श्री गणेश द्वादशनामावली जानिए

श्री गणेश द्वादशनामावली जानिए

भगवान श्री गणेश 

सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश प्रथम पूजनीय माने जाते हैं। किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य को शुरू करने से पहले विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की आराधना और उनके प्रतीक चिन्हों की पूजा करने विधान है, जिससे सारे कार्य सूख पूर्वक संपन्न हो जाये और उसमें सफलता मिल सके। गणेश जी को सबसे पहले पूजने का वरदान भगवान शिव द्वारा प्राप्त है। वहीं श्री गणेश को ग्रहों में बुद्ध का अधिपति माने जाने के साथ ही, सप्ताह में बुधवार के दिन के कारक देव भी माना जाता हैं।भगवान गणेश मंगलकारी और बुद्धि दाता हैं, जिनकी सवारी मूषक यानि चूहा और प्रिय भोग मोदक (लड्डू) है। भगवान गणेश का हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहा जाता है। गणेश जी के कई अन्य नाम भी हैं, जैसे शिवपुत्र, गौरी नंदन आदि। पंडित शर्मा के अनुसार आमतौर पर देखने मे आता है कि ज्यादातर लोग कभी भी श्री गणेश चालीसा का पाठ कर लेते हैं, लेकिन शायद वो ये नहीं जानते कि इसके भी कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनको पूरा करने से ही श्री गणेश जल्द प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
Know Shri Ganesh Dwadashnamvali

श्री गणेश द्वादशनामावली

गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं। निम्नलिखित श्री गणेश के द्वादश नाम नारद पुरान मे पहली बार गणेश द्वादश नामावलि मे लिखित है | विद्यारम्भ तथ विवाह के पूजन के प्रथम मे इन नामो से गणपति की अराधना का विधान है | नारद पुराण में लिखित श्री गणेश द्वादशनामावली –

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये ॥ १॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २॥
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ ३॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरः प्रभुः ॥ ५॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६॥
जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ ७॥
अष्टेभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८॥

उपरोक्त द्वादश नामावली के अनुशार श्री गणेश के १२ नाम – 

  1. वक्रतुंड,
  2. एकदन्त,
  3. कृष्णपिगाक्ष,
  4. गजवक्त्रं,
  5. लम्बोदर,
  6. विकट,
  7. विघ्नराज,
  8. धुम्रवर्ण,
  9. भालचंद्र,
  10. विनायक,
  11. गणपति,
  12. गजानन हैं 

श्री गणेश अष्टावतार:-

श्री गणेश अष्टावतार पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। Ganesh ji story

महोदर श्री गणेश
गजानन श्री गणेश
लम्बोदर श्री गणेश
विकट श्री गणेश
विघ्नराज श्री गणेश
धूम्रवर्ण श्री गणेश

विवाह:-

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी का विवाह भी हुआ था इनकी दो पत्नियां हैं। जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि है तथा इनसे गणेश जी को दो पुत्र हुए हैं जिनका नाम शुभ और लाभ नाम बताया जाता है, यही कारण है कि शुभ और लाभ ये दो शब्द आपको अक्सर उनकी मूर्ति के साथ दिखाई देते हैं

प्रसिद्ध श्री गणेश मंदिर:-

सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर, पुणे
गणपतिपुले मंदिर, रत्नागिरी
उच्ची पिल्लयार मंदिर, तिरुचिरापल्ली में गणेश चतुर्थी
कनिपकम विनायक मंदिर, चित्तूरी
मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर
कलामास्सेरी महागणपति मंदिर, केरल
वरसिद्धि विनायक मंदिर, चेन्नई
गणेश टोक मंदिर, गंगटोक
रणथंभौर गणेश मंदिर, राजस्थान

शास्त्र:-

गणेश पुराण, शिव महापुराण और मुदगल पुराण, श्री गणेश ग्रंथ में पांच खंड है। जिनमें श्री गणेश जी के बारे में पूरी जानकारी है। पहला खण्ड – आरम्भ खण्ड -दूसरा खण्ड – परिचय खण्ड -तीसरा खण्ड – माता पार्वती खण्ड  चौथा खण्ड – युद्ध खण्ड -पांचवा खण्ड – महादेव पुण्य कथा खण्ड –

श्री गणेश के बारे में अनोखी बातें:-

  1. श्री गणेश को लाल व सिंदूरी रंग प्रिय है।
  2. दूर्वा के प्रति विशेष लगाव है।
  3. चूहा इनका वाहन है। बैठे रहना इनकी आदत है।
  4. लेखन में इनकी विशेषज्ञता है। पूर्व दिशा अच्छी लगती है।
  5. लाल रंग के पुष्प से शीघ्र खुश होते हैं।
  6. प्रथम स्मरण से कार्य को निर्विघ्न संपन्न करते हैं।
  7. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना पसंद नहीं है।
  8. चतुर्थी तिथि इनकी प्रिय तिथि है।
  9. स्वस्तिक इनका चिन्ह है।
  10. सिंदूर व शुद्ध घी की मालिश इनको प्रसन्न करती है।
  11. गृहस्थाश्रम के लिए ये आदर्श देवता हैं। कामना को शीघ्र पूर्ण कर देते हैं।
भगवान गणेश जी ने ही महाभारत काव्य अपने हाथों से लिखा था. पौराणिक कथा के अनुसार विद्या के साथ साथ भगवान गणेश को लेखन कार्य का भी अधिपति माना गया है.

पिता– भगवान शंकर
माता– भगवती पार्वती
भाई- श्री कार्तिकेय, अय्यप्पा (बड़े भाई)
बहन– अशोकसुन्दरी , मनसा देवी , देवी ज्योति ( बड़ी बहन )
पत्नी– दो (१) ऋद्धि (२) सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)
पुत्र– दो 1. शुभ 2. लाभ
पुत्री – संतोषी माता
प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
प्रिय पुष्प– लाल रंग के
प्रिय वस्तु– दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
अधिपति– जल तत्व के
मुख्य अस्त्र – परशु , रस्सी
वाहन – मूषक

श्री गणेश के बारे में और अधिक पढ़ें:-

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श्री गणेश चालीसा- Ganesh chalisa in hindi
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गणेश चतुर्थी-Ganesh chaturthi 

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