मकर संक्रांति के पौराणिक महत्व प्रमुख बिंदु भारत देश के बाहर मकर संक्रांति के विभिन्न नाम Mythological importance of Makar Sankranti Key points Different names of Makar Sankranti outside India
भारत देश के बाहर मकर संक्रांति के विभिन्न नाम प्रमुख बिंदु
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति का महत्त्व सूर्य के उत्तरायण हो जाने के कारण है। शीत काल जब समाप्त होने लगता है तो सूर्य मकर रेखा का संक्रमण करते (काटते) हुए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाता है, इसे ही उत्तरायण कहा जाता है। एक फसल काटने के बाद इस दौरान दूसरे फसल के लिए बीज बोया जाता है। एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। इनमे से मकर संक्रांति का महत्त्व सर्वाधिक है, क्योंकि यहीं से उत्तरायण पुण्य काल (पवित्र/शुभ काल) आरम्भ होता है। उत्तरायण को देवताओं के काल के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो इस सम्पूर्ण काल को ही पवित्र माना जाता है, परन्तु इस अवधि का महत्त्व कुछ ज्यादा है। इसी के बाद से सभी त्यौहार आरम्भ होते हैं।
Makar Sankranti Key points Different names of Makar Sankranti outside India |
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- मकर संक्रांति के भारत में विभिन्न नाम मकर संक्रान्ति का महत्व,
- नवरात्र (दुर्गापूजन) चैत्र नवरात्रि
- गणगौर या गनगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया
मकर संक्रान्ति का पौराणिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। साभार_संकलित इस वर्ष शुभ विक्रम संवत २०७८ पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि शुक्रवार(१४ जनवरी) को रात्रि ८.४९ पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं,इस प्रकार मकरसंक्रांति की उदिया तिथि १५ जनवरी को होगी अतः मकर संक्रांति तदनुरूप १५ जनवरी को मनाया जायेगा। समस्त चराचर प्राणियों एवं सकल विश्व का कल्याण करो प्रभु भास्करआप की कृपा सदैव बरसती रहे !
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भारत देश के बाहर मकर संक्रांति के विभिन्न नाम
बांग्लादेश : Shakrain/ पौष संक्रान्ति,
नेपाल : माघे संक्रान्ति या 'माघी संक्रान्ति' 'खिचड़ी संक्रान्ति',
थाईलैण्ड : สงกรานต์ सोंगकरन,
लाओस : पि मा लाओ,
म्यांमार : थिंयान,
कम्बोडिया : मोहा संगक्रान,
श्री लंका : पोंगल,उझवर तिरुनल,
नेपाल में मकर-संक्रान्ति;- नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा
भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिये भगवान को धन्यवाद देकर अपनी अनुकम्पा को सदैव लोगों पर बनाये रखने का आशीर्वाद माँगते हैं। इसलिए मकर संक्रान्ति के त्यौहार को फसलों एवं किसानों के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में मकर संक्रान्ति को माघे-संक्रान्ति, सूर्योत्तरायण और थारू समुदाय में 'माघी' कहा जाता है। इस दिन नेपाल सरकार सार्वजनिक छुट्टी देती है। थारू समुदाय का यह सबसे प्रमुख त्यैाहार है। नेपाल के बाकी समुदाय भी तीर्थस्थल में स्नान करके दान-धर्मादि करते हैं और तिल,घी,शर्करा और कन्दमूल खाकर धूमधाम से मनाते हैं। वे नदियों के संगम पर लाखों की संख्या में नहाने के लिये जाते हैं। तीर्थस्थलों में रूरूधाम (देवघाट) व त्रिवेणी मेला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है
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मकर संक्रांति: प्रमुख बिंदु
- मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि (मकर) में प्रवेश को दर्शाता है क्योंकि यह अपने खगोलीय पथ (Celestial Path) की परिक्रमा करता है।
- यह दिन गर्मियों की शुरुआत और हिंदुओं के लिये छह महीने की शुभ अवधि का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण (सूर्य की उत्तर की ओर गति) के रूप में जाना जाता है।
- 'उत्तरायण' के एक आधिकारिक उत्सव के रूप में गुजरात सरकार द्वारा वर्ष 1989 से अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
- इस दिन से जुड़े उत्सवों को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा लोहड़ी के रूप में।
- मध्य भारत में संकरात।
- असमिया हिंदुओं द्वारा भोगली बिहू।
- तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय हिंदुओं द्वारा पोंगल के रूप में।
बीहू:
यह तब मनाया जाता है जब असम में वार्षिक फसल होती है। असमिया नए वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने हेतु लोग रोंगाली/माघ बिहू मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत उस समय से हुई थी जब घाटी के लोगों ने ज़मीन जोतना शुरू कर दिया था। बिहू त्योहार को ब्रह्मपुत्र नदी जितना पुराना माना जाता है।
पोंगल:
पोंगल शब्द का अर्थ है ‘उफान या विप्लव।
इसे थाई पोंगल के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय उत्सव तमिल कैलेंडर के अनुसार ‘थाई’ माह में मनाया जाता है, जब धान आदि फसलों की कटाई की जाती है और लोग ईश्वर तथा भूमि की दानशीलता के प्रति आभार प्रकट करते हैं। इस उत्सव के दौरान तमिल लोग चावल के आटे से अपने घरों के आगे कोलम नामक पारंपरिक रंगोली बनाते हैं।
- मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?
मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी आदि जैसे नामों से जाना जाता है, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, सूर्य को अर्घ्य देने, पूजा करने, दान करने के साथ ही तिल, गुड़, रेवड़ी आदि का सेवन करने का महत्व है, इस दिन खिचड़ी का सेवन करना अनिवार्य माना जाता है.
- पौष संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
पौष संक्रांति, जिसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है, बंगाली महीने पौष का समापन और बंगाल में फसल उत्सव का अवसर है। ग्रामीण बंगाल में, किसानों के परिवार अपने घरों को साफ करते हैं, उन्हें सजाते हैं और लक्ष्मी के स्वागत के लिए आम के पत्ते बांधते हैं, और चावल के फूलों के पेस्ट के साथ अल्पना या रंगोली बनाते हैं।
- उड़ीसा में मकर संक्रांति को क्या कहते हैं?
पंजाब में इसे 'माघी', राजस्थान में 'संक्रात', असम में 'माघ बिहू', कुमांऊ में 'घुघुतिया', उड़ीसा, बिहार और झारखंड में 'मकर संक्रांति' के नाम से ही जाना जाता है।
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