बसन्त पंचमी के बारे में कुछ बातें बसन्त पंचमी कब है 2024 जानिए ,Some things about Basant Panchami, know when is Basant Panchami 2024

बसन्त पंचमी के बारे में कुछ बातें बसन्त पंचमी कब है 2024 जानिए

बसन्त पंचमी 2024 

शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है, इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी 
हिंदू कैलेंडर द्रिक पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी 14 फरवरी, 2024 को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि 13 फरवरी 2024 को दोपहर 14:41 बजे शुरू होगी और 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12:09 बजे समाप्त होगी.
Some things about Basant Panchami, know when is Basant Panchami 2024

बसन्त पंचमी के बारे में कुछ बातें

  • बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है, और पीले वस्त्र पहने जाते है, पीले ही चीजों का भगवान को भोग लगाया जाता है, मां सरस्वती को दाने, पीले चावल, केसर वाले चावल, नमकीन चावल का भोग लगाया जाता है, प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • यह त्यौहार बसंत के मौसम की शुरुआत का आगमन होता है, इस दिन भगवान ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का धरती पर आह्वान किया था मां सरस्वती इसी दिन धरती पर प्रकट हुई थी इसीलिए युगो- युगो से इस दिन मां सरस्वती के जन्मदिन के अवसर पर बसंत पंचमी मनाई जाती है।
  • इस दिन स्कूलों में घरों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है, और उनसे विद्या बुद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है, उन्हें भोग चढ़ाया जाता है,फूल माला चढ़ाई जाती है, मां से आराधना की जातीहै ।
  • ज्ञान की वृद्धि बच्चों की शिक्षा के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, इस दिन नई कार्य शुरू किए जाते है, बच्चों को स्कूल पहली बार स्कूल इसी दिन भेजना बहुत शुभ माना जाता है, लोग अपने बच्चों को इस दिन पहली बार स्कूल भेजते है।
  • इस दिन को शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना गया है, इस दिन सर्वसिद्धि योग होता है, इसलिए कोई भी पंचांग या बिना किसी पंडित से पूछे इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते है।
  • शादी विवाह के लिए भी यह दिन बहुत शुभ होता है, किसी भी शुभ कार्य गृह प्रवेश, हवन पूजा पाठ, रोजगार धंधे के लिए नई शुरुआत इस दिन बहुत ही शुभ मानी जाती है।
  • हिंदू धर्म की परंपरा है कि जिस दिन सूर्य उदय तिथि मैं हूं उसी दिन पूरे दिन उसी तिथि को माना जाता है, पितरों की पूजा मध्यकाल में होती है, और देवी देवताओं की पूजा उदय काल में यानी प्रथम पहर में होती है, इसलिए जिस दिन प्रथम पहर में देवी-देवताओं का आरंभ हो उसी दिन उस तिथि में पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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बसंत का पूरा अर्थ क्या है

वृद्धि या विकास का समय या मौसम । विशेष रूप से: सर्दी और गर्मी के बीच का मौसम, जिसमें उत्तरी गोलार्ध में आमतौर पर मार्च, अप्रैल और मई के महीने शामिल होते हैं या जैसा कि खगोलीय रूप से मार्च विषुव से जून संक्रांति तक फैला हुआ माना जाता है।

बसंत के दिन में क्या होता है

वर्ष की सारी ऋतुओं में वसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी भी कहा जाता है. इस दिन से ही शीत ऋतु का जब समापन होता है तो वसंत का आगमन होता है. इस ऋतु में खेतों में फसलें लहलहा उठती है और फूल खिलने लगते हैं और हर जगह खुशहाली आती है

बसंत पंचमी के दिन किसका जन्म हुआ

बसंत पंचमी पर माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बागीश्वरी जयंती के नाम से भी यह जाना जाता है। बताया कि इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। 

सरस्वती पूजा कहां है 

पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में असम, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में , वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जो हर साल माघ (लगभग फरवरी) के हिंदू कैलेंडर महीने में 5 वें दिन मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। हिंदू इस त्योहार को मंदिरों, घरों और शैक्षणिक संस्थानों में समान रूप से मनाते हैं।

सरस्वती जी का मंत्र क्या है

'हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले। या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सरस्वती किसकी बेटी थी?

इस प्रसंग का उल्लेख सरस्वती पुराण में किया गया है। प्रसंग के अनुसार सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इसीलिए यह कहा जाता है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी।

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