एकदंत गणेश की महिमा Glory of Ekdant Ganesha
कहानी के अनुसार
परशुराम ने फरसे से तोड़ दिया था गणेश का एक दांत-
गणेश से जुड़ी एक और मान्यताओं के अनुसार, भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे. उन्होंने गणेश को कहा कि किसी को भी ना आने दें. तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए. लेकिन गणेश जी तो थे आदेश का पालन करने वाले. वो परशुराम को विनम्रता से टालते रहे. जब परशुरामजी का धैर्य टूट गया तो उन्होंने गजानन को युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में परशुराम ने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया. हालांकि, इसके लिए बाद में उन्होंने माता पार्वती से माफी भी मांगी. जिसके बाद से ही भगवान गणेश एकदंत कहलाए
Glory of Ekdant Ganesha |
एकदंत गणेश की महिमा
भगवान श्रीगणेश सभी सुख समृधि देने वाले देवता है जिन्हें पञ्चदेवों में भी स्थान प्राप्त है। देवी देवताओ की असंख्य बार इन्होने रक्षा की है। गणेश पुराण तो यह तक कहती है तीनो त्रिदेवो के ये पूजनीय हैं।
एक असुर ने जब तीनो त्रिदेवों पर अपना आतंक मचा लिया था तब गजानंद ने ही उन सभी की रक्षा की थी। यह बुद्धि के देवता और अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता हैं।
एकदंत गणेश की महिमा अपरम्पार है। गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ हुआ, जो सम्पन्नता प्रदान करने वाली देवी हैं।
भगवान श्री गणेश के यहा पाँच दिव्य और चमत्कारी मंत्र दिए जा रहे हैं। वैसे तो गणेश पूजा का सबसे बड़ा दिन गणेश चतुर्थी है जो जाप के लिए सबसे अच्छा दिन है। इन मंत्रो का बुधवार या नित्य जाप से आप श्री गणेश के अति प्रिय पात्र बन जायेंगे और वे आपके सभी विध्नो को दूर करके आपको शांति समृधि प्रदान करेंगे।
किसी कार्य को बिना विध्न पूर्ण करने का मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
बिगड़े काम सुधारने का गणेश मंत्र-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे
बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि
नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।।
गणेश गायत्री मंत्र-
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
गजानन का एकाक्षर मंत्र-
ऊँ गं गणपतये नमः।
परेशानियों को दूर करने का मंत्र-
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः।।
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।।
ग्रह दोष से रक्षा के लिए मंत्र-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
।। जय गणपति देवा ।।ॐ गं गणपतये नमो नमः।।
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