महाभारत से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर हिंदी में , General knowledge questions and answers related to Mahabharata in Hindi
महाभारत से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर हिंदी में
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प्रश्न 41. महाभारत युद्ध के समय द्रोणाचार्य को भुलावे में डालने के लिए भीमसेन ने जिस हाथी को मार डाला उसका क्या नाम था?
(A) डिडिंभण
(B) अश्वत्थामा
(C) राजकर्मा
(D) आशुतोष
उत्तर: (B) अश्वत्थामा
“श्रीकृष्ण के कहने पर भीम ने अश्वत्थामा नाम के हाथी का वध कर दिया और द्रोणाचार्य को यह सूचना दी कि उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। युधिष्ठिर के मुख से भी पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर द्रोणाचार्य ने अपने अस्त्र-शस्त्र त्याग दिये और इसी समय धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया।“
प्रश्न 42. जनमेजय दुवारा किए गए प्रसिद्ध यज्ञ का क्या नाम था?
(A) राजसूय यज्ञ
(B) सर्प यज्ञ
(C) अश्वमेध यज्ञ
(D) भूत यज्ञ
उत्तर: (B) सर्प यज्ञ
महाभारत में राजा जनमेजय की कथा काफी प्रसिद्ध है. वे पाण्डवों के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे. जिन्होंने तक्षक नाग से पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था.
- महाभारत में जनमेजय कौन है?
शत्रुजय राजा परीक्षित के पुत्र थे और अभिमन्यु के पुत्र थे जन्मेजय ने राजा परीक्षित के पुत्र नामक राक्षस की हत्या का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ शुरू किया जिसका उद्देश्य दुनिया से सभी सर्पों को समाप्त करना था लेकिन बाद में दस्तावेजों में उन्होंने यह कहा सर्प यज्ञ को रोकने वाले महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्य वैशंपायन से महाभारत का अध्ययन किया था और वैशंपायन ने साउदीजय ने महाभारत के इस प्रकार का वर्णन किया था, जो महाभारत में आज हम पढ़ते हैं। स्वर्ग गमन तक की कथा है
- जनमेजय द्वारा किए गए प्रसिद्ध यज्ञ का क्या नाम था?
महाभारत के अनुसार राजा जन्मेजय के पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई. इसके प्रतिशोध में राजा जनमेजय जब नागदाह यज्ञ करवा रहे थे. तो उस समय मृत्यु के भय से तक्षक नाग देवराज इंद्र के यहां जाकर छिप गया था. इस यज्ञ के बारे में जब आस्तिक ऋषि को पता चला तो वे यज्ञ देवता की स्तुति करने लगे.
- जनमेजय का नाग यज्ञ कहाँ हुआ था?
राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद उसके पुत्र जनमेजय king janmejay ने पिता की मृत्यु के प्रतिशोध स्वरूप नाग यज्ञ करवाया। इसमें सभी प्रकार के नागों का हवन किया गया। यह नाग यज्ञ जहाजपुर के निकट किया गया है; इसका नाम यज्ञ पुर रहा बाद में अपभ्रंश होते हुए यजयपुर,जजयपुर और फिर जहाजपुर हो गया। जनमेजय का पुत्र कौन था? जनमेजय इसी परीक्षित तथा मद्रावती के पुत्र थे। महाभारत के अनुसार (१.९५.८५) मद्रावती उनकी जननी थीं, किन्तु भगवत् पुराण के अनुसार (१.१६.२), उनकी माता ईरावती थीं, जो कि उत्तर की पुत्री थीं।
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प्रश्न 43. जरासंध के वध के पश्चात् श्रीकृष्ण को वहाँ से जो दिव्य रथ प्राप्त हुआ था, उसका क्या नाम था?
(A) ऋतज
(B) सोदर्यवान्
(C) अजित्
(D) श्रृंग
उत्तर: (B) सोदर्यवान्
भीमसेन की गड़गड़ाहट से मगध के लोग आश्चर्यचकित रह गए और विचार करने लगे कि 'जहां हिमालय पर्वत है तो वहां नहीं जाना?' 'पृथ्वी पर कहीं भी विदीर्ण नहीं हो रहा है?' तदनंतर शत्रुओं का दमन करने वाले वे तीन वीर रात में राजा जरासंध के प्राणहीन शरीर को नष्ट कर दिए गए, उसी पवित्र स्थान के द्वार पर ठीक होकर वहीं से चले गए। श्रीकृष्ण ने जरासंध के ध्वजा पताकामंडित दिव्य रथ को जोत लिया और उस पर दोनों भाई भीमसेन और अर्जुन को वाद्यकर पहाड़ी खोह के पास जा कर वहां अपने बांधव स्वरूप पूरे राजवंश कोया में बिठाए गए। उस महान भय से मुक्त हुए रत्नभोगी नरेशों ने भगवान श्रीकृष्ण से मिलकर उन्हें विभिन्न रत्नों से युक्त कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण क्षत्रिय और अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित थे। वे शत्रु पर विजय प्राप्त कर चुके थे, उस राज्य में वे उस दिव्य रथ पर आरूढ़ हो गए थे, जहां से उन्हें राजा के साथ गिरिव्रज नगर से बाहर निकाला गया था। उस रथ का नाम सोदर्यवान था , जिसमें दो महारथी योद्धा एक साथ युद्ध कर सकते थे, इस समय भगवान श्रीकृष्ण उनके सारथि थे। उस रथ में बार-बार शत्रुता करने की सुविधा थी और वह पूरे राजा के साथ दुर्जय के रूप में दर्शन करता था। भीम और अर्जुन- ये दोनों रथ पर बैठे थे, श्रीकृष्ण सारथी का काम संभाल रहे थे, संपूर्ण धनुर्धर वीरों के लिए भी उन्हें जीतना कठिन था।
प्रश्न 44. श्रीकृष्ण के सारथि का क्या नाम था?
(A) दारुक
(B) वृषकेतु
(C) वृषण
(D) नील
उत्तर: (A) दारुक
भगवान श्रीकृष्ण के सारथी का नाम दारुक था. दारुक, कृष्ण के दोस्त भी थे. कृष्ण ने दारुक को अश्व गीता का ज्ञान दिया था. दारुक बड़े स्वामी भक्त थे कृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके अश्वों के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक. कृष्ण के पास एक और रथ था जिसका नाम गरुढ़ध्वज था. हिंदू महाकाव्य महाभारत में, कृष्ण के सारथी, या सारथी, कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु हैं. विष्णु का कृष्ण के रूप में अवतार उनकी सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध अभिव्यक्ति मानी जाती है.
- श्रीकृष्ण का सारथी कौन था?
इसने अर्जुन से धनुर्विद्या सीखी थी और महाभारत के समय श्रीकृष्ण की पूरी सेना ने कौरवों की तरफ से युद्ध किया परंतु गुरु अर्जुन विरुद्ध युद्ध ना करने की प्रार्थना को श्रीकृष्ण ने स्वीकार कर सात्यकि को पांडवों की ओर से युद्ध की अनुमति दी थी। श्रीकृष्ण का सारथी और नातेदार था।
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प्रश्न 45. उस विद्या का क्या नाम था जिसका प्रयोग कर महाभारत युद्ध में भीमसेन ने भगदत्त के हाथी को अपने वश में कर लिया था?
(A) गज वशीकरण
(B) अंजलिकावेध
(C) मोहिनी
(D) मदिरभा
उत्तर: (B) अंजलिकावेध
- महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 26 श्लोक 19-37
पाण्डुपुत्र भीम अंजलिकावेध जानते थे। इसलिये ... इसी का नाम अंजलिकावेध है। भीमसेन पैदल दौड़कर उस हाथी के शरीर में छिप गये। पाण्डुपुत्र भीम अंजलिकावेध जानते थे। इसलिये वहाँ से भागे नहीं।
प्रश्न 46. द्रौपदी ने भीमसेन से जो कमल पुष्प मँगवाए थे उनका क्या नाम था?
(A) नील पद्म
(B) श्वेत पद्म
(C) सौगंधिक
(D) विघ्नहर
उत्तर: (C) सौगंधिक
- भीमसेन का सौगन्धिक कमल लाने के लिए जाना
घटोत्कच की सहायता से पांडवों का गंधमादन पर्वत तथा बदरिकाश्रम में प्रवेश के पश्चात सभी पांडव भगवान नर नारायण के दर्शन करते हैं तथा पांडव बदरीवृक्ष, नरनारायणाश्रम तथा गंगा का वर्णन करते हैं और अब भीमसेन का सौगन्धिक कमल लाने के लिए जाने के बारे में महाभारत वनपर्व के 'तीर्थयात्रापर्व' के अंतर्गत अध्याय 146 में बताया गया है, जिसका उल्लेख निम्न प्रकार है
प्रश्न 47. चित्रसेन गंधर्व से लज्जाजनक पराजय के पश्चात् दुर्योधन ने जो व्रत किया था, उसका नाम क्या था?
(A) आमरण उपवास
(B) विभूति द्वादशी
(C) प्रायोपवेश
(D) प्रदोष
उत्तर: (C) प्रायोपवेश
प्रायोपवेश व्रत, हिंदू धर्म में एक प्रथा है. इसका शाब्दिक अर्थ है, उपवास के ज़रिए मरने का संकल्प. यह व्रत, किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु को दर्शाता है, जिसकी कोई इच्छा या महत्वाकांक्षा नहीं बची हो और जीवन में कोई ज़िम्मेदारियां न हों.
- प्रायोपवेश के कुछ और मतलब:
वह अनशन व्रत जो प्राण त्यागने के लिए किया जाता है अन्न और जल त्याग कर मरने के लिए तैयार होकर बैठना
भागवत पुराण में उल्लेख है कि पांडववंशी राजा परीक्षित ने गंगा किनारे अनशन व्रत स्वीकार किया था. उन्होंने विष्णु का ध्यान धर कर प्रायोपवेश व्रत लिया था महाभारत युद्ध से पहले, पांडवों द्वारा उसे और उसके साथियों को बचाने के दौरान अपमानित होने के बाद दुर्योधन ने प्रयोपवेसा (भोजन न लेकर मरना) का प्रयास किया था।
प्रश्न 48. कर्ण ने महाभारत युद्ध में अपने सेनापतित्व के प्रथम दिन जिस व्यूह की रचना की थी, उसका क्या नाम था?
(A) मकर
(B) शकट
(C) क्राँच
(D) सर्वतोभद्र
उत्तर: (A) मकर
महाभारत में मकर संक्रांति की रचना कौरव और पांडव दोनों ने की थी। पांडवों को पता था कि भीष्म 'मकरक्यूह' के द्वारा संरक्षित हैं, इसलिए पांडवों ने 'श्येनक्यूह' की रचना के विरोध में यह विचार प्रस्तुत किया। श्येनकेतु में भीम 'मुख'स्थान पर थे, अर्जुन गर्दन के स्थान पर थे, और युधिष्ठिर उनके 'पुच्छ'स्थान' (अंतिम भाग) को बनाए रखे हुए थे।
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प्रश्न 49. धृतराष्ट्र के उस सेवक का क्या नाम था, जिसे उन्होंने पांडवों को पुनः द्यूतक्रीड़ा हेतु बुलाने भेजा था?
(A) प्रातिकामी
(B) संजय
(C) आदित्य
(D) पुरोचन
उत्तर: (A) प्रातिकामी
प्रश्न 50. अज्ञातवास के समय 'तंतिपाल' किस पांडव का नाम था?
(A) युधिष्ठिर
(B) नकुल
(C) सहदेव
(D) भीम
उत्तर: (C) सहदेव
सहदेव ने तंतिपाल नाम से गोसंख्यक का काम अंगीकार किया।
- पांडव अज्ञातवास के समय कहाँ छुपे थे?
पांडव अपने अज्ञातवास में कहाँ कहाँ रहे? पांडव ने अपना अज्ञातवास का समय विराटनगर में " राजा विराट " की सेवा में बिताया था !
- महाभारत में बिना मरे स्वर्ग कौन गया था?
रास्ते में, द्रौपदी, नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन सभी गिरकर मर गए, जबकि केवल युधिष्ठिर ही देवलोक पहुंचे, जहां उन्हें पता चला कि हस्तिनापुर से पूरे रास्ते एक कुत्ता उनके साथ रहा है!
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