हनुमान जी के 25 मंत्र और आरती ,25 mantras and aarti of Hanuman ji

हनुमान जी के 25 मंत्र और आरती

मंगलवार को महाबली हनुमान की पूजा करने और व्रत रखने से संकट मोचन जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। पूजा और व्रत के अलावा संकट मोचन हनुमान के कुछ चमत्कारी मंत्र हैं, जिनका जाप करने से भय, संकट और शत्रुओं से छुटकारा मिल सकता है।
25 mantras and aarti of Hanuman ji

 हनुमान जी के 25 मंत्र 

  1. वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम् |
  2. पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न – समुज्जलम् ||
  3. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्
  4. ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय
  5. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
  6. आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर!
  7. ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा 
  8. ॐ हं हनुमते नम:
  9. ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
  10. ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा
  11. ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा
  12. ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा
  13. ॐ नमो भगवते हनुमते नम: 
  14. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा
  15. ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा 
  16. ॐ अं अंगारकाय नमः
  17. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ। 
  18. वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥  
  19. ओम ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः 
  20. हं हनुमंते नम:।
  21. नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा
  22. ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
  23. ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा
  24. ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
  25. हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल: अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।

 हनुमान जी की आरती  (aarti Hanuman ji)

आरती कीजै हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।

रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।

संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।

सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।

लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥

बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।

जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।

आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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