बृहस्पति स्तोत्र श्री गुरु बृहस्पति देव चालीसा Brihaspati Stotra Shri Guru Brihaspati Dev Chalisa

बृहस्पति स्तोत्र श्री गुरु बृहस्पति देव चालीसा

हिन्दू धर्म में बृहस्पतिवार के दिन श्री हरी विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरी का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जल्द शादी करने की इच्छा रखे वालो के लिए भी ये व्रत बहतु लाभदायक होता है। अग्निपुराणानुसार अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारंभ करके सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

बृहस्पति स्तोत्र Brihaspati Stotra

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी, चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: !!
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च, तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम् !!
नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: !!
नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग: !!
सदानन्द नमस्तेSस्तु नम: पीडाहराय च !!
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे !!
नमोSद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम: !!
नम: प्रहृष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम: !!
नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक: !!
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे !!
विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम् !!
प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम् !!
!! इतिमन्त्रमहार्णवे बृहस्पतिस्तोत्रम् !!
बृहस्पति स्तोत्र श्री गुरु बृहस्पति देव चालीसा  Brihaspati Stotra Shri Guru Brihaspati Dev Chalisa

खास बातें
गुरुवार के दिन इन मंत्रों का भी पाठ करना चाहिए ऐसा करने से धन लाभ होता है।

बृहस्पति मंत्र

  1. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
  2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
  3. ओम बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्ञ्जनेषु
  4. यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम् ।।

श्री गुरु बृहस्पति देव चालीसा

दोहा
गाउे नित मंगलाचरण, गणपति मेरे नाथ।
करो कृपा माँ शारदा, जीव रहें मेरे साथ।

चौपाई

वीर देव भक्‍तन हितकारी।सुर नर मुनिजन के उद्धारी।
वाचस्पति सुर गुरू पुरोहित। कमलासन बृहस्पति विराजित।

स्वर्ण दंड वर मुद्रा धारी। पात्र माल शोभित भुज चारी।
है स्वर्णिम आवास तुम्हारा।पीत वदन देवों में न्यारा।

स्वर्णारथ प्रभु अति ही सुखकर । पाण्डुर वर्ण अश्व चले जुतकर।
स्वर्ण मुकुट पीताम्बर धारी। अंगिरा नन्दन गगन विहारी।

अज अगम्य अविनाशी स्वामी । अनन्त वरिष्ठ सर्वज्ञ नामी।
श्रीमत्‌ धर्म रूप धन दाता ।शरणागत सर्वापद्‌ त्राता।

पुष्य नाथ ब्रह्म विद्या विशारद। गुण बरने सुर गण मुनि नारद।
कठिन तप प्रभास में कीन्हा।शंकर प्रसन्‍न हो वर दीन्हा।

देव गुरू ग्रह पति कहाओ। निर्मल मति वाचस्पति पाओ।
असुर बने सुर यज्ञ विनाशक । करें सुरक्षित मन्त्र से सुर मख।

बनकर देवों के उपकारी । दैत्य विनाशे विघ्न निवारी।
बृहस्पति धनु मीन के नायक। लोक द्विज नय बुद्धि प्रदायक।

मावस वीर वार ब्रत धारे।आश्रय दें सर्व पाप निवारें।
पीताम्बर हल्दी पीला अन्न। शक्कर मधु पुखराज भू-लवण।

पुस्तक स्वर्ण अश्व दान कर।ददेवें जीव अनेक सुखद वर।
विद्या सिन्धु स्वयं कहलाते। भक्तों को सन्मार्ग चलाते।

इन्द्र किया अपमान अकारण। विश्वरूपा गुरू किये धारण।
बढ़ा कष्ट सब राज गँवाया। दानव ध्वज स्वर्ग लहराया।

क्षमा माँग फिर स्तुति कीन्ही ।विपदा सकल जीव हर लीन्ही।
बढ़ा देवों में मान तुम्हारा।कीरति गावें सकल संसारा।

दोष बिसार शरण में लीजै।उर आनन्द प्रभु भर दीजै।
सदगुरू तेरी प्रबल माया।तेरा पारा ना कोई पाया।

सब तीर्थ गुरू चरण समाये। समझे विरला बहु सुख पाये।
अमृत वारिद सदृश वाणी।हिरदय धार भए ब्रह्ज्ञानी।

शोभा मुख से बरनि न जाईं।देवें भक्ति जीव मनचाही।
जो अनाथ ना कोइ सहाई । लख चोरासी पार कराहीं।

प्रथम गुरू का पूजन कीजे। गुरू चरणामृत रुच-रुच पीजै।
मृग तृष्णा गुरू दरशन राखी। मिले मुक्ति हो सब जग साखी।

चरणन रज सतूगुरु सिर धारे।पा गए दास पदारथ सारे।
जग के कार विहारण दोड़े।गुरू मोह के बन्धन तोड़े।

पारस माणिक नीलम रत्ना। गुरूवर सम्मुख व्यर्थ कल्पना।
कर निष्काम भक्ति गुरुवर की। सुन्दर छवि धारे सुखकर की।

गुरू पताका जो फहारायें। मन क्रम वचन ध्यान से ध्यायें।
काल रूप यम नहीं सतावें। निश्चय गुरुवर पिंड छुड़ावें।

भूत पिशाच्र निकट ना आवें।रोगी रोग मुक्त हो जावें।
संतती हीन संस्तुति गावें।मंगल होय पुत्र धन पावें।

“मनु! गुण गाहिरदय हर्षावे ।स्नेह जीव चरणों में लावे।
जीव चालीसा पढ़े पढ़ावे।पूर्ण शांति को पल में पावें।

दोहा

मात पिता के संग मनु, गुरू चरण में लीन।
किरपा सब पर कीजिये, जान जगत में दीन।

॥ इति श्री बृहस्पति चालीसा ॥

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा का महत्व

श्री ब्रहस्पति देव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। श्री ब्रहस्पति देव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। श्री ब्रहस्पति देव चालीसा के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता।
बृहस्पति मंत्र
जब आपको बृहस्पति देव की कृपा चाहिए हो तब "ॐ बृ बृहस्पतये नमः" का प्रातःकाल जाप करें. जब बृहस्पति के प्रभाव के कारण स्वास्थ्य की समस्या हो तब "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः" का प्रातः और सायंकाल दोनों समय जाप करें

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