रामायण से जुड़ी Gk के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 350 , Important GK questions and answers related to Ramayana 350

रामायण से जुड़ी Gk के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 326 से 350

प्रश्न 326.'महाराज, मैं दो वर माँगती हूँ-पहला, राम को चौदह वर्ष का वनवास और दूसरा, भरत को राजगद्दी।' दशरथ से ऐसा किसने कहा था?
  • सुमित्रा
  • कौशल्या
  • मंथरा
  • कैकेयी
उत्तर कैकेयी

कैकयी ने एक बार युद्ध में राजा दशरथ की जैन बचाई थी तब राजा दशरथ ने कैकयी को दो वर माँगने के लिए कहा था जिसे कैकयी उस वक्त नहीं माँगती और कहती है की जब मुझे ज़रूरत होगी तब मैं माँग लूँगी।

प्रश्न 327.'बालि! युद्ध की इच्छा से जो तुम्हारे सामने आएगा उसका आधा बल स्वयमेव तुम्हारे शरीर में आ जाएगा।' यह वर बालि को किसने दिया था?
  • शिव
  • ब्रह्मा
  • सरस्वती
  • श्रीराम
उत्तर .ब्रह्मा

रामायण के पात्र वानरराज बाली को ब्रह्मा जी ने यह वरदान दिया था कि युद्ध के मैदान में जब भी कोई शत्रु आएगा, तो उसका आधा बल बाली को मिल जाएगा. इस वरदान के कारण बाली स्वयं को अजेय समझने लगा था. इस वरदान की वजह से ही उसने लंका के राजा रावण को हराया था और बड़े-बड़े राक्षसों को यमलोक पहुंचा दिया था

प्रश्न 328.'हे रावण! मैं तुम्हें शाप देता हूँ कि तुम्हारा और तुम्हारे कुल का सर्वनाश वानरों के ही हाथ होगा।' रावण को यह शाप किसने दिया था?
  • नंदीश्वर
  • नारद
  • पुलस्त्य
  • ब्रह्मा
उत्तर नंदीश्वर

उपहास करने पर रावण को दिया श्राप
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार रावण शिव जी से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर गया. कैलाश पर्वत पर रावण ने नंदी को देखा और जोर-जोर से हंसने लगा. रावण ने नंदी से कहा कि तुम्हारा स्वरूप देखो कैसा है. तुम वानर की शक्ल जैसे लग रहे हो. रावण के उपहास से नंदी को क्रोध आ गया और अपने अपमान के बदले रावण को श्राप दे दिया. नंदी ने कहा कि तुमने मेरा वानर कहकर उपहास उड़ाया है, एक दिन वानर ही तुम्हारे सर्वनाश का कारण होगा.

प्रश्न 329.'हे निषाद! तुझे कभी भी शांति न मिले; क्योंकि क्रौंच पक्षी के इस जोड़े में से एक को तुमने बिना किसी अपराध के ही मार डाला है।' यह शाप किसने दिया था?
  • राम
  • वाल्मीकि
  • नारद
  • दशरथ
उत्तर वाल्मीकि

धर्मात्मा ऋषि वाल्मीकि ने इस अधर्म पर निषाद से इस प्रकार कहा -''निषाद! तुझे नित्य-निरन्तर कभी भी शान्ति न मिले, क्योंकि तूने इस क्रौंच के जोड़े में एक की जो काम से मोहित था, बिना किसी अपराध ही हत्या कर ड़ाली है।
रामायण के अनुसार, एक बार महर्षि वाल्मीकि तमसा नदी के तट पर गए। वहां उन्होंने प्रेम करते क्रौंच (सारस) पक्षी के जोड़े को देखा। वे दोनों पक्षी मधुर बोली बोलते थे।  तभी उन्होंने देखा कि एक निषाद (शिकारी) ने क्रौंच पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया और मादा पक्षी विलाप करने लगी।  उसके इस विलाप को सुन कर महर्षि की करुणा जाग उठी और अनायास ही उनके मुख से ये शब्द निकले !
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा:।
यत् क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्॥
अर्थात- निषाद। तुझे कभी भी शांति न मिले, क्योंकि तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की, जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली।

प्रश्न 330.'हे रंभा! मैं काम और क्रोध को अपने वश में करना चाहता हूँ और तू मुझे काम की ओर धकेलना चाहती है! मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू दस हजार वर्षों तक पत्थर की प्रतिमा बनी खड़ी रहेगी।' रंभा अप्सरा को यह शाप किसने दिया था?
  • वसिष्ठ
  • नारद
  • विश्वामित्र
  • वाल्मीकि
उत्तर विश्वामित्र

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार रंभा ने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी। जिससे गुस्से में आकर विश्वामित्र ने उसे कई सालों तक पत्थर की मूर्ति बनी रहने का श्राप दे दिया।

प्रश्न 331'रावण, यदि आज के बाद तू किसी पर-स्त्रा के साथ बलात् समागम करेगा तो तेरे सिर के सौ टुकड़े हो जाएँगे।' रावण को यह शाप किसने दिया?
  • नल कुबेर
  • शिव
  • नारद
  • सीता
उत्तर नल कुबेर

एक बार रावण आकाश मार्ग से विचरण करता हुआ जा रहा था तभी उसने एक सुन्दर अप्सरा को देखा वो अप्सरा नल कुबेर की प्रेयसी थी। रावण ने उस अप्सरा को अपनी राक्षसी प्रवृत्ति का शिकार बना डाला। नल कुबेर को जब रावण के इस कुकृत्य का पता चला तो उसने रावण का श्राप दिया कि यदि वो किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा तो उसके मस्तक के सात टुकड़े हो जाएंगे। यही कारण था कि रावण सीता से बार-बार प्रणय याचना करता था, उसने सीता के साथ कभी जबर्दस्ती नहीं की।

प्रश्न 332'हे पितामह ब्रह्मा! मुझे वर दीजिए, जब युद्ध के निमित्त किए जानेवाले जप और होम को पूर्ण किए बिना ही मैं युद्धक्षेत्र में युद्ध करने लगें, तभी मेरा विनाश हो।' ब्रह्मा से यह वर किसने माँगा था?
  • रावण
  • कुंभकर्ण
  • मेघनाद
  • खर
उत्तर मेघनाद

प्रश्न 333'हे प्रजापति ब्रह्मा! आप मुझे वर दें कि बड़ी-से-बड़ी विपत्ति आने पर भी मेरी बुद्धि धर्म में ही लगी रहे।' ब्रह्मा से यह वर किसने माँगा था?
  • कुंभकर्ण
  • मेघनाद
  • विभीषण
  • खर
उत्तर विभीषण

विभीषण, रावण के बड़े भाई थे. विभीषण राक्षस जाति के थे, लेकिन वे पवित्र थे और श्री राम के भक्त थे अपने बड़े भाइयों रावण और कुंभकर्ण के साथ विभीषण ने भी घोर तप किया । जब ब्रम्हा वर देने आए, तब विभीषण ने यही वर माँगा—मेरी मति धर्म में सदा स्थिर रहे' । ब्रह्मा ने वर दिया—'तुम बड़े धार्मिक और अमर होगे' ।

प्रश्न 334'हे रावण! मेरे समान रूप और पराक्रमवाले ही तेरे कुल का नाश करेंगे।' यह शाप रावण को किसने दिया था?
  • बालि
  • सीता
  • पुंजिकस्थला
  • नंदीश्वर
उत्तर नंदीश्वर नंदी का श्राप

रावण भगवान शिव का परम भक्त था. लेकिन कैलाश में वो शिव के रक्षक नंदी बैल का उपहास करने लगा. नंदी कोई सामान्य बैल नहीं था बल्कि उसके पास कई शक्तियां थीं. इसके बाद नंदी ने क्रोध में आकर रावण को श्राप दिया कि रावण की मृत्यु का कारण एक वानर बनेगा और उसकी लंका का सर्वनाश करेगा जो बात बिलकुल सच हुई

प्रश्न 335 महर्षि परशुराम ने श्रीराम को किस धनुष पर बाण चढ़ाने की चुनौती दी थी?
  • गांडीव
  • शाङ्ग
  • अजगव
  • वैष्णव
उत्तर वैष्णव

लक्ष्मण ने इसे भगवान राम का अपमान समझा और वे इसे सहन नहीं कर पाते हैं। लेकिन भगवान राम के संकेत को देख लक्ष्मण चुप रहते हैं। इसके बाद भगवान श्री राम और परशुराम के बीच संवाद होता है और परशुराम भगवान श्रीराम को वैष्णव धनुष पर प्रतयंचा चढ़ाने के लिए देते हैं। भगवान राम उसे भी चढ़ा देते हैं।

प्रश्न 336 श्रीराम ने किस अस्त्र का प्रयोग कर रावण का वध किया था?
  • वारुणास्त्र
  • जुंभकास्त्र
  • वायव्यास्त्र
  • ब्रह्मास्त्र
उत्तर ब्रह्मास्त्र

कोदंड एक ऐसा धनुष था जिसका छोड़ा गया बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। दूसरा ​ब्रह्मास्त्र: दरअसल, जब रावण किसी भी अस्त्र शस्त्र से नहीं मर रहा था तब विभिषण ने राम के कान में कहा कि ब्रह्मा ने रावण को एक ब्रह्मास्त्र दिया था और उसे केवल उसी अस्त्र से मारा जा सकता है।

प्रश्न 337 मेघनाद ने हनुमानजी को अशोक वाटिका में किस अस्त्र से बाँध लिया था?
  • ब्रह्मपाश
  • चर्मपाश
  • लौहपाश
  • इंद्रपाश
उत्तर ब्रह्मपाश

रावण ने अपने पुत्र अक्षय को बजरंगबली को बंदी बनाने के लिए भेजा, लेकिन हनुमान ने उसका वध कर दिया। फिर मेघनाद हनुमानजी को पकड़ने आया। उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। वरदान के कारण राम भक्त को कुछ नहीं हो सकता था, लेकिन ब्रह्मा का अस्त्र होने के कारण हनुमानजी खुद उसके बंधनों में बंध गए।

प्रश्न 338 रावण की उस तलवार का नाम बताइए, जो उसने शिवजी से प्राप्त की थी?
  • संहारिणी
  • चंद्रहास
  • विजयिनी
  • चंद्रावल
उत्तर चंद्रहास

चंद्रहास तलवार की पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार रावण अपने विमान पुष्पक से कहीं जा रहा था। इस दौरान उसने देखा कि उसके रास्ते में विशाल कैलाश पर्वत खड़ा है। उसे डर था कि कहीं उसके कारण उसकी यात्रा पूरी न हो। उसका विमान कैलाश को पार ही न कर पाए। उसे अपने बल का घमंड था। उसने कैलाश के पास पहुंचकर उससे कहा कि वह उसके मार्ग से हट जाए। विशालकाय कैलाश के लिए यह कहां संभव होने वाला था। रावण की बात सुनकर भी कैलाश पर्वत टस से मस नहीं हुआ तो रावण अपने अहंकार के वशीभूत होकर क्रोधित हो गया। वह अपने पुष्पक विमान से उतरा और कैलाश पर्वत को उठाने लगा।
कैलाश पर्वत तो भगवान शिव और माता पार्वती का निवास है। ध्यानमग्न भगवान शिव ने जब रावण के इस दुस्साहस को देखा तो उन्होंने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया। इससे रावण की एक अंगुली बुरी तरह जख्मी हो गई। वह दर्द से कराहने लगा। भगवान शिव के आगे रावण की क्या बिसात? रावण को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने भगवान शिव से क्षमा मांगी। वहीं तब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्रम की रचना की। पहली बार उसने वहां पर शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ किया। इससे भगवान शिव रावण पर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कैलाश पर्वत के शिखर से अपना अंगूठा हटा लिया, जिससे रावण मुक्त हुआ। शिव तांडव स्तोत्रम की रचना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उपहार स्वरूप अपना अविनाशी तलवार चंद्रहास रावण को भेंट कर दिया। इस प्रकार रावण को दिव्य तलवार चंद्रहास मिला।

प्रश्न 339 किस अस्त्र के द्वारा मेघनाद का वध हुआ था?
  • ब्रह्मशिरस्
  • ब्रह्मास्त्र
  • वारुणास्त्र
  • ऐंद्रास्त्र
उत्तर ऐंद्रास्त्र

प्रश्न 340 उस अस्त्र का नाम बताइए, जो शत्रु को बाँध लेता है?
  • जुंभकास्त्र
  •  वारुणास्त्र
  • नागपाश
  • अंजलिकास्त्र
उत्तर नागपाश

'नागपाश' प्राचीनकाल में उपयोग किये जाने वाला अस्त्र का नाम है। इसका उपयोग शत्रु को बंधक बनाने के लिए किया जाता था । नागपाश का वर्णन रामायण में ( महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा ) , और अन्य वेद पुराणों में किया गया हैं। इस अस्त्र को पहली और आखिर बार उपयोग मेघनाद द्वारा राम और लक्ष्मण पर किया गया था।

प्रश्न 341 वज्र नामक अस्त्र किस ऋषि की हड्डियों से बना था?
  • वसिष्ठ
  • अत्रि
  • वाल्मीकि
  • दधीच
उत्तर दधीच

चूंकि यह अस्त्र वज्र यानी कि हड्डियों से बना था इसी कारण से इसका नाम वज्रास्त्र पड़ा और इस दिव्य एवं परम शक्तिशाली अस्त्र के स्वामी देवराज इंद्र बने। इसी अस्त्र को पाकर देवराज ने वृत्रासुर की युद्ध की चुनौती स्वीकार की और वृत्रासुर का वध कर दिया। तो इस तरह एक असुर के वध के लिए ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियों का दान किया था। 

प्रश्न 342 'मोदकी' और 'शिखरी' नामक प्रसिद्ध गदाएँ श्रीराम को किसने दी थीं?
  • विश्वामित्र
  • वाल्मीकि
  • वसिष्ठ
  • परशुराम
उत्तर विश्वामित्र

विश्वामित्र बोले–‘रघुकुलनन्दन राम! तुम्हारा कल्याण हो! तुम अस्त्रविद्या के सुयोग्य पात्र हो; अतः निम्नांकित अस्त्रों को भी ग्रहण करो सत्यवान्, सत्यकीर्ति, धृष्ट, रभस, प्रतिहारतर, प्रांमुख, अवांमुख, लक्ष्य, अलक्ष्य, दृढ़नाभ, सुनाभ, दशाक्ष, शतवत्रक, दशशीर्ष, शतोदर, पद्मनाभ, महानाभ, दुन्दुनाभ, स्वनाभ, ज्योतिष, शकुन, नैरास्य, विमल, दैत्यनाशक यौगंधर और विनिद्र, शुचिबाहु, महाबाहु, निष्कलि, विरुच, सार्चिमाली, धृतिमाली, वृत्तिमान्, रुचिर, पित्र्य, सौमनस, विधूत, मकर, परवीर, रति, धन, धान्य, कामरूप, कामरुचि, मोह, आवरण, जृम्भक, सर्पनाथ, पन्थान और वरुण–ये सभी प्रजापति कृशाश्व के पुत्र हैं। ये इच्छानुसार रूप धारण करने वाले तथा परम तेजस्वी हैं। तुम इन्हें ग्रहण करो।’ तब ‘बहुत अच्छा’ कहकर श्रीरामचन्द्रजी ने प्रसन्न मन से उन अस्त्रों को ग्रहण किया। उन मूर्तिमान् अस्त्रों के शरीर दिव्य तेज से उद्भासित हो रहे थे। वे अस्त्र जगत् को सुख देने वाले थे। उनमें से कितने अंगारों के समान तेजस्वी थे। कितने ही धूम के समान काले प्रतीत होते थे तथा कुछ अस्त्र सूर्य और चन्द्रमा के समान प्रकाशमान थे।

प्रश्न 343.श्रीराम को नारायणास्त्र किसने प्रदान किया था?
  • याज्ञवल्क्य
  • अगस्त्य
  • विश्वामित्र
  • अत्रि
उत्तर विश्वामित्र

कुछ लोगों का कहना है कि श्रीराम को नारायणास्त्र, विश्वामित्र ने दिया था. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि मेघनाद ने रामायण में नारायणास्त्र का इस्तेमाल किया था. मेघनाद अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रह्मानंद अस्त्र, नारायणास्त्र और पाशुपतास्त्र पर विजय प्राप्त की थी
कथा के अनुसार एक बार रावण महाराज रघु से युद्ध करने अयोध्या आया। उस समय वे अपने भवन में नहीं थे। तब रावण ने उनके द्वारपाल को सूचना दी और क्रोध में वापस लंका चला गया। जब महाराज रघु वापस लौटे तो उन्हें रावण की चुनौती का पता चला। वे क्षत्रिय थे और किसी की चुनौती अस्वीकार नहीं कर सकते थे। रावण तो चला गया था किन्तु उसे सबक सिखाने के लिए महाराज रघु ने नारायणास्त्र का संधान किया और उसे लंका की ओर छोड़ दिया। रावण उस समय लंका पहुंचा ही था कि उसने देखा कि असंख्य बाण लंका को ध्वस्त कर रहे हैं।

प्रश्न 344 'ब्रह्मशिर' नामक अस्त्र किसका था?
  • इंद्र
  • ब्रह्मा
  • शिव
  • नारद
उत्तर ब्रह्मा

ब्रह्माजी ने ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली ब्रह्मशिर अस्त्र बनाया था। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें ब्रह्मास्त्र की तुलना में चार गुना अधिक शक्ति थी। इसके नोंक के स्थान पर ब्रह्मा जी के चारों शीश लगे हुए थे। इसके प्रयोग से ब्रह्मास्त्र को भी विलीन किया जा सकता था।

प्रश्न 345 वज्रास्त्र, ऐषीकास्त्र और वायव्यास्त्र श्रीराम को किसने प्रदान किए थे?
  • लोमश
  • परशुराम
  • इंद्र
  • विश्वामित्र
उत्तर विश्वामित्र

विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र दान
ताटकावन में वह रात बिताकर महायशस्वी विश्वामित्र हँसते हुए मीठे स्वर में श्रीरामचन्द्रजी से बोले–‘महायशस्वी राजकुमार! तुम्हारा कल्याण हो। ताटकावध के कारण मैं तुम पर बहुत सन्तुष्ट हूँ; अतः बड़ी प्रसन्नता के साथ तुम्हें सब प्रकार के अस्त्र दे रहा हूँ। इनके प्रभाव से तुम अपने शत्रुओं को–चाहे वे देवता, असुर, गन्धर्व अथवा नाग ही क्यों न हों, रणभूमि में बल पूर्वक अपने अधीन करके उन पर विजय पा जाओगे। रघुनन्दन! तुम्हारा कल्याण हो। आज मैं तुम्हें वे सभी दिव्यास्त्र दे रहा हूँ। वीर! मैं तुमको दिव्य एवं महान् दण्डचक्र, धर्मचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र तथा अत्यन्त भयंकर ऐन्द्रचक्र दूँगा। नरश्रेष्ठ राघव ! इन्द्र का वज्रास्त्र, शिव का श्रेष्ठ त्रिशूल तथा ब्रह्माजी का ब्रह्मशिर नामक अस्त्र भी दूँगा। महाबाहो ! साथ ही तुम्हें ऐषीकास्त्र तथा परम उत्तम ब्रह्मास्त्र भी प्रदान करता हूँ।

प्रश्न 346 दंडचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र तथा ऐंद्रचक्र- ये सभी अस्त्र श्रीराम को किस ऋषि ने दिए थे?
  • विश्वामित्र
  • अत्रि
  • भरद्वाज
  • वसिष्ठ
उत्तर विश्वामित्र

विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र दान
ताटकावन में वह रात बिताकर महायशस्वी विश्वामित्र हँसते हुए मीठे स्वर में श्रीरामचन्द्रजी से बोले–‘महायशस्वी राजकुमार! तुम्हारा कल्याण हो। ताटकावध के कारण मैं तुम पर बहुत सन्तुष्ट हूँ; अतः बड़ी प्रसन्नता के साथ तुम्हें सब प्रकार के अस्त्र दे रहा हूँ। इनके प्रभाव से तुम अपने शत्रुओं को–चाहे वे देवता, असुर, गन्धर्व अथवा नाग ही क्यों न हों, रणभूमि में बल पूर्वक अपने अधीन करके उन पर विजय पा जाओगे। रघुनन्दन! तुम्हारा कल्याण हो। आज मैं तुम्हें वे सभी दिव्यास्त्र दे रहा हूँ। वीर! मैं तुमको दिव्य एवं महान् दण्डचक्र, धर्मचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र तथा अत्यन्त भयंकर ऐन्द्रचक्र दूँगा। नरश्रेष्ठ राघव ! इन्द्र का वज्रास्त्र, शिव का श्रेष्ठ त्रिशूल तथा ब्रह्माजी का ब्रह्मशिर नामक अस्त्र भी दूँगा। महाबाहो ! साथ ही तुम्हें ऐषीकास्त्र तथा परम उत्तम ब्रह्मास्त्र भी प्रदान करता हूँ।

प्रश्न 347 धर्मपाश, कालपाश और वरुणपाश नामक अस्त्र श्रीराम को किसने प्रदान किए थे?
  • परशुराम
  • वसिष्ठ
  • विश्वामित्र
  • वाल्मीकि
उत्तर विश्वामित्र

प्रश्न 348 शिखरास्त्र, क्रौंचास्त्र और सौम्यास्त्र श्रीराम को किसने दिए थे?
  • अगस्त्य
  •  विश्वामित्र
  • वसिष्ठ 
  • भरद्वाज
उत्तर विश्वामित्र

प्रश्न 349 सम्मोहनास्त्र व मानवास्त्र किनके प्रिय अस्त्र है?
  • देवताओं के
  • गंधों के
  • पिशाचों के
  • राक्षसों के
उत्तर गंधर्षों के

प्रश्न 350 वह कौन सा अस्त्र है जो पिशाचों का प्रिय अस्त्र माना जाता है?
  • वारुणास्त्र
  • जुंभकास्त्र
  • ऐंद्रास्त्र
  • मोहनास्त्र
उत्तर मोहनास्त्र

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