जय जय श्री शनिदेव आरती और नियम,पूजा विधिJai Jai Shri Shanidev Aarti and Rules

जय जय श्री शनिदेव आरती और नियम

शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं। शनिदेव के प्रकोप से बचने और उनकी कृपा पाने के लिए शनिवार का दिन श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन किए गए उपायों, धार्मिक कार्यों से शनि के दोष को शांत किया जा सकता है. शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन श्री शनिदवे जी की आरती करें.
  • शनि आरती का नियम
अपने आराध्य की आरती हमेशा चौदह बार आरती करनी चाहिए। चार बार चरणों से, दो बार नाभि से, एक बार मुख से तथा सात बार पूरे शरीर की आरती करनी चाहिए। आरती की बत्तियां 1, 5, 7 यानी विषम संख्या में ही होनी चाहिए।

जय जय श्री शनिदेव आरती और नियम,(Jai Jai Shri Shanidev Aarti )

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

शनि देवजी की पूजा विधि

शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं। कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं। जो गलती जानकर की गई उसके लिए भी और जो अंजाने में हुई, दोनों ही गलतियों पर शनिदेव अपनी नजर रखते हैं। इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है। शनिदेव महाराज की पूजा विधि इस प्रकार है:-
  • हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने जलाएं और रखें।
  • अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं। अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें। शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें।
  • भेंट के बाद शनि मंत्र या फिर शनि चालीसा का जाप करे।
  • शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें।
  • शनिदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ।
भगवान शनिदेव के इस पाठ को 'विमल' ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो जाता है।

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