तुलसी के औषधीय गुण और तुलसी के उपयोग
तुलसी के औषधीय गुण क्या है?
तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से जुकाम, सिर दर्द, बुखार आदि रोगों से लाभ मिलता है। तुलसी के पत्ते चबाकर ऊपर से पानी पीने से कैंसर से लाभ मिलता है। तुलसी के पत्तों के सेवन से रक्त चाप सामान्य होता है। खांसी, दमा, इओसिनोफिल आदि में तुलसी के 10 पत्ते, एक चम्मच बायबडिंग का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है।
तुलसी के पत्तों के 5 औषधीय उपयोग क्या हैं?
इन अध्ययनों से पता चलता है कि तुलसी में क्रियाओं का एक अनूठा संयोजन है जिसमें शामिल हैं: रोगाणुरोधी (जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटिफंगल, एंटीप्रोटोजोअल, मलेरिया-रोधी, कृमिनाशक सहित), मच्छर निरोधक, डायरिया रोधी, एंटी-ऑक्सीडेंट, मोतियाबिंद रोधी, सूजन रोधी, कीमोप्रिवेंटिव। , रेडियोप्रोटेक्टिव, हेपाटो-.
तुलसी के औषधीय गुण और तुलसी के उपयोग
तुलसी में शोधक और कीटाणु नाशक गुण विशेष रूप से होते हैं। आधुनिक खोजों के अनुसार उसमें एक उड़नशील तेल रहता है, जिसकी गंध से कई प्रकार के हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। चरक के विष-चिकित्सा में तुलसी का उल्लेख कई स्थानों पर किया गया है। इसमें जंतुघ्न तथा विषघ्न गुण बतलाए गए हैं। ततैया-बिच्छू आदि के काटने पर तुलसी-पत्र का प्रयोग किया जाता है। घाव पर तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण छिड़कने से वे गंदे नहीं हो पाते और शीघ्र ही भरते हैं। पत्तों के काढ़े से धोना भी लाभदायक होता है। त्वचा के सभी रोगों जैसे दाद, खाज, झांई, मुँहासे आदि पर इसका प्रयोग लाभदायक सिद्ध होता है। चर्म रोगों की औषधियों में तुलसी का प्रयोग कर देने से उसकी शक्ति बहुत बढ़ जाती है और रोग अपेक्षाकृत शीघ्र ठीक हो जाता है।
हर प्रकार के घाव और फोड़ों पर तुलसी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। तुलसी की लकड़ी को चंदन की तरह घिसकर फोड़ों पर लेप करने से शीघ्र आराम हो जाता है। तुलसी पत्र के काढ़े से धोने पर भी फोड़ों और घावों में लाभ होता है। अगर घाव में कीड़े पड़ गए हों और वह बदबू करता हो तो उसे काढ़े से धोने के बाद उस पर सूखे पत्तों का चूर्ण छिड़क देना चाहिए।
Medicinal properties and uses of basil |
यहाँ भी पढ़े क्लिक कर के-
तुलसी के औषधीय गुण
- तुलसी के पत्तों को नीबू के रस में पीसकर दाद पर लगाने से आराम होता है।
- तुलसी का रस दो भाग और तिली का तेल एक भाग मिलाकर मंद आग पर पकाएँ। ठीक पक जाने पर छान लें, इसके प्रयोग से खुजली और चर्म रोगों में भी लाभ होता है।
- अग्नि से जल जाने पर तुलसी का रस और नारियल का तेल फेंटकर लगाने से जलन मिट जाती है। यदि फफोला पड़ गया हो या घाव हो तो वह शीघ्र ठीक हो जाता है।
- तुलसी के पत्तों को गंगाजल में पीसकर निरंतर लगाते रहने से सफेद दाग कुछ समय में ठीक हो जाते हैं।
- बालतोड़ पर तुलसी पत्र और पीपल की कोमल पत्तियाँ पीसकर लगाने से आराम होता है।
- नाक के भीतर फुंसी हो जाने पर तुलसी पत्र तथा बेर को पीसकर सूँघने और लगाने से लाभ होता है।
- पेट के भीतर फोड़ा या गुल्म में तुलसी पत्र और सोया के शाक का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा सैंधा नमक मिलाकर पीना चाहिए।
- तुलसी पत्र और फिटकरी को खूब बारीक पीसकर घाव पर छिड़कने से वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
- बालों का झड़ना और असमय सफेद हो जाना भी एक चर्म विकार ही है, इसके लिए तुलसी पत्र और सूखे आँवले का चूर्ण सिर में अच्छी तरह मिलाकर सामान्य तापमान के पानी में धोना चाहिए।
- काँख के फोड़े (कखौरी) पर तुलसी पत्र, राई, गुड़, गूगल समान मात्रा में पानी में पीसकर गरम करके बाँधने से वह फूटकर ठीक हो जाता है।
- तुलसी के पत्तों तथा जड़ में कीटाणुनाशक गुण विशेष रूप से पाया जाता है, उसका सभी प्रकार के चर्म रोगों में प्रयोग लाभदायक सिद्ध होता है। तुलसी के २०-२५ तोला पत्तों को पीसकर पानी मिलाकर उसका रस निकाल लें, फिर आधा सेर रस तथा तिली का तेल मिलाकर आग पर पकाएँ। पानी जल जाने पर तेल को छानकर बोतल में भर दिया जाए, इस तेल की मालिश से त्वचा संबंधी रोग खुजली, खुश्की आदि दूर हो जाती है।उपर्युक्त तेल के प्रयोग के साथ प्रातःकाल तुलसी की जड़ तथा सौंठ का चूर्ण कुछ गरम पानी के साथ लगातार सेवन करते रहने से कोढ़ जैसा भयंकर रोग भी दूर हो जाता है। एक प्रसिद्ध चिकित्सक ने लिखा है कि एक संन्यासी ने लगातार एक साल तक तुलसी का रस पिलाकर एक ऐसे कुष्ठ रोगी को स्वस्थ किया था, जिसका रोग काफी बढ़ चुका था और अँगुलियाँ गलने लगी थीं।
- तुलसी में रक्त साफ करने का गुण है, जिसके कारण इसका प्रयोग सब प्रकार के खून फिसाद के रोगी, फोड़े, फुंसी, खाल पर चकत्ता पड़ना आदि को दूर करने की सामर्थ्य रखता है। इस प्रयोग के लिए किसी तांबे के बरतन में आधा पाव नींबू का रस भर दें फिर तुलसी और काली कसौंदी में से प्रत्येक का उतना ही रस मिला दें। बरतन को धूप में रखने से रस सूखने लगेगा। कई दिन में सूखकर जब यह गाढ़ा हो जाए तो चेहरे पर लगाने से झाँई- मुँहासे, काले दाग-धब्बे मिटकर चेहरा साफ और सुंदर हो जाता है। इसके लगातार प्रयोग से शरीर के किसी भी अंग पर पड़े सफेद दाग भी मिट जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों को नींबू के रस में मिलाकर लगाते रहने से दाद मिट जाता है।
- तुलसी और नीम के पत्तों को दही में पीसकर लगाने से भी दाद ठीक हो जाता है।
यहाँ भी पढ़े क्लिक कर के-
- तुलसी प्रकृति के अनुकूल औषधि और तुलसी के लाभ
- तुलसी की प्रजातियाँ और तोड़ने से पहले कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए
- तुलसी के उपयोग और तुलसी का उपयोग कैसे करें तथा तुलसी की विशेषता
तुलसी के कई औषधीय गुण और फ़ायदे हैं
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल सांसों की बदबू दूर करने के लिए भी किया जाता है.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल चोट लगने पर भी किया जाता है.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए भी किया जाता है.
- तुलसी में विटामिन सी, ए, ई, के, जिंक, और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.
- तुलसी के पत्ते बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया, और बैक्टीरियल संक्रमण आदि के इलाज में फ़ायदेमंद होते हैं.
- तुलसी के पत्ते कफ़-वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने, और रक्त को शुद्ध करने में मदद करते हैं.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल श्वसन संक्रमण से लड़ने में भी किया जाता है.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल कीड़े के काटने पर भी किया जाता है.
- तुलसी में एंटी-इंफ़्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं.
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से जुकाम, सिर दर्द, और बुखार में आराम मिलता है.
- तुलसी के पत्तों का सेवन करने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है.
- तुलसी के पत्तों का सेवन करने से डायबिटीज़ लेवल कंट्रोल में रहता है.
- तुलसी के पत्तों को चबाकर ऊपर से पानी पीने से कैंसर में फ़ायदा मिलता है.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल यौन रोगों के इलाज में भी किया जाता है.
- तुलसी के बीज का इस्तेमाल पुरुषों में शारीरिक कमज़ोरी दूर करने के लिए किया जाता है.
- तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल अनियमित पीरियड्स की समस्या में भी किया जाता है.
यहाँ भी पढ़े क्लिक कर के-
टिप्पणियाँ