एकलिंग नाथ जी का इतिहास और समय गतिविधि (उदयपुर,राजस्थान) एकलिंग जी मंदिर के रोचक तथ्य,History and Time Activity of Ekling Nath Ji (Udaipur, Rajasthan) Interesting facts about Ekling Ji Temple

एकलिंग नाथ जी का इतिहास और समय गतिविधि रोचक तथ्य

  • एकलिंग नाथ जी मंदिर उदयपुर राजस्थान 
इस मंदिर का निर्माण 8 बी शताब्दी मै बप्पा रावल ने करवाएं थे इस मंदिर के परिसर मैं 108 मंदिर हैं मुख्य मंदिर के साथ यहां पर जो शिवलिंग स्थापित हैं वो चौमुखी शिवलिंग हैं जो विष्णु (उतर) , सूर्य (पूर्व) , रुद्र (दक्षिण) ब्रह्मा (पश्चिम) की तरफ़ है

एकलिंग नाथ जी मंदिर के दर्शन का समय समय गतिविधि

प्रातः 04:30-07:00 प्रातः दर्शन
सुबह 10:30 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक दर्शन
05:00 अपराह्न-07:30 अपराह्न सायं दर्शन
  • महादेव शायरी हिंदी 2 line
😊🙏धरती से अंबर तक नदियों से समंदर तक , 
कण कण में जिसका उजाला है....!!
वो शिव शंभू बड़ा निराला है.....!! 😊🙏
🔱 #हर_हर_महादेव 🔱🚩

,History and Time Activity of Ekling Nath Ji (Udaipur, Rajasthan) Interesting facts about Ekling

एकलिंग नाथ जी राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित

एकलिंग राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एक मंदिर परिसर है। यह स्थान उदयपुर से लगभग 19.2 किमी उत्तर में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। वैसे उक्त स्थान का नाम 'कैलाशपुरी' है परन्तु यहाँ एकलिंग का भव्य मंदिर होने के कारण इसको एकलिंग जी के नाम से पुकारा जाने लगा। भगवान शिव श्री एकलिंग महादेव रूप में मेवाड़ राज्य के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतो के प्रमुख आराध्य देव रहे हैं।मान्यता है कि यहाँ में राजा तो उनके प्रतिनिधि मात्र रूप से शासन किया करते हैं। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी कहा जाता है।ये राजा किसी भी युद्ध पर जाने से पहले एकलिंग जी की पूजा अर्चना कर उनसे आशीष अवश्य लिया करते थे। यहाँ मन्दिर परिसर के बाहर मन्दिर न्यास द्वारा स्थापित एक लेख के अनुसार डूंगरपुर राज्य की ओर से मूल बाणलिंग के इंद्रसागर में प्रवाहित किए जाने पर वर्तमान चतुर्मुखी लिंग की स्थापना की गई थी। इतिहास बताता है कि एकलिंग जी को ही को साक्षी मानकर मेवाड़ के राणाओं ने अनेक बार यहाँ ऐतिहासिक महत्व के प्रण लिए थे। यहाँ के महाराणा प्रताप के जीवन में अनेक विपत्तियाँ आईं, किन्तु उन्होंने उन विपत्तियों का डटकर सामना किया। किन्तु जब एक बार उनका साहस टूटने को हुआ था, तब उन्होंने अकबर के दरबार में उपस्थित रहकर भी अपने गौरव की रक्षा करने वाले बीकानेर के राजा पृथ्वी राज को, उद्बोधन और वीरोचित प्रेरणा से सराबोर पत्र का उत्तर दिया। इस उत्तर में कुछ विशेष वाक्यांश के शब्द आज भी याद किये जाते हैं.

यहां भी पढ़ें क्लिक करके-

एकलिंग नाथ जी मंदिर का संक्षिप्त विवरण

एकलिंग जी का मंदिर एक हिन्दू मंदिर है। यह राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर उदयपुर जिले से लगभग 18 किमी दूर पर दो पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है, परंतु इस मंदिर में उनकी श्री एकलिंग महादेव के रूप में पुजा होती है। मेवाड़ के महाराणाओं द्वारा श्री एकलिंग महादेव को मेवाड़ रियासत का एक शासक देवता माना जाता था और मेवाड़ के सभी राजा उनके प्रतिनिधि के रूप में शासन करते थे। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी कहा जाता है।

  • दर्शन के बाद मंदिर में क्यों बैठना चाहिए?
इस दौरान प्रार्थना करने से जीवन में अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. इसलिए जब भी मंदिर में दर्शन के बाद भक्त मन्दिर के सीढ़ियों पर बैठते है तो उन्हें ईश्वर से क्षमा याचना के साथ इन सभी चीजों के लिए सच्चे मन से प्रार्थना जरूर करनी चाहिए.
  • एकलिंग को हिंदी में क्या कहते हैं?
एकलिंग नाम का मतलब भगवान शिव का नाम होता है। भगवान शिव का नाम होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक एकलिंग नाम के लोगों में भी दिखती है।
  • एकलिंगजी का मंदिर किसने बनाया था?
इतिहास। 15वीं शताब्दी के ग्रंथ एकलिंग महात्म्य के अनुसार, एकलिंगजी में मूल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी के शासक बप्पा रावल ने किया था।

एकलिंग नाथ जी मंदिर का परिसर

इस मंदिर की चारदीवारी के अंदर और भी कई मंदिर निर्मित हैं, जिनमें से एक महाराणा कुंभा का बनवाया हुआ विष्णुमंदिर है। इस मंदिर को लोग मीराबाई का मंदिर कहते हैं। एकलिंग जी के मंदिर से थोड़ी दूर दक्षिण में कुछ ऊँचाई पर विक्रम संवत १०२८ (ई. सन् ९७१) में यहाँ के मठाधीश ने 'लकुलीश' का एक मंदिर बनवाया तथा इस मंदिर के कुछ नीचे विंध्यवासिनी देवी का एक अन्य मंदिर भी स्थित है। जनश्रुति से यह भी ज्ञात होता है कि बप्पा रावल का गुरु नाथ हारीतराशि एकलिंग जी के मंदिर का महन्त था और उसी की शिष्य परंपरा ने मंदिर की पूजा आदि का कार्य सँभाला। एकलिंग जी के मंदिर के महंत, उक्त नाथों का एक प्राचीन मठ आज भी मंदिर के पश्चिम में बना हुआ है। बाद में नाथ साधुओं का आचरण भ्रष्ट हो जाने से मंदिर की पूजा आदि का कार्य गुसाइयों को सौंपा गया और वे उक्त मंदिर के मठाधीश हो गए। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
एकलिंगजी मंदिर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। एकलिंगजी (कैलाशपुरी) के शहर में स्थित है इस जगह को भी मंदिर से ही अपना लोकप्रिय नाम मिला। एकलिंगजी मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर उदयपुर के उत्तर में 19.2 किमी की दूरी पर स्थित है। एकलिंगनाथ मंदिर हिंदू धर्म के भगवान शिव को समर्पित है। शुरू में मंदिर 734 ए.डी. में बप्पा रावल ने बनाया था। उस समय से, एकलिंगजी मेवार शासकों का शासक देवता रहा है। बाद के वर्षों में, इसे विभिन्न राजाओं द्वारा मरम्मत और संशोधित किया गया, ताकि मुसलमानों के हमलों द्वारा किए गए विस्मृति के अवशेषों को साफ किया जा सके। एकलिंगनाथ मंदिर की शानदार वास्तुकला बस उल्लेखनीय है। दो मंजिला मंदिर छत और धुंधला टॉवर के पिरामिड भारतीय शैली के साथ दीखते है। मंदिर की बाहरी दीवारें ऐसे फैली हुई हैं जो शांत पानी को छूती हैं परिसर के अंदर, मुख्य मंदिर एक विशाल स्तम्भ वाला हॉल या 'मंडप' है जो मोटी पिरामिड छत से ढका हुआ है। इस हॉल में प्रवेश करने पर, आपको नंदी की चांदी की छवि की बहुत ही खूबसूरत कारीगरी की मूर्ति दिखाई देगी। मंदिर में, काले पत्थर और पीतल में क्रमशः नंदी के दो अन्य चित्र हैं। मंदिर में एकलिंगजी (भगवान शिव) की एक चौंकाने वाला चार-मुँह वाली मूर्ति है जो काले संगमरमर से बनी है। इसकी ऊंचाई लगभग 50 फीट है और उसके चार चेहरे भगवान शिव के चार रूपों को दर्शाते हैं।
पूर्व-मुखौटा भाग को सूर्य के रूप में पहचाना जाता है, पश्चिमी भाग का हिस्सा भगवान ब्रह्मा है, उत्तर-भाग का हिस्सा भगवान विष्णु है और दक्षिण-भाग का हिस्सा रुद्र है जो भगवान शिव स्वयं है। बहुमुखी मूर्ति के चरम को 'यंत्र' के रूप में जाना जाता है जो कि अंतिम वास्तविकता के लिए खड़ा है शिवलिंगा (भगवान शिव के पंखिक रूप) के गले में चांदी के सांप के रूप में माला है जो लोगों के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। बीच में बैठे होने के नाते, शिवलिंग देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिक द्वारा घिरी हुई है। मंदिर परिसर के अंदर, आपको देवी सरस्वती और देवी यमुना की मूर्तियां मिलेंगी। मुख्य मंदिर में भारी चांदी के दरवाजे हैं, जो भगवान गणेश और भगवान कार्तिकय को अपने पिता की रक्षा करते हुए चित्रित है। एकलिंगजी मंदिर के उत्तर में दो टैंक हैं, जिनको क्रमश करज़ कुंड और तुलसी कुंड के नाम से जाना जाता है। भगवान की सेवाओं के दौरान इन टैंकों का पानी का सेवन किया जाता है। शिवरात्रि का त्यौहार यहाँ पूर्ण उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस समय, भगवान शिव की छवि गहने के साथ सजी होती है। "तुरुक कहासी मुखपतौ, इणतण सूं इकलिंग, ऊगै जांही ऊगसी प्राची बीच पतंग।"

यहां भी पढ़ें क्लिक करके-
Follow Kare Hindu Gods 
  • एकलिंगजी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 734 ई. में बाप्पा रावल द्वारा निर्माण करवाया गया था। आपको बता दें कि यह मंदिर एक चार-मुखी मूर्ति के चलते पूरे भारत में फेमस है और यह भगवान शिव को समर्पित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि एकलिंगजी मंदिर मेवाड़ शासकों के देवता रहे हैं।
  • एकलिंगजी का प्रसिद्ध मंदिर उदयपुर में किस सम्राट ने बनवाया था?
सही उत्तर बप्पा रावल है। एकलिंगजी का मूल मंदिर 734 ई. में शासक बप्पा रावल द्वारा बनवाया गया था। बप्पा रावल मेवाड़ के शासक और संस्थापक थे। एकलिंगजी को मेवाड़ रियासत का शासक देवता माना जाता है।

एकलिंग नाथ जी स्थापत्य

एकलिंग का यह भव्य मंदिर चारों ओर ऊँचे परकोटे से घिरा हुआ है। इस परिसर में कुल १०८ मंदिर हैं। मुख्य मंदिर में एकलिंगजी (शिव) की चार सिरों वाली ५० फीट की मूर्त्ति स्थापित है। चार चेहरों के साथ महादेव चौमुखी या भगवान शिव की प्रतिमा के चारों दिशाओं में देखती है। वे विष्णु (उत्तर), सूर्य (पूर्व), रुद्र (दक्षिण), और ब्रह्मा (पश्चिम) का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव के वाहन, नंदी बैल, की एक पीतल की प्रतिमा मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित है। मंदिर में परिवार के साथ भगवान शिव का चित्र देखते ही बनता है। देवी पार्वती और भगवान गणेश, क्रमशः शिव की पत्नी और बेटे, की मूर्तियाँ मंदिर के अंदर स्थापित हैं। यमुना और सरस्वती की मूर्तियां भी मंदिर में भी निहित हैं। इन छवियों के बीच में, यहाँ एक शिवलिंग चाँदी के साँप से घिरा हुआ है। मंदिर के चांदी दरवाजों पर भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की छवियाँ हैं। नृत्य करती नारियों की मूर्तियों को भी यहां देखा जा सकता है। गणेशजी मंदिर, अंबा माता मंदिर, नाथों का मंदिर, और कालिका मंदिर इस मंदिर के पास स्थित हैं।
यह जगह मेवाड़ की आध्यात्मिक राजधानी है शायद विश्व के इतिहास में यह एक दुर्लभ उदाहरण है कि शासन की अंतिम शक्ति शक्तिशाली भगवान शिव के साथ निहित थी। उदयपुर के महाराणा ने श्री एकलिंगजी के प्रतिनिधि के रूप में शासन किया है। वर्तमान में शाही परिवार ने एक निजी ट्रस्ट स्थापित किया है जिसे एकलिंगजी ट्रस्ट कहा जाता है, शिवरात्रि जिसका मुख्य त्योहार है, यहाँ पर हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। शिवरात्रि के अलावा अन्य प्रमुख त्यौहार प्रदोष, मकर सक्रांति आदि हैं। वैशाख और श्रावण के विशेष महीनों के दौरान यहां विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर के निर्माणकाल व कर्ता के संबंध में कोई लिखित प्रमाण नहीं मिला है, परंतु जनश्रुति के अनुसार इसका निर्माण बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी के लगभग करवाया था। उसके बाद यह मन्दिर तोड़ दिया गया, जिसे बाद में उदयपुर के ही महाराणा मोकल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया तथा वर्तमान मंदिर के नए स्वरूप का संपूर्ण श्रेय महाराणा रायमल को है। उक्त मंदिर की काले संगमरमर से निर्मित महादेव की चतुर्मुखी प्रतिमा की स्थापना महाराणा रायमल द्वारा की गई थी। मंदिर के दक्षिणी द्वार के समक्ष एक ताखे में महाराणा रायमल संबंधी १०० श्लोकों का एक प्रशस्तिपद लगा हुआ है।
History and Time Activity of Ekling Nath Ji (Udaipur, Rajasthan

यहां भी पढ़ें क्लिक करके-

श्री एकलिंग जी मंदिर का इतिहास

एकलिंगजी मंदिर के मूल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में उदयपुर जिले के शासक बप्पा रावल द्वारा किया गया था। परंतु बाद में दिल्ली सल्तनत के शासकों के आक्रमणों द्वारा मूल मंदिर और मूर्ति को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद 14वीं शताब्दी में राजस्थानी मेवाड़ के राजा और सीसोदिया वंश के संस्थापक राजा हमीर सिंह ने इसे पुनः निर्माण कराया और सबसे पुरानी विलुप्त मूर्ति की स्थापना की थी। । इसके बाद 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के दूसरे राजा राणा कुंभा जब विष्णु मंदिर का निर्माण करवा रहे थे, तब उन्होने एकलिंगजी मंदिर का भी पुनः निर्माण कराया। जिसके बाद एक 1460 के लेख में राणा कुंभा को "एकलिंग के निजी सेवक" के रूप में संभोधित किया गया। इसके बाद 15वीं शताब्दी के अंत में मालवा सल्तनत के घियाथ शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर एकलिंगजी के मंदिर को नष्ट कर दिया। 1473 ई॰ से 1509 ई॰ के मध्य राणा कुंभा के पुत्र राणा रायमल ने उसे पराजित कर उसे बंधी बना लिया जिसके बाद राणा रायमल ने उसकी रिहाई के लिए फिरौती की मांग की इस फिरौती से राजा ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया। राणा रायमल द्वारा इस मंदिर का अंतिम बार संरक्षण कार्य सम्पन्न हुआ जिसमें उन्होने मंदिर की वर्तमान मूर्ति स्थापित की। इसके बाद 16 वीं शताब्दी में यह मंदिर रामानंदियों के नियंत्रण में आया।
Follow Kare Hindu Gods
  • एकलिंग को हिंदी में क्या कहते हैं? 
एकलिंग नाम का मतलब भगवान शिव का नाम होता है। भगवान शिव का नाम होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक एकलिंग नाम के लोगों में भी दिखती है।
  • एकलिंगजी कौन सा भगवान है?
गर्भगृह में भगवान शिव की चार मुख वाली काले संगमरमर की मूर्ति है, जिसे एकलिंगजी के नाम से जाना जाता है, जिसे गहनों और आभूषणों से भव्य रूप से सजाया गया है, जो भगवान शिव के राजसी व्यक्तित्व का सार दर्शाता है।
  • एकलिंगजी मंदिर जाने के लिए कितना समय चाहिए?
इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा. अधिकतम 30 मिनट में आप पूरे मंदिर का भ्रमण कर सकते हैं।

History and Time Activity of Ekling Nath Ji (Udaipur, Rajasthan

एकलिंग नाथ जी मंदिर के रोचक तथ्य

  • एकलिंगजी मंदिर मुख्य शहर से लगभग 24 किमी दूरी पर स्थित है।
  • यह मंदिर 2500 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस मंदिर के परिसर में 108 मंदिर हैं।
  • वर्तमान मंदिर के निर्माण का संपूर्ण श्रेय मेवाड़ महाराणा रायमल को जाता है
  • मंदिर में स्थापित काले संगमरमर से निर्मित महादेव की चतुर्मुखी प्रतिमा की स्थापना महाराणा रायमल द्वारा ही की गई थी।
  • एकलिंग जी के मंदिर के नीचे की ओर विंध्यवासिनी देवी का एक अन्य मंदिर भी स्थित है।
  • मंदिर के लिए एक जन-प्रसिद्ध अफवाह से पता चलता है, की गुरु नाथ हारीत राशि जो बप्पा रावल का गुरु था, उसके द्वारा दी गई शिक्षा के अनुरूप बप्पा रावल ने एकलिंग जी के मंदिर का कार्य सँभाला था।
  • एकलिंग जी के मंदिर में बप्पा रावल के गुरु और एकलिंग जी के मंदिर के महंत, का प्राचीन मठ आज भी बना हुआ है।
  • एकलिंगजी की मूर्ति में चारों ओर मुख हैं। अर्थात् जिसका अर्थ है की यह चतुर्मुख लिंग है।
  • मंदिर के मंच और गर्भगृह के बीच के द्वार पर वर्तमान श्री अरविन्द मेवाड़ जी ने किवाड़ पर चांदी कि परत चढ़वाई हैं।
  • मंदिर के दक्षिणी द्वार के सामने एक ताखे में महाराणा रायमल संबंधी 100 श्लोकों का एक स्तुतिपाठ लगा हुआ है
  • प्रमुख मंदिर के अलावा अंदर और भी कई मंदिर निर्मित हैं जिनमे महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर शेष है।
  • इस मंदिर को हरिहर मन्दिर, मीरा मन्दिर के नामों से भी जाना जाता है।
Follow Kare Hindu Gods
यहां भी पढ़ें क्लिक करके-

टिप्पणियाँ