसे मेरु पर्वत भी कहा जाता है, का जिक्र एक ऐसे पर्वत के तौर पर मिलता है जो सोने के समान चमकीले रंग का है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में मेरु पर्वत को अलौकिक पर्वत की संज्ञा दी गई है और इसे सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा समेत समस्त देवी-देवताओं का स्थान कहा गया है। हिंदू धर्म के खगोलीय ग्रंथ कहे जानेवाले सूर्य सिद्धांत के अनुसार, यह पर्वत पृथ्वी की नाभि पर स्थित है। मत्स्य पुराण और भागवत पुराण में इसकी ऊंचाई 84 हजार योजन बताई गई है जो धरती के कुल व्यास से करीब 85 गुणा है। कूर्म पुराण में बताया गया है कि जंबूदीप के मध्य में एक सुनहरा पर्वत स्थित है। विष्णु पुराण के अनुसार, रात्रि के समय सूर्य के अस्त हो जाने पर यह पर्वत तेज अग्नि में प्रविष्ट हो जाता है और यह रात्रि में दूर से ही प्रकाशित होता है।
प्रश्न 425.शिवजी का निवास स्थान किस पर्वत पर है?
- ऋष्यमूक
- कैलास
- महेंद्र
- सुमेरु
उत्तर कैलास
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत है. कैलाश पर्वत को पवित्र माना जाता है. कैलाश पर्वत, हिमालय के उत्तरी क्षेत्र तिब्बत में स्थित है. चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है, इसलिए कैलाश पर्वत चीन में आता है. समुद्र तल से लगभग 22,000 फ़ीट ऊंचा यह पर्वत, कुछ कथाओं के मुताबिक, कैलाश सरोवर को भी शिव का निवास स्थान माना जाता है.
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