महाशिवरात्रि व्रत का महत्व और लाभ और रुद्राभिषेक के फ़ायदे
- महाशिवरात्रि व्रत-
- महाशिवरात्रि महत्व-
- महाशिवरात्रि पर अभिषेक का महत्व और फ़ायदे-
- महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने के कुछ और फ़ायदे-
- रुद्र मंत्र के कुछ रूप-
- रुद्र मंत्र का जाप करने से जुड़ी कुछ बातें-
- महाशिवरात्रि व्रत का लाभ-
- महाशिवरात्रि के व्रत के कुछ लाभ-
- शिवजी की पूजा इस तरह की जा सकती है मनोनुकूल फल पाने के लिए-
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महाशिवरात्रि व्रत-
महाशिवरात्रि साल भर में एक ही बार मनाई जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस पर्व को शिव और पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यानी महाशिवरात्रि साल में एक बार तो वहीं शिवरात्रि हर महिने मनाई जाती है।
चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिवजी हैं। ज्योतिष शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि को परम शुभ फलदायी मना गया हैं। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने चतुर्दशी तिथि को होती हैं। परंतु फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया हैं। ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार विश्व को उर्जा प्रदान करने वाले सूर्य इस समय तक उत्तरायण में आ होते हैं, और ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यंत शुभ कहा माना जाता हैं। शिव का अर्थ ही हैं कल्याण करना, एवं शिवजी सबका कल्याण करने वाले देवो के भी देव महादेव हैं। अत: महा शिवरात्रि के दिन शिव कृपा प्राप्त कर व्यक्ति को सरलता से इच्छित सुख की प्रामि होती हैं। ज्योतिषीय सिद्धंत के अनुसार चतुर्दशी तिथि तक चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जात्ता हैं। अपनी क्षीण अवस्था के कारण बलहीन होकर चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा(प्रकाश) देने में असमर्थ हो जाते हैं। चंद्र का सीधा संबंध मनुष्य के मन से बताया गया हैं। ज्योतिष सिद्धन्त से जब चंद्र कमजोर होतो मन थोडा कमजोर हो जाता हैं, जिससे भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं, और विषाद, मान्सिक चंचल्ता-अस्थिरता एवं असंतुलन से मनुष्य को विभिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करना पढ़ता हैं।
धर्म ग्रंथोमे चंद्रमा को शिव के मस्तक पर सुशोभित बताय गया हैं। जिससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होने से चंद्रदेव की कृपा स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। महाशिवरात्रि को शिव की अत्यंत प्रिय तिथि बताई गई हैं। ज्यादातर ज्योतिषी शिवरात्रि के दिन शिव आराधना कर समस्त कष्टों से मुक्ति पाने की सलाह देते हैं।
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महाशिवरात्रि महत्व-
महाशिवरात्रि को हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाय जाता हैं। महाशिवरात्रि को कालरात्रि के नाम से भी जान जाता हैं।
महाशिवरात्रि पर्व प्रति वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता हैं। एसी मान्यता हैं कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शिवजी का ब्रह्मा रुप से रुद्र रूप में अवतार हुआ था। प्रत्य के समय में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए समग्र ब्रह्मांड को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहाजाता हैं।
तीनों लोक की सुंदरी तथा शीलवती गौरां को अपनी अर्धांगिनी बनाने वाले शिव सर्वदा प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप अनोखा हैं। शरीर पर स्मसान की भस्म, और गले में सर्पों की माला, कंठ में विष, जटा में शशी (चंद्र) एवं पतित पावनी गंगा तथा मस्तक पर प्रलय कारी ज्वाला हैं। नंदि (बैल) को वाहन बनाने वाले हैं। शिव अमंगल रूप होकर भी अपने भक्तों का अमंगल दूर कर मंगल करते हैं और सुख-संपत्ति एवं शांति प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि पर अभिषेक का महत्व और फ़ायदे-
- अभिषक अर्थात स्नान कारना अथवा किसी निर्धारित पदार्थ से वस्तु विशेष पर अरपण पदार्थ को डालना। शिवलिंग पर स्नान अथवा अभिषेक करना। अभिषेक में भी रुद्राभिषिक का विशेष महत्व हैं। रुद्राभिषेक में रुद्रमंत्रों के उच्चारण के साथ शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता हैं। रुद्राभिषिक को भगवान शिव की आराधना का सर्वश्रेष्ठ उपायो में से एक माना गया हैं। विद्वानों के मत से धर्म शास्त्रों में शिव को जलधारा से अभिषेक करना सर्वाधिक प्रिय माना जाता है। विद्वानो के अनुशार भारत के प्रमुख ग्रंथ ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में उल्लेखित मंत्रो का प्रयोग रुद्रमंत्रों के रुप में किया जाता हैं।
- रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव के रुद्र रूप का अभिषेक करना. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से इसका फल बहुत जल्दी मिलता है. पुराणों और शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि रुद्र सभी दुखों और परेशानियों को नष्ट कर देते हैं.
- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति और उसके परिवार के शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण में सुधार होता है. रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को सभी तरह के पापों और नकारात्मक कर्मों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, इससे शांति, समृद्धि, और इच्छाओं की पूर्ति जैसे आशीर्वाद मिलते हैं.
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने के कुछ और फ़ायदे-
- जल से अभिषेक करने से वर्षा होती है.
- कुशोदक से रुद्राभिषेक करने से रोग दूर होते हैं.
- तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है.
- पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें.
- दही से अभिषेक करने पर कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं.
- गंगाजल, शहद, घी, इत्र, गन्ने का रस, सरसों के तेल और शुद्ध जल से अभिषेक करने से भी शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है.
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रुद्र मंत्र के कुछ रूप ये हैं-
- ॐ नमो भगवते रुद्राय
- ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात्
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि; तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
- रुद्र मंत्र प्राचीन काल से जप किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय मंत्र है.
रुद्र मंत्र का जाप करने से जुड़ी कुछ बातें-
- रोज़ नहाने के बाद इस मंत्र का जाप करें.
- इससे दिमाग शांत होता है और परेशानियां कम होने लगती हैं.
- भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे और आपके दुख हर लेंगे.
- माना जाता है कि प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो सकती है.
- अपनी मनोकामना पर ध्यान केंद्रित कर के यदि इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप किया जाए तो भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं
महाशिवरात्रि व्रत का लाभ-
हिंदू संस्कृति में महाशिवरात्रि भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन माना जाता हैं। शिवरात्रि पर अपनी आत्मा को निर्मल करने का महाव्रत माना जाता हैं। महाशिव रात्रि व्रत से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता हैं। व्यक्ति की हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती हैं। समस्त जीवों के प्रति उसके भितर दया, करुणा इत्यादि सद्द भावों का आगमन होता है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही, इस व्रत से साधक के सभी दुखों और पीड़ाओं का अंत होता है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं
महाशिवरात्रि के व्रत के कुछ लाभ-
इस व्रत से साधकों को इच्छित फल, धन, वैभव, सौभाग्य, सुख-समृद्धि, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है.
- यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है.
- व्रत रखने वाले व्यक्ति की आत्मा शुद्ध हो जाती है.
- महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है.
- इस व्रत से अविवाहित महिलाओं की शादी जल्दी होती है.
- विवाहित महिलाएं अपने सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं.
- इस व्रत से सुहागिन महिलाएं अपने पति की चिरायु के लिए व्रत और पूजा करती हैं.
- इस दिन महादेव का ध्यान करने से जीवन में अज्ञानता और नकारात्मकता दूर होती है.
- भगवान शिव की पूजा करने से साधक अकाल मृत्यु से बचता है.
- इस दिन अनाज जैसे- चावल, गेहूं, जौं, बाजरा, मक्का आदि को नहीं खाया जाता.
- मूंगफली, चना, राजमा, मटर आदि भी नहीं खाए जाते.
- व्रत में किसी भी प्रकार का मांस नहीं खाया जाता.
- तेल और नमक का उपयोग भी नहीं किया जाता.
- शिवरात्रि के दिन अल्कोहल (शराब) का भी सेवन नहीं किया जाता
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शिवजी की पूजा इस तरह की जा सकती है मनोनुकूल फल पाने के लिए-
शिवजी की पूजा के लिए, सोमवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद, शिवलिंग पर सबसे पहले तांबे के लोटे से गंगा जल या फिर शुद्ध जल चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव को गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें. फिर एक बार फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान भोले नाथ को सफ़ेद चंदन और भस्म से तिलक लगाकर सफ़ेद पुष्प, धतूरा, बेलपत्र, शमीपत्र आदि चढ़ाएं.
- गुड़ के जल से अभिषेक करें । मीठी रोटी का भोग चढ़ाएं। लाल चंदन व कनेर की फूल से पूजा करें। भूमि, भवन आदि अचल संपत्ति प्राप्त होगी।
- दही से अभिषेक करें। शक्कर, चावल, सफेद चंदन व सफेद फूल से पूजा करें । परिवार में सुख-शांति आएगी।
- गन्ने के रस से भगवान का अभिषेक करें। मूंग, दूब और कुशा से पूजा करें। धन लाभ होगा।
- घी से अभिषेक कर चावल, कच्चा दूध, सफेद आक व शंखपुष्पी से शिवलिंग की पूजा करें। व्यक्तित्व विकास होगा। चिंता का नाश होगा।
- गुड़ के जल से अभिषेक कर गुड़ व चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। मंदार के फूल से पूजा करें। आत्मसुख मिलेगा। बिगड़े काम बन जाएंगे
- गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। भगवान शंकर को भांग, दूब व पान अर्पित करें। रोजगार के अवसर मिलेंगे।
- सुगंधित तेल या इत्र से भगवान का अभिषेक कर दही, शहद व श्रीखंड का भोग लगाएं। सफेद फूल से शिवजी की पूजा करें। कार्य में आ रही बाधाएं दूर होंगी।
- पंचामृत से अभिषेक करें। मावे की मिठाई का भोग लगाएं। लाल फूल से भगवान की पूजा करें। धन लाभ होगा।
- हल्दी युक्त दूध से अभिषेक कर बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। पीले फूल से शिवजी की पूजा करें। रोगों से मुक्ति मिलेगी।
- नारियल पानी से अभिषेक कर उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं। गेंदे के फूल चढ़ाएं। विवाह के लिए रिश्ते आएंगे।
- तिल के तेल से अभिषेक कर मिठाई का भोग लगाएं । शमी के फूल से शिवजी की पूजा करें। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलेगी।
- केसरयुक्त दूध से शिवजी का अभिषेक कर दही-चावल का भोग लगाएं। पीली सरसों और नागकेसर से पूजा करें। परिवार में प्रेम बढ़ेगा।
- भगवान शिव आरोग्य के देवता हैं। वे सभी बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं। यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं और काफी इलाज करवाने के बाद भी आपका रोग ठीक नहीं हो रहा हैं तो शिवरात्रि के दिन पूजा अभिषेक जरूर करे | शीघ्र ही शिवजी की कृपा से आपका रोग दूर हो जाएगा।
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